Sahfasli Kheti: किसान लगातार पारंपरिक खेती करते आ रहे हैं, जिसमें वह एक समय में एक ही फसल को उगाते रहे हैं. इससे किसानों को एक ही फसल पर हुआ खर्च व लागत ही मिल पाती है. कभी-कभी तो मौसम की विषम परिस्थितियों के काऱण उसे नुकसान उठाना पड़ता है. इससे किसानों को आर्थिक स्थिति का सामना करना पड़ता है. इन्हीं समस्याओं को देखते हुए किसानों का सहफसली खेती की ओर रुझान बढ़ा है, जिससे किसान एक खेती के खर्च में दो फसलों का मुनाफा कमा रहे हैं. यदि आप भी सहफसली खेती करने चाहते हैं, तो आपको फसलों के चयन में कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है.
मुख्य फसलों की दो पक्तियों के बीच में जल्दी पककर तैयार होने वाली फसलें बोई जा सकती हैं. रबी सीजन में मुख्य फसलों के साथ सहफसली खेती किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होती है.
क्या है सहफसली खेती?
सहफसली खेती एक ऐसी तकनीक है जिसके माध्यम से एक ही खेत में दो फसलें उगाई जाती हैं. इस तकनीकी से खेतों में दिए जाने वाले मुख्य फसल के लिए आवश्यक पोषक तत्वों से ही सहफसली के पौधे अपने लिए आपूर्ति कर लेते हैं.
अनाज फसल
सहफसली की खेती में तिलहन और सब्जी फसल को उगा सकते हैं. सहफसली को उगाने के लिए एक अनुपात में उगाना चाहिए. जैसे गेहूं की फसल के साथ सरसों. इसके लिए 9 गेहूं की लाइन के बाद एक सरसों की लाइन होनी चाहिए. वहीं मक्का के साथ पत्ता गोभी के लिए 1:1 के अनुपात में लगा सकते हैं.
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सब्जी फसल
सहफसली खेती करने के लिए लता वाली सब्जी फसल को क्यारी बनाकर उगाते हैं तो बैंगन और टमाटर जैसी फसल को उगा सकते हैं. गेहूं और सरसों की फसल के साथ आलू की फसल को उगा सकते हैं. सरसों की खेती में 3:1 के अनुपात में आलू को उगा सकते हैं.
व्यापारिक फसल
सहफसली खेती के लिए गन्ना, सब्जियां और कई तरह की औषधीय फसलें शामिल हैं, जिन्हें सहफसली के रूप में उगाकर कमाई कर सकते हैं. जैसे गन्ने के साथ मटर और आलू जैसी सब्जी फसल उगा सकते हैं.
मसाला फसल
मसाला फसलों की भी सहफसली खेती की जा सकती है. जैसे आलू के साथ लहसुन को उगाया जा सकता है. इसके अलावा प्याज के साथ लहसुन और गन्ने के साथ धनिया को उगाया जा सकता है.
दलहनी फसल
सहफसली की खेती में दलहनी फसल बेहद फायदेंमंद होती है. क्योंकि दलहनी फसलों को सहफसली के रूप में उगाने से पौधों को उर्वरक के रूप में नाइट्रोजन मिलती रहती है. इस वजह से दलहनी फसलों को लगभग सभी फसलों के साथ उगाना फायदेंमंद होता है.