मेंहदी की खेती किसानों को बड़ा मुनाफा दे सकती है. भारत में इसकी मांग का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि किसी भी तरह के शुभ एवं मंगल आयोजन बिना मेंहदी के पूरे नहीं हो सकते. सौन्दर्य एवं श्रृंगार बढ़ाने के साथ-साथ मेहंदी कई कारणों से सेहत के लिए भी लाभदायक है. इसको बालों में अगर लगाया जाए, तो रूसी की शिकायत दूर हो जाती है.इसी तरह इसकी पत्तियां का उपयोग चर्म रोगों के उपचार में भी किया जाता है. गर्मी के मौसम में स्किन के जलने पर इसका लेप राहत देता है. इसी तरह घाव पर इसका लेप लगाया जाए, तो घाव जल्दी भरते हैं. यही कारण है कि बाजार में इसकी भारी मांग है. चलिए आपको इसकी खेती के बारे में बताते हैं.
मेहंदी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for Heena Cultivation)
मेंहदी की खेती शुष्क व अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में बहुवर्षीय फसल के रूप में की जाती है. इसकी उपज लगभग हर तरह की जलवायु में प्राप्त हो सकती है. हमारे यहां मुख्य रूप से इसकी खेती राजस्थान के क्षेत्रों में होती है.
मेहंदी की खेती के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for Heena Cultivation)
वर्षा ऋतु से पहले का समय मिट्टी की जुताई के लिए बेहतर है. खेत को समतल बनाते हुए मिट्टी को भुरभुरा बना लें. आप चाहें अंतिम जुताई के समय जैविक खाद का उपयोग करें.
मेहंदी का पौधा रोपण (Planting of Henna)
इसकी खेती के लिए जुलाई माह में अच्छी वर्षा होने पर पौधों को लगाएं. पौधों के मध्य एक जैसी दूरी रखें. पौधों को लगाने के बाद वर्षा न होने पर सिंचाई करें.
मेहंदी की निराई गुड़ाई (Weeding of Heena)
मेंहदी के अच्छे फसल प्रबन्धन के लिए समय-समय पर निराई गुड़ाई करना जरूरी है. जून-जुलाई में प्रथम वर्षा के बाद खरपतवारों के बढ़ने की संभावना होती है, इसलिए गुड़ाई अच्छी तरह गहराई तक करें.
मेहंदी की कटाई (Henna Harvesting)
पत्ति उत्पादन व गुणवत्ता को देखते हुए पुष्पावस्था कटाई के लिए सर्वोत्तम है. आम तौर पर मेंहदी की कटाई सितम्बर-अक्टूबर माह में की जाती है. कटाई के लिए हसिया आदि औजारों का उपयोग करें.
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