Saffron Cultivation: देश के किसान अपने खेत से अधिक मुनाफा पाने के लिए कई तरह की फसलों को करते हैं. देखा जाए तो किसान परंपरागत खेती/ Traditional Farming को छोड़कर अन्य फसलों को अपना रहे हैं. भारत के ज्यादातर किसान अधिक मुनाफा पाने के लिए केसर की खेती/ Kesar ki Kheti की तरफ तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. केसर की खेती सबसे अधिक ईरान के किसानों के द्वारा की जाती है. वहीं, अगर हम भारत की बात करें, तो देश में इसकी खेती सबसे अधिक कश्मीर में की जाती है.
जैसा की आप सब लोग जानते हैं कि देश-विदेश के बाजार में केसर की मांग सबसे अधिक हैं. ऐसे में अगर देश के किसान केसर की खेती करते हैं, तो किसान कम समय में ही मोटी कमाई कर सकते हैं. ऐसे में आइए केसर की खेती के बारे में विस्तार से जानते हैं-
केसर की खेती/ Saffron Cultivation
भारत में केसर की खेती का सही समय मध्य जुलाई का समय अच्छा माना जाता है. इसकी खेती कंद के माध्यम से की जाती है. इसके लिए किसानों को अपने खेत में करीब 6 से 7 सेंटीमीटर का गड्ढा करना चाहिए और साथ ही इनके बीच की दूरी करीब 1 सेंटीमीटर तक रखें.
खेत में एक बार केसर का कंद लगाने के बाद 15 दिन में तीन बार हल्की सिंचाई करनी चाहिए. केसर की खेती से केसर का पौधा अक्टूबर के महीने में फूलना शुरू हो जाता है. केसर के फूल सुबह खिलते हैं और जैसे-जैसे दिन ढलता जाता है फूल भी मुरझाते जाते हैं. किसान तीन से चार महीने में ही केसर की खेती से अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.
केसर की खेती के लिए मिट्टी/Soil For Saffron Cultivation
अगर आप केसर की खेती से अच्छा उत्पादन प्राप्त करना चाहते हैं, तो इसकी खेती के लिए अम्लीय से तटस्थ, बजरी, दोमट और रेतीली मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है. इसके अलावा इसकी खेती के लिए मिट्टी का ph मान 6 से 8 अच्छा होता है.
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केसर की पत्तियां/ Saffron Leaves
देखा जाए तो केसर में किसी तरह के बीज व पेड़ आदि नहीं निकलते हैं. इसके पौधे में बस एक लाल रंग का फूल निकलता है, जिसके कारण केसर को रेड गोल्ड के नाम से भी जाना जाता है. बता दें कि केसर के पौधे की तीन पत्तियां होती हैं, जोकि पीली रंग की होती है. यह पत्तियां किसी काम की नहीं होती हैं. केसर के पौधे को अच्छे से विकसित होने के लिए अच्छी धूप की जरूरत होती है.