ग्रीष्मकालीन भिंडी की खेती का समय चरम पर है. अक्सर किसान खेती तो करते हैं, मगर वह उत्पादन से संतुष्ट नहीं हो पाते हैं. इसके लिए उन्हें अपनी जलवायु और मिट्टी के हिसाब से भिंडी की उन्नत किस्मों की खेती करनी चाहिए. आज इस लेख के माध्यम से हम भिंडी की उन्नत किस्मों की जानकारी देने जा रहे हैं
भिंडी की उन्नत किस्में
काशी अगेती
यह एक जल्दी पकने वाली किस्म है. इसके पौधे की ऊंचाई 58-61 सें.मी. और प्रति पौधा 9-10 फलियां लगती हैं. फली का औसत वजन 9-10 ग्राम होता है. यह किस्म बुवाई के 60-63 दिनों के बाद तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. इस किस्म किसानों को 95-105 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन प्राप्त होती है. यह किस्म उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार और झारखंड के लिए जारी की गई है.
काशी सृष्टि (VROH-12) F1 हाइब्रिड
काशी सृष्टि भिंडी की किस्म उत्तर प्रदेश में खेती के लिए उपयुक्त मानी गई है. इसकी उपज क्षमता 18 से 19 टन प्रति हेक्टेयर है. इसकी पौधों की 2-3 शाखाएं एवं संकीर्ण कोण वाली होती है.
काशी लालिमा (VROR-157)
काशी लालिमा भिंडी लाल-बैंगनी रंग की होती है. आकार में मध्यम लंबे और छोटे इंटरनोड्स है. इसकी उपज क्षमता 14-15 टन प्रति हेक्टेयर होती है. यह भिंडी एंथोसायनिन और फेनोलिक्स से भरपूर होती है. गर्मी और खरीफ दोनों मौसम में खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है.
काशी चमन वीआरओ-109
इसके पौधे मध्यम लम्बे (120-125 सेमी.) होते हैं. काशी चमन भिंडी में बुवाई के 39-41 दिनों में फूल आने प्रारंभ हो जाते हैं. तो वहीं इसमें 45 से 100 दिनों के भीतर फल आने शुरू हो जाते हैं. काशी चमन दिखने में गहरे हरे रंग और लंबाई 11-14 सेमी तक होती है. बात करें इसकी उपज क्षमता की तो इससे 150-160 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन प्राप्त होता है. यह किस्म गर्मी और बरसात दोनों मौसम में बुवाई के लिए उपयुक्त मानी जाती है.
काशी वरदान
काशी वरदान भिंडी की किस्म गर्मी और बरसात दोनों मौसमों के लिए उपयुक्त है. इसकी उपज क्षमता लगभग 140-150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. यह किस्म उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पंजाब में खेती के लिए उपयुक्त पाई जाती है.
शीतला ज्योति
यह संकर गर्म आर्द्र जलवायु के लिए अपेक्षाकृत लंबे दिन की अवधि के लिए उपयुक्त है. इसके पौधे मध्यम लम्बे और 110-150 सें.मी. ऊंचे होते हैं. शीतला ज्योति बुवाई के 30-40 दिन बाद 4-5 गांठों पर फूल आने लगते हैं. इस किस्म की उपज क्षमता 180-200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. इसे राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और छत्तीसगढ़, उड़ीसा और आंध्र प्रदेश में खेती के लिए उपयुक्त माना गया है.
शीतला उपहार
शीतला उपहार के पौधे मध्यम लम्बे और 110-130 से.मी. ऊँचे होते हैं. शीतला उपहार में बुवाई के 38-40 दिनों बाद फूल आने शुरू हो जाते हैं. इस किस्म की उपज क्षमता 150-170 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है. इसे पंजाब, यूपी, बिहार, एमपी में खेती के लिए उपयुक्त मानी गई है.
काशी सतधारी
काशी सतधारी पौधों की ऊंचाई 130-150 सेमी तक होती है, जिसमें 2-3 प्रभावी शाखाएं आती हैं. इन पौधों में बुवाई के 42 दिन बाद फूल आने शुरू हो जाते हैं. बात करें इसकी उपज की तो, इससे प्रति हेक्टेयर 110-140 क्विंटल उत्पादन प्राप्त होता है. इसे उत्तर प्रदेश और झारखंड में खेती के लिए उपयुक्त मान गया है.
काशी विभूति
काशी विभूति बौनी किस्म है, बारिश के दौरान पौधे की ऊंचाई 60-70 सेमी और गर्मी के मौसम में 45-50 सेमी होती है. इस किस्म में बुवाई के 38-40 दिनों के फूल आने शुरू हो जाते हैं. इसकी उपज क्षमता 170-180 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
काशी मंगली
काशी मंगली किस्म पंजाब, यूपी झारखंड. छत्तीसगढ़, उड़ीसा और ए.पी राज्यों के लिए उपयुक्त मानी गई हैं. इसको पौधे 120-125 सें.मी ऊंचे होते हैं. भिंडी की इस किस्म से बुवाई के 40 से 42 दिनों में फूल आने शुरू हो जाते हैं. काशी मंगली किस्म से 130 -150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त होती है.
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काशी मोहिनी
काशी मोहिनी भिंडी की किस्म गर्मी और बरसात के मौसम के लिए उपयुक्त मानी गई है. इसके पौधे 110-140 सेमी तक ऊंचे होते हैं. बरसात के मौसम में यह किस्म 130 -150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देती है. यह गर्मी के मौसम में उच्च तापमान को सहन करता है और खेत की परिस्थितियों में YVMV के लिए प्रतिरोधी है.
संकर- काशी भैरव
इस संकर के पौधे 2-3 शाखाओं वाले मध्यम लम्बे होते हैं. इस किस्म में उपज क्षमता 200-220 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है. भिंडी की यह किस्म पूरे देश के लिए उपयुक्त मानी गई है.