भारत के विभिन्न इलाकों में अलग-अलग तरह की घास उगती हैं. इनमें से कुछ घास किसी भी काम की नहीं होती हैं और कुछ बेहद ही काम की होती हैं. मुनाफा प्राप्त करने के लिए देश के कुछ किसान इन घासों की खेती भी करते हैं.
तो आइए आज के इस लेख में हम ऐसी घास के बारे में जानने की कोशिश करेंगे, जिसकी बाजार में बहुत ज्यादा मांग होती है. जी हां हम बात कर रहे हैं रोशा घास की, जोकि एक बहुवर्षीय सुगन्धित घास है.
रोशा घास क्यों है इतनी खास ?
इस घास की सबसे अच्छी खासियत यह होती है कि इसमें सुगन्धित तेल (Essential oils) पाया जाता है, जिसकी बाजार में कीमत उच्च होती है. अगर किसान भाई इसे अपने खेत में उगाते हैं, तो पारंपरिक खेती के मुकाबले लागत कम और मुनाफा सबसे अधिक मिलता है. देखा जाए तो रोशा घास से निकाले गए तेल को देश-विदेश के बाजारों में खूब पसंद किया जाता है. कुछ स्थानों पर तो लोग इसके तेल को ब्लैक से बेचकर अच्छा लाभ कमा रहे हैं.
एक बार करें रोपाई 6 साल तक मिलेगा लाभ
किसानों के लिए यह घास इसलिए भी लाभदायक है क्योंकि रोशा घास की एक बार खेत में रोपाई करने के बाद किसान 3 से 6 साल तक इसकी अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. ये ही नहीं इसकी फसल में कीट व रोगों लगने की संभावना बहुत ही कम होती है. इसी के चलते इसे कम लागत में मुनाफे की खेती कहा जाता है.
जलवायु
रोशा की खेती गर्मी के महीने में अच्छी तरह से की जा सकती है, क्योकि इसका पौधा 10 डिग्री से लेकर 45 डिग्री सेल्सियस तक तापमान सहन कर सकता है. इसी कारण से इसके पौधे गर्म और नमी वाली जलवायु में तेजी से बढ़ते हैं.
खेती की मिट्टी
रोशा घास की खेती के लिए मिट्टी हल्की दोमट होनी चाहिए. जिसमें पानी नहीं ठहर सके. साथ ही ऐसे इलाकों का चयन करें, जहां 100 से 150 सेंटीमीटर वर्षभर बारिश होती हो. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह पौधा 150 से 250 सेंटीमीटर तक बढ़ता है.
खेत की तैयारी
इसके लिए आपको रोपाई विधि यानी की बीज या फिर पौध रोपण से करनी चाहिए. मिट्टी को अच्छी तरह से भुरभुरी बनाएं. इसलिए आप खेत में हैरो या कल्टीवेटर को चलाकर जुताई करें. जब आप खेत की आखिरी जुताई कर रहे हों, तो उस समय खेत में 10 से 15 टन सड़ी गोबर की खाद डालकर जुताई करें.
इस महीने में लगाएं पौधे
रोशा धास के पौधों को नर्सरी विधि के माध्यम से अप्रैल-मई महीने के दौरान तैयार करना चाहिए. ध्यान रहे कि खेत में बीज को रेत के साथ मिलाकर लगभग 15-20 सेंटीमीटर की दूरी और 1-2 सेंटीमीटर की गहराई या फिर क्यारियों के ऊपर छिड़ककर बीजों को बोए. नर्सरी में तैयार किए गए पौधे लगभग 1 महीने में खेत में रोपाई के लिए अच्छे से तैयार हो जाते हैं.
सिंचाई
इसके पौधे की रोपाई से पहले किसानों को अच्छी तरीके से सिंचाई करनी चाहिए. गर्मियों के महीने में आप 3-4 सिंचाई करें. ध्यान रहे कि कटाई के दौरान सिंचाई नहीं करें और एक बार कटाई हो जाए तो फिर से सिंचाई जरूर करें. तभी आप रोशा घास की पैदावार दोबारा प्राप्त कर पाएंगे.
बाजार में रोशा तेल की कीमत
अब आप सोच रहे होंगे कि रोशा घास (Rosha Grass) जब इतनी सुगंधित है, तो इसका बाजार में बस तेल ही मिलता है. लेकिन ऐसा नहीं बाजार में रोशा घास से इत्र, सौन्दर्य के कई तरह के उत्पाद भी मिलते हैं. ये ही नहीं बाजार में इसकी एंटीसेप्टिक, दर्द निवारक दवा, त्वचा रोगों, हड्डी के लिए जोड़ों का तेल, आदि उत्पादों को तैयार कर बाजार में बेचा जाता है.
भारतीय बाजार में रोशा तेल (Rosha Oil) की लगभग प्रति हेक्टेयर कीमत 200 से 250 लीटर तक है. यह कीमत अलग-अलग राज्यों में विभिन्न हो सकती है.