Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 12 June, 2024 2:09 PM IST
मक्का की वैज्ञानिक खेती , सांकेतिक तस्वीर

मक्का/Maize एक प्रमुख खाद्यान्न फसल है. जो मोटे अनाजों की श्रेणी में आता है. इसे भुट्टे की रूप में भी खाया जाता है. मक्के का नर भाग सबसे पहले परिपक्व होता है .

भारत में सात प्रकार के मक्का पाए जाते हैं

  1. पॉप कॉर्न (जिया मेज ईवर्टा)

  2. स्वीट कॉर्न  (जिया मेज सेकेराटा)

  3. फ्लिण्ट कॉर्न (जिया मेज इण्डुराटा)

  4. वौक्सि कॉर्न (जिया मेज सेकेराटा)

  5. पोड कॉर्न (जिया मेज ट्युनिकाटा)

  6. फ्लोर कॉर्न (जिया मेज इमालेशिया) 

  7. डेण्ट कॉर्न (जिया मेज इण्डेंटाटा)

मक्के का परिचय

मक्का एक प्रमुख खाद्यान्न फसल है. जो मोटे अनाजों की श्रेणी में आता है. इसे भुट्टे की रूप में भी खाया जाता है. बलुई दोमट मिट्टी मक्का की खेती के लिये सर्वोत्तम होती है. मक्का की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है. मक्का खरीफ ऋतु की फसल है, लेकिन जहाँ सिंचाई के साधन है वहाँ रबी व खरीफ की अगेती फसल के रूप में ली जा सकती है. मक्का उपयोग मुर्गी एवम्‌ पशु के आहार के रूप में किया जाता है.

जलवायु एवम्‌ भूमि -: मक्का ऊष्ण और आर्द्र जलवायु की फसल है, ऐसी भूमि जहां पानी का निकास अच्छा हो, उपयुक्त रहती है.

खेत की तैयारी-: खेत की तैयारी के लिये पहला पानी गिरने के बाद पता चला देना चाहिये. यदि गोबर की खाद का प्रयोग करना हो तो पूर्ण रूप से सड़ी हुई खाद अंतिम जुलाई के समय जमीन में मिला दें. रबी के मौसम में कल्टीवेटर से दो जुलाई करने के बाद दो हैरो चला दे .

बुवाई का समय

  • खरीफ – जून से जुलाई तक

  • रबी – अक्टूबर से नवम्बर तक

  • जायद – मार्च से अप्रैल

मक्का का किस्म

Variety (किस्म    Duration (अवधि)  Production (उत्पादन)

गंगा-5                100-105            50-80 कुण्टल / हेक्टेयर

डेक्कन-101          105-115           60-65 कुण्टल / हेक्टेयर

गंगा सफेद             105–110          50-55 कुण्टल / हेक्टेयर

गंगा -11               100-105          60-70 कुण्टल / हेक्टेयर

डेक्कन-103           110-115          60-65 कुण्टल / हेक्टेयर

मक्के की बीज दर

(1) संकर- 12-15 किलोग्राम / हेक्टेयर
(2) कम्पोजिट - 15-20 किलोग्राम / हेक्टेयर
(3) हरे चारे के लिये – 40-45 किलोग्राम / हेक्टेयर

फफूंदनाशक दवा, सांकेतिक तस्वीर

बीजोपचार -: बीज को बोने से पूर्व किसी फफूंदनाशक दवा जैसे थीरम या एग्रोसेन जी.एन 2.5 -3 ग्राम / किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करके बोना चाहिये .

पौध अंतरण

(1)  शीघ्र पकने वाली – कतार से कतार 60 cm पौधे-पौधे की दूरी  20 cm
(2)  मध्यम व देर से पकने वाली कतार से कतार की 75 cm व पौधे-पौधे की दूरी 25 cm
(3)  हरे चारे के लिये कतार से कतार  की 40 cm व पौधे-पौधे की दूरी 25 cm

खाद उर्वरक की मात्रा

(1) सड़ी हुई गोबर की खाद टन/ हेक्टेयर प्रयोग करनी  चाहिए.
(2) शीघ्र पकने वाली किस्मों में NPK की मात्रा 80:50:30
(3) मध्य पकने वाली किस्मों में NPK की मात्रा 120:60:40
(4) देर से पकने वाली किस्मों में NPK की मात्रा 120:75:50

सिंचाई -: मक्का की फसल को लगभग 400-600 मिलीलीटर पानी आवश्यकता होती है . इसमें सिंचाई हमेशा पुष्पन तथा दाना भरते समय करनी चाहिये.

मक्का फसल में लगने वाले कीट, सांकेतिक तस्वीर

कीट प्रबंधन

मक्का का धब्बेदार तना छेदक-:  इस कीट की इल्ली जड़ को छोड़कर शेष सभी भागों को नुकसान पहुंचाती है . इसके नुकसान से प्रारम्भ में तना सूख जाता है .

गुलाबी तना छेदक-: इस कीट की इल्ली तने के मध्य भाग को नुकसान पहुंचाती है. फलस्वरूप मध्य तने से डेड हर्ट का निर्माण होता है, जिससे दाने नहीं बनते हैं.

मक्के के रोग

(1) पत्तियों का झुलसा रोग -: पत्तियों पर लम्बे नाव के आकार के भूरे धब्बे बनते है और नीचे की पत्तियां पूरी तरह सूख जाती हैं.

 उपचार -: जिनेब 0.12 प्रतिशत का छिड़काव करना चाहिये .

(2) तना गलन -: पौधे की निचली गांठ से रोग का संक्रमण होता है, तथा गलन की स्थिति प्रारम्भ होती है और पौधे की पत्तियां सूख जाती है, और पौधे बड़े होकर गिर जाते हैं.

उपचार -: केप्टान 150 ग्राम/100 लीटर/हेक्टेयर पानी में घोलकर जड़ों के पास डालना चाहिए.

मक्के में लगने वाले कीट एवं उपचार -:

(1)     दीमक दीमक का खड़ी फसल में लगने पर क्लोरोपायरीफॉस 20% ई.सी. 2.5 लीटर/ हेक्टेयर की दर से उपयोग करना चाहिये .

(2)     सूत्रक्रमी - रासायनिक नियंत्रण के लिये बुबाई के एक सप्ताह पूर्व खेत मे फोरेट 10G को मिलाना चाहिये .

(3)     प्ररोह मक्खी- इसके नियंत्रण के लिये कार्बोफ्यूरान 3जी 20 किलोग्राम/ हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिये.

(4)     तना छेदक-: इसके नियंत्रण के लिये कार्बोफ्यूरान 3जी 20 किलोग्राम/हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिये .

फसल की कटाई-: संकर व संकुल 90-115 दिन में कटाई के लिये तैयार हो जाती है. लगभग 25 प्रतिशत नमी होने पर कटाई करनी चाहिये.

भण्डारण -: कटाई व गहाई पश्चात पश्चात दानों को अच्छी तरह सुखाकर भंडारित करना चाहिये, यदि दानों का उपयोग बीज के लिये कर रहे हैं तो नमी का प्रतिशत 12 से अधिक नहीं होना चाहिए. भंडारण करने के लिए क्विकफोस की 3ग्राम की गोली प्रति कुण्टल के हिसाब से डालनी चाहिये.

लेखक:

विवेक कुमार  त्रिवेदी1 और देवाषीष  गोलुई2
1नर्चर.फार्म, बंगलौर
2भा.कृ.अ.प.  भारतीय  कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली  110012 

 

English Summary: Scientific cultivation of maize crop in hindi
Published on: 12 June 2024, 02:19 PM IST

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