अमूल जल्द लॉन्‍च करने जा रहा है 'सुपर म‍िल्‍क', एक गिलास दूध में मिलेगा 35 ग्राम प्रोटीन पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान से जुड़ी सभी जानकारी, जानें कब, कैसे और किस प्रक्रिया का करें इस्तेमाल 150 रुपये लीटर बिकता है इस गाय का दूध, जानें इसकी पहचान और विशेषताएं भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! आम की फसल पर फल मक्खी कीट के प्रकोप का बढ़ा खतरा, जानें बचाव करने का सबसे सही तरीका
Updated on: 4 August, 2020 2:53 AM IST

जिन पौधों से आर्थिक लाभ ज्यादा होता है उसमें चंदन की लकड़ी भी शामिल है. औषधीय गुणों और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में चंदन का इस्तेमाल होते रहने से बाजार में हमेशा इसकी मांग बनी रहती है. इसलिए किसानों के लिए चंदन की खेती करना मुनाफा का बिजनेस साबित हो सकता है. यह परंपरागत खेती से अलग है लेकिन औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण विश्व के बाजारों में इसकी मांग है.

पूजा- पाठ और अन्य धार्मिक अनुष्ठान समेत चंदन की लकड़ी का इस्तेमाल औषधि तथा सुगन्धित इत्र बनाने में किया जाता है. इसलिए इसकी मांग भारत जैसे बहु संस्कृति वाला देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में है. बाजार में मांग की तुलना में चंदन की खेती कम होती है. इसलिए चंदन की लकड़ी कीमती मानी जाती है. भारत में ही 7,000 से 8,000 टन प्रति वर्ष चंदन की लकड़ी की खपत है लेकिन उत्पादन 100 टन तक ही सीमित है. इसलिए इसकी कीमत 6,000 से लेकर 12,000 रुपए प्रति किलो है. पूरे विश्व में चन्दन की 16 प्रजातियां है. इसमें सेंत्लम एल्बम प्रजातियां सबसे सुगन्धित तथा औषधीय गुणों से परिपूर्ण मानी जाती है. इसके अलवा सफ़ेद चन्दन, सेंडल, अबेयाद, श्रीखंड, सुखद संडाल प्रजातियां भी प्रमुखता से पाई पाई जाती है. चंदन की खेती के लिए किसानों को कुछ विशेष बातों पर ध्यान रखने की
जरूरत है.

मिट्टी का चुनाव

चन्दन की खेती सभी तरह की मिटटी में हो सकती है लेकिन रेतीली मिटटी, चिकनी मिटटी, लाल मिटटी, काली दानेदार मिट्टी चन्दन के पौधे की लिए ज्यादा उपयुक्त है. चन्दन की खेती वैसी जगहों पर नहीं करना चाहिए जहां पर पानी जमता हो और बर्फ गिरता हो. रेतिली मिटटी और तीव्र ठंड भी चन्दन के लिए उपयुक्त नहीं है. काश्मीर के लाद्दक तथा राजस्थान के जैसलमेर चंदन की खेती के लिए उपयुक्त नहीं हैं. वैसे पूरे देश में चन्दन की खेती की जा सकती है. पश्चिम बंगाल में वन वाले क्षेत्र चंदन की खेती के लिए उपयुक्त है.

ये खबर भी पढ़े: सफ़ेद चन्दन की खेती करके 1 लाख से कमाएं 60 लाख

खेती करने का तरीका

चंदन की खेती के लिए मिट्टी के साथ पौधे का चुनाव करना महत्वपूर्ण रहता है. सफ़ेद चन्दन के 375 पौधे एक एकड़ खेत में लगाए जा सकते हैं. चन्दन के पौधों में ज्यादा पानी नहीं लगना चाहिए. इसके लिए खेत में मेड़ बनाकर रोपाई करना चाहिए. इसके लिए मेड़ से मेड़ की दूरी 10 फुट होना चाहिए तथा मेड़ के ऊपर पौधे से पौधे की दूरी 12 फुट की होनी चाहिए. चंदन की खेती करने के इच्छुक किसानों को एक बात जान लेनी चाहिए कि इसका पेड़ अकेले नही लगाया जा सकता है. अगर अकेले चन्दन का पेड़ लगाया गया तो यह सुख जायेगा. इसका कारण यह है की चन्दन अर्धपरजीवी पौधा है. अपने आधा जीवन के लिए जरूरत खुद पूरा करता है तो आधे जरूरत के लिए दूसरे पौधे की जड़ों पर निर्भर रहता है. इसलिए जब भी चन्दन की पेड़ लगाएं तो उसके साथ और भी पेड़ लगाएं.

एक बात का ख्याल रखना होगा की चन्दन के साथ कुछ खास पौधे लगाए जाते हैं जिससे चन्दन का विकास स्वाभाविक रूप से होता है. इसलिए एक एकड़ में 375 सफ़ेद चन्दन के पौधे लगाने के साथ ही 125 साथी पौधे को लगाने की भी जरूरत पड़ती है. एक एकड़ में चन्दन के पौधे के साथ उसके साथी पौधे को भी रोपना चाहिए. प्राथमिक पौधे लाल चन्दन, कैजुराइना, देसी नीम के साथ साथी पौधे मीठी नीम और सहजन आदि का पौधा लगाना ज्यादा उपयुक्त होता है.

चन्दन के पौधे या बीज कहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं ?

चन्दन की खेती के लिए बीज तथा पौधे दोनों खरीदे जा सकते हैं. इसके लिए केंद्र सरकार की लकड़ी विज्ञान तथा तकनीक संस्थान (institute of wood science & technology) बंगलौर से संपर्क कर सकते हैं. यहां से आप चन्दन के पौधे प्राप्त कर सकते हैं. इसके अलवा उत्तर प्रदेश में भी एक नर्सरी है जहां से इसकी जानकारी तथा पौधे प्राप्त कर सकते हैं. उत्तर प्रदेश में चंदन की नर्सरी के लिए मशहूर albsan aegrofrestry प्राईवेट लिमटेड से संपर्क कर सकते हैं. वैसे मुख्य रूप से चंदन की खेती आंध्र प्रदेश, तेलांगाना, गुजरात, बिहार, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडू आदि राज्यों में होती है लेकिन व्यवसायिक रूप से चंदन की खेती कुछ विशेष सावधानी बरतने के साथ पूरे देश में कहीं भी की जा सकती है.

English Summary: sandalwood farming is benefited business for Farmer
Published on: 04 August 2020, 03:01 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now