भारत में आजकल विदेशी सब्जियां बेहद पसंद की जा रही हैं. इन सब्जियों में से एक सब्जी रोमन लेट्यूस ( roman lettuce) है. यह पत्तेदार नकदी फसल ( cash crop) है. भारतीय बाजारों में यह अच्छी खासी कीमत पर बिकती है. इसका प्रयोग सलाद, बर्गर, पिज़्ज़ा जैसे कई व्यंजन बनाने में भी होता है.
रोमन लेट्यूस की पत्तियां हरी होती हैं और इसे सूरजमुखी परिवार का सदस्य माना जाता है. इसकी खेती करना बेहद आसान है इसे परंपरागत तरीके से भी उगाया जा सकता है और हाइड्रोपोनिक तकनीक से भी.
किस तरह करें रोमन लेट्यूस की खेती
रोमन लेट्यूस की खेती से वर्षभर फसल प्राप्त की जा सकती है, लेकिन ऐसा ठंडा वातावरण इसके लिए बेहतरीन होता है, जिसमें पर्याप्त धूप और पानी भी हो. आजकल कुछ किसान बाजार मांग के अनुसार, पॉलीहाउस द ग्रीनहाउस पद्धति से भी रोमन लेट्यूस की खेती कर रहे हैं. रोमन लेट्यूस की सीधी बिजाई नहीं की जाती, बल्कि पहले नर्सरी तैयार की जाती है और फिर खेत की मेड़ों पर इसे रोपा जाता है. बलुई दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए उपयुक्त रहती है.
क्या रखें सावधानियां (precautions)
रोमन लेट्यूस की खेती के दौरान इसके आसपास कई बार खरपतवार उग जाते हैं जो कि फसल को खराब कर देते हैं. इस खरपतवार को उखाड़कर हटा देना चाहिए. यदि समय समय पर मिट्टी में निराई-गुड़ाई नियमित रूप से की जाए, तो यह पत्तेदार सब्जी अच्छी पैदावार वाली हो सकती है.
जैविक कीटनाशकों का करें प्रयोग
रोमन लैट्यूस क्योंकि पत्तेदार सब्जी है, तो इसमें कीड़े लगने की संभावना और पत्तों के गलने की संभावना बहुत ज्यादा है, इसलिए समय-समय पर जैविक कीटनाशकों का छिड़काव भी जरूरी है.
अत्यंत कम समय में होती है तैयार
यह फसल अत्यंत कम समय में तैयार हो जाती है. इसे पकने में सिर्फ 40 दिन का समय लगता है.
हिमाचल प्रदेश में विदेशी सब्जियों की खेती की संभावनाएं
फसल तैयार होने के बाद बेचने में ना करें देरी
फसल तैयार होने के बाद 7 दिन के अंदर ही रोमन लेट्यूस को जड़ समेत काटकर बाजार में पहुंचा दिया जाना चाहिए, ताकि ये खराब ना हो.
बड़े शहरों के निकट खेती करना अधिक फायदेमंद
बड़े शहरों के नजदीकी इलाकों में रोमन लेट्यूस की खेती करना अधिक फायदेमंद है, क्योंकि फाइव स्टार होटलों और अमीर घरानों में इसकी मांग बहुत ज्यादा रहती है .