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Updated on: 6 March, 2023 3:00 PM IST
टमाटर की खेती की जानकारी

टमाटर सब्जियों की श्रेणी में उगाई जाने वाली एक प्रमुख फसल है. टमाटर को फल और सब्जी दोनों के तौर पर सेवन में लाया जाता है. टमाटर में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं. तभी तो देश सहित पूरे विश्व में टमाटर का उपयोग विभिन्न प्रकार के उत्पादों के लिए किया जाता है. इसमें कोई दोराय नहीं है कि अच्छे फसल के उत्पादन के लिए खेतों में खाद का होना बहुत जरूरी है. यदि फसल को समय पर खाद नहीं दी जाती है तो फसल में कीट और रोग पनपने लगते हैं. आज हम इस लेख के माध्यम के किसानों को रसायनों के विवेकपूर्ण उपयोग से साथ टमाटर की वैज्ञानिक खेती की जानकारी देने जा रहे हैं.

टमाटर की खेती के लिए जलवायु

टमाटर की खेती के लिए जलवायु का एक अहम योगदान होता है, क्योंकि टमाटर की फसल पाले के प्रति बिलकुल भी सहनशील नहीं होती है. टमाटर की फसल के अच्छे उत्पादन के लिए 18 से 27 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त माना जाता है. इसके अलावा 21 से 24 डिग्री सेल्सियस का तापमान टमाटर में लाल रंग विकसित करने में अहम योगदान देता है.

टमाटर की बुवाई का समय

देखा जाए तो टमाटर की खेती यूं तो पूरे साल की जाती है, मगर ग्रीष्मकालीन फसल के लिए नवम्बर से दिसंबर का समय, शरदकालीन फसल के लिए जुलाई से सितम्बर का समय और पहाड़ी इलाकों के लिए मार्च से अप्रैल का समय उपयुक्त माना जाता है.

टमाटर के खेत की तैयारी

टमाटर की खेती के लिए खेत की मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए. साथ ही इसकी खेती के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है. इसके अलावा खेत में पाटा लगाकर मिट्टी को भुरभुरी व समतल बनाना चाहिए.

टमाटर के बीज की मात्रा

टमाटर की फसल के लिए संकुल किस्म की बुवाई 400 ग्राम प्रति हेक्टेयर की बुवाई करें. साथ ही संकर किस्म के लिए 150-200 ग्राम प्रति हेक्टयर की बुवाई करनी चाहिए.

खाद एवं उर्वरक

मिट्टी की गुणवत्ता के अनुसार खाद और उर्वरक की मात्रा निर्धारित की जानी चाहिए. सामान्यत: पर 200-250 क्विंटल सड़ी हुई गोबर या कम्पोस्ट खाद के साथ 220 कि. ग्रा. यूरिया, 150 कि. प्रा. डी० ए० पी० एवं 100 कि. ग्रा. म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति हेक्टर की दर से प्रयोग करना चाहिए.

यूरिया की एक तिहाई मात्रा तथा डी० ए० पी० व म्यूरेट ऑफ पोट की पूरी मात्र रोपाई से पूर्व प्रयोग करनी चाहिए. यूरिया की शेष मात्रा को दो बराबर भागों में कर 25-30 दिनों एवं 45-50 दिनों बाद खड़ी फसल में बुरकाव करना चाहिए.

टमाटर की खेती के लिए सिंचाई

टमाटर की फसल में सर्दियों में 10 से 15 दिनों के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए, तो वहीं गर्मियों के दौरान 6 से 7 दिनों के अंतराल में सिंचाई करना उपयुक्त माना जाता है. यदि संभव हो तो टपका सिंचाई विधि से सिंचाई करनी चाहिए.

टमाटर की उन्नत किस्में

देसी किस्म-  पूसा-120, पूसा रूबी, पूसा गौरव,पूसा शीतल, पूसा रोहिणी, पूसा सदाबहार, एवं पूसा उपहार

संकर किस्म-  पूसा हाइब्रिड-1,2,4,8, अर्का रक्षक, रेड गोल्ड, अविनाश, अविनास 22535 उत्सव, हिमशिखर, चमत्कार, अनूप, हिमसोना, अभिनय, एवं पू. एस. 440 आदि.

टमाटर की फसल में लगने वाले कीट और रोग

फल छेदक

टमाटर में फल छेदक कीट पूरी फसल को खराब कर देता है. यह कीट फल के अंदर चला जाता है. जिससे पूरी टमाटर की फसल बर्बाद होने लगती है.

सफेद मक्खी

इस प्रकार के कीट टमाटर की पत्तियों की ऊपरी सतह पर रस चूसते हैं एवं पत्तियों में विषाणु छोड़ देते हैं जिसके कारण पत्तियां सिकुड़ जाती हैं एवं नीचे की तरफ मुड़ने लगती हैं. इसके निपटान के लिए प्रति एकड़ की दर से 2-3 येलो स्टिकी ट्रैप लगाना चाहिए.

पर्ण सुरंगक

यह कीट मात्र 2 से 2 दिनों के दौरान पौधे की पत्तियों को नुकसान पहुंचा कर उसे खत्म कर देता  है.

अगेति झुलसा रोग

फसल में यह रोग होने पर कोयले जैसे मटमैले काले धब्बे मुख्यतः पत्तियों के किनारो पर दिखाई देते हैं. अधिकतर किस्मों में लक्षण वी (V) आकार के होते हैं. इसके लक्षण पौधे की बढ़वार के समय और फूल आने से पहले दिखाई देते हैं.

पछेती झुलसा रोग

इस रोग से ग्रसित पौधे की पत्तियां पर हल्के पीले हरे रंग के पानी में भीगे हुए या मृत क्षेत्र के समान दिखाई देते हैं. यह रोग सुबह के वक्त गीला और दिन के वक्त सूखा दिखाई देता है. यह  रोग का प्रकोप बहुत ही खतरनाक होता है, जिससे पूरी पत्तियां नष्ट होने लगती हैं.

रोग और कीटों को कैसे दूर करें

    • जड़ सहन तथा मृदा जनित रोगों से बचाव हेतु पौधशाला की क्यारियों में अच्छे जल निकास का प्रबंध करें.

    • मृदा जनित नाशीजीव को कम करने में भू-तपन या सौरीकरण काफी लाभकारी होता है. इसके लिए क्यारियों को 0.45 मि. मी. मोटी पॉलीथिन शीट से कम से कम 3 हफ्तों के लिए ढकना चाहिए.

ये भी पढ़ेंः टमाटर की उन्नत खेती कैसे करें

  • 1 कि.ग्रा. गोबर की सड़ी हुई खाद में 50 ग्राम फफूंदनाशक ट्राइकोडर्मा हार्जियनम को गुड़-पानी के साथ मिलाए तथा उसको 7 दिनों तक छाया में रखकर 1 वर्ग मीटर क्यारी की मिट्टी में अच्छी प्रकार मिला दें.

  • बीज का शोधन ट्राइकोडर्मा विरडी 4 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से करें.

  • पाला तथा ठंड से बचाव के लिए दिसंबर-जनवरी के मध्य पौधशाला की क्यारियों को पॉलीथिन की चादर से ढकें जिसे दिन के समय अवश्य हटा दें.

  • यदि नर्सरी में एफिड, सफेद मक्खी या थ्रिप्स का आक्रमण हो तो डाइमिथोएट 1 ग्राम प्रति लीटर के घोल का छिड़काव करें.

 

English Summary: Scientific cultivation of tomato with optimum use of fertilizer
Published on: 06 March 2023, 12:11 PM IST

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