कृषि कार्य करने के लिए किसानों के पास ये जानकारी होनी बहुत जरुरी है कि वो किस माह में कौन - सा कृषि कार्य करें. क्योंकि मौसम कृषि कार्य को बहुत प्रभावित करता है. इसलिए तो अलग- अलग सीजन में अलग फसलों की खेती की जाती है ताकि फसल की अच्छी पैदावार ली जा सकें. ऐसे में आइये जानते हैं कि जून माह में किसान कौन -सा कृषि कार्य करें-
धान (Paddy)
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यदि मई के अंतिम सप्ताह में धान की नर्सरी नहीं डाली हो तो जून के प्रथम पखवाड़े तक पूरा कर लें. जबकि सुगंधित प्रजातियों की नर्सरी जून के तीसरे सप्ताह में डालनी चाहिए.
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धान की महीन किस्मों की प्रति हेक्टेयर बीज दर 30 किग्रा, मध्यम के लिए 35 किग्रा, मोटे धान हेतु 40 किग्रा तथा ऊसर भूमि के लिए 60 किग्रा पर्याप्त होता है, जबकि संकर किस्मों के लिए प्रति हेक्टेयर 20 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है.
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यदि नर्सरी में खैरा रोग दिखाई दे तो 10 वर्ग मीटर क्षेत्र में 20 ग्राम यूरिया, 5 ग्राम जिकं सल्फेट प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.
मक्का (Maize)
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मक्का की बुवाई 25 जून तक पूरी कर लें. यदि सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो तो बुवाई 15 जून तक कर लेनी चाहिए.
अरहर (Arhar)
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सिंचित दशा में अरहर की बुवाई जून के प्रथम सप्ताह में, अन्यथा सिंचाई के अभाव में वर्षा प्रारंभ होने पर ही करें.
सूरजमुखी/उर्द/मूंग (Sunflower/Arhar/Moong)
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जायद में बुवाई की गई सूरजमुखी व उर्द की कटाई मड़ाई का कार्य तथा मूंग की फलियों की तुड़ाई का कार्य 20 जून तक अवश्य पूरा कर लें.
गर्मी की जुताई व मेड़बन्दी (summer plowing and weeding)
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वर्षा से पूर्व खेत में अच्छी मेड़बन्दी कर दें, जिससे खेत की मिट्टी न बहे तथा खेत वर्षा का पानी सोख सके.
सब्जियों की खेती (Vegetables Farming)
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इस माह में बैंगन, मिर्च, अगेती फूलगोभी की पौध की बुवाई करें.
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बैंगन, टमाटर व मिर्च की फसलों में सिंचाई व आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करें.
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भिंडी की फसल की बुवाई के लिए उपयुक्त समय है.
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लौकी, खीरा, चिकनी तोरी, आरा तोरी, करेला व टिण्डा की बुवाई के लिए उपयुक्त समय हैं.
बागवानी कार्य
बागवानी
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नये बाग के रोपण हेतु प्रति गड्ढा 30-40 किग्रा सड़ी गोबर की खाद, एक किग्रा नीम की खली तथा आधी गड्ढे से निकली मिट्टी मिलाकर भरें. गड्ढे को जमीन से 15-20 सेमी. ऊँचाई तक भरना चाहिए.
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केला की बुवाई के लिए उपयुक्त समय है. रोपण हेतु तीन माह पुरानी, तलवारनुमा, स्वस्थ व रोगमुक्त पुत्ती का ही प्रयोग करें.
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आम में ग्राफ्टिंग का कार्य करें.
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पापलर की नर्सरी व पुराने पौधों की एक सप्ताह के अंतराल पर सिंचाई करते रहें.
पुष्प व सगंध पौधे (Flowers and Aromatic plants)
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रजनीगंधा, देशी गुलाब एवं गेंदा में खरपतवार निकालें व आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें.
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बेला तथा लिली में आवश्यकतानुसार सिंचाई, निराई व गुड़ाई करें.
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माह के अंत में मेंथा की फसल की दूसरी कटाई कर लें.