Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 18 October, 2024 11:19 AM IST
नीम तुलसी कीटनाशक , सांकेतिक तस्वीर

किसान आजकल फल एवं सब्जियों के उत्पादन हेतु किसी भी प्रकार का कोई भी कीटनाशक का उपयोग नहीं करना चाहता है, उसकी मान्यता है की जहरीले कीटनाशकों के उपयोग से उनकी फल एवं सब्जी भी प्रदूषित होकर जहरीले हो जाएंगे. वह चाहते है की उनके फल एवं सब्जी के उत्पादन के क्रम में हानिकारक कीटनाशकों के प्रयोग के बिना, उसमे लगनेवाले कीड़ों को कैसे सुरक्षित ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है. इस क्रम में नीम एवं तुलसी का नाम प्रमुखता से लिया जाता है. किसानों के समक्ष सबसे बड़ा प्रश्न यह है की इनसे कैसे कीटनाशक बनाए जाय, यह जानना चाहता है.

नीम के अर्क का उपयोग कृषि में कीटों और रोग प्रबंधन और पौधों को पोषक तत्वों की आपूर्ति के लिए किया जाता है. इसके अलावा, नीम किसानों के लिए सुरक्षित है, इसका उपयोग पूरे फसल चक्र के दौरान, पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित और अलग-अलग आईपीएम रणनीतियों के अनुकूल किया जा सकता है. नीम के यौगिक कीटों के लिए प्रणालीगत और संपर्क विष के रूप में कार्य करते हैं. आइए जानते है की नीम आधारित कीटनाशक कैसे तैयार करते हैं

नीम की ताजी पत्तियों से कीटनाशक दवा बनाना

नीम की 1 किलो हरी पत्तियों को एक बाल्टी में इकट्ठा करें और 5 लीटर पानी डालें और पत्तियों को पीस लें और रात भर या 12 घंटे के लिए छोड़ दें, तत्पश्चात पत्तियों को निचोड़े और तरल को एकत्र करें. पत्ती के अति छोटे टुकड़े को हटाने के लिए तरल को रसोई की छलनी या मलमल के कपड़े से छान लें. लगभग 20 ग्राम साबुन या कोई भी स्टीकर को थोड़ी मात्रा में पानी में घुलने तक मिलाएं. इस प्रकार से तैयार नीम के तरल को एक सप्ताह तक उपयोग कर सकते हैं; लेकिन इसे ठंडी, अंधेरी जगह पर स्टोर करना ज्यादा अच्छा रहता है.

नीम के सूखे पत्ते से कीटनाशक बनाना

हरी नीम की पत्तियों को इकट्ठा करके सीधी धूप से दूर सुखा लें. पत्तियों को एक कंटेनर में स्टोर करें जिससे चारों ओर भरपूर हवा मिल सके. पत्तियां 250 ग्राम सूखे नीम के पत्ते एक बाल्टी में 5 लीटर पानी मे रात भर या 12 घंटे के लिए भिगो दें पत्तियों को पीसें और रात भर या 12 घंटे फिर से भिगो दें, तरल को निचोड़ें, रसोई की छलनी या मलमल के कपड़े से छान लें, इसके बाद स्प्रेयर में डालें तथा प्रयोग करें. इसमें लगभग 20 ग्राम साबुन या 20 मिलीलीटर स्टीकर को भी मिला लेना चाहिए.

नीम के बीज से (अर्क) सुरक्षित कीटनाशक कैसे बनाएं

फल एवं सब्जियों में लगने वाली फल मक्खी के साथ साथ आधिकांश कृषि कीट को नीम के बीज के अर्क (एक्सट्रेक्ट) से सफलतापूर्वक प्रबंधित कर सकते हैl इसको बनाने के लिए छिले हुए नीम के बीजों को 3-5 किलोग्राम हल्के हाथों से पीस लें. पिसे हुए बीजों को मिट्टी के बर्तन में रखें इसमें 10 लीटर पानी डालें. मटके के मुंह को कपड़े से अच्छी तरह ढककर 3 दिन के लिए ऐसे ही छोड़ दें. स्पष्ट अर्क पाने के लिए छान ले. एक लीटर नीम के बीज के अर्क को 9 लीटर पानी में घोलें , इस घोल में 100 मिली साबुन या स्टीकर डालें. अच्छी तरह से हिलाएं.

तुलसी के पत्ते का अर्क (एक्सट्रेक्ट) फल मक्खी का प्रबंधन के प्रबंधन हेतु

तुलसी के पत्ते का अर्क (एक्सट्रेक्ट) बनाते है जिसे बनाने की विधि है, इसमे सर्वप्रथम 50 ग्राम तुलसी के पत्तों को पीस लेते है, उसे रात को 2-3 लीटर पानी में भिगो दें सुबह उसे छान ले इसके बाद 8-12 मिली तरल साबुन डालें, अच्छी तरह से हिलाएं. इस घोल से कैटरपिलर,फल मक्खियां,लाल मकड़ी, चित्तीदार पत्ती भृंग इत्यादि कीड़े प्रबंधित होते है.

English Summary: Scientific method of making neem tulsi pesticide used in fruits and vegetables
Published on: 18 October 2024, 11:23 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now