आज खेतों में किसान अत्याधिक मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करते हैं, जिसकी वजह से मिट्टी की गुणवत्ता पर काफी बुरा असर पड़ता है. साथ ही साथ हम जो भी फल, अनाज, सब्जियां खाने में उपयोग करते हैं, वह बहुत ही हानिकारक है. रसायनयुक्त खाने वाली साम्रगी से हमें प्रचुर मात्रा में जो भी पोषक तत्व मिलने चाहिए वो नहीं मिल पाते है, जिसकी वजह से कोई भी फसल स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद ना होकर नुकसान देह हो जाती है. किसान भाइयों को कम से कम रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल करना चाहिए. रासायनिक उर्वरकों से फसलों की सिंचाई करने से ये उर्वरक मिट्टी के साथ मिलकर काफी नीचे चले जाते है, जिसकी वजह से मिट्टी की अपनी उपजाऊ क्षमता तो कम हो ही जाती है, साथ ही साथ फसलों को उचित मात्रा में पोषक तत्व भी नहीं मिल पाते हैं.
रासायनिक उर्वरकों से फसलों को होने वाली हानि
रसायनिक उर्वकों में यूरिया, डाई अमोनियम फास्फेट, सुपर फास्फेट, जिंक सल्फेट, पोटाश व अन्य शामिल है.
यूरिया- यूरिया में नाइट्रोजन की मात्रा काफी ज्यादा होती है, जिसके अत्याधिक प्रयोग से फसल जल्द ही नष्ट हो जाती है. ये उर्वरक फसल व वृक्षों के लिए काफी हानिकारक है.
डाई अमोनियम फास्फेट- इसके ज्यादा प्रयोग से मिट्टी की उपजाऊ क्षमता काफी कम हो जाती है, जिसकी वजह से फसल तेजी से बढ़ नहीं पाती है, जिसके फलस्वरुप हरी सब्जियां स्वादहीन व सेहत के लिए काफी हानिकारक हो जाती है.
सुपर फास्फेट- इस रासायनिक उर्वरकों से फसल व मिट्टी के साथ- साथ वायु व जल प्रदूषण भी काफी तेजी से बढ़ता है. साथ ही साथ मिट्टी में मौजूद लाभकारी छोटे कीड़े-मकोड़े भी इस रसायनिक उर्वरकों के प्रभाव से जल्दी ही नष्ट हो जाते है.
केंद्रीय रसायन व उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया ने किसान भाइयों से रासायनिक उर्वरक के प्रयोग ना करने की अपील की है. साथ ही किसान समृद्धि महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन करने जा रही है जिसमें कृषि के लिए सब्सिडी वाली यूरिया को अन्य उद्योगों में लगाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि गैर कृषि कार्यों में उद्योगों का इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी. रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता कम हो रही है.