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Updated on: 14 February, 2023 9:00 PM IST
ज्वार की नई किस्म विकसित

कृषि वैज्ञानिक किसानों की सहायता के लिए कई वर्षों के शोध के बाद फसलों की नई किस्मों को  विकसित करते हैं, जिससे उत्पादन में वृद्धि हो सके. ऐसे ही विजयपुरा में क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान स्टेशन के वैज्ञानिकों ने ज्वार के उत्पादन को बढ़ाने के लिए बीजीवी-44 और सीएसवी-29 नाम की किस्म विकसित की हैं. वैज्ञानिकों का दावा है कि इन किस्मों से ज्वार के उत्पादन में वृद्धि आएगी.

अधिक मिलेगी पैदावार

वैज्ञानिकों का कहना है कि इन किस्मों के पौधे लंबे होते हैं, तो वहीं नियमित की तुलना में कम से कम 25% अधिक अनाज पैदा कर सकते हैं. साथ ही बीजीवी-44 काली कपास मिट्टी के लिए सबसे उपयुक्त है क्योंकि यह अधिक नमी बरकरार रखती है.

साथ ही CSV-29 किस्म की गुणवत्ता तुलनीय है. "किस्में पुराने एम-35-1 से बेहतर उत्पादन देती हैं. नई किस्म 22 से 25 क्विंटल चारा और 8 से 10 क्विंटल अनाज का उत्पादन कर सकती है.

पशुओं को चारे से अधिक पोषण मिलता है क्योंकि चारे में नमी अधिक होती है. वैज्ञानिकों की मानें तो ये किस्में न केवल अधिक उत्पादन करती हैं बल्कि कीटों का भी प्रतिरोध करती हैं. वर्तमान में हितिनाहल्ली गांव के पास एक केंद्र इन किस्मों की बिक्री करता है.

सीएसवी-29 किस्म उगाने वाले किसान सिद्धारमप्पा नवदगी के अनुसार, पौधे में पारंपरिक किस्म की तुलना में अधिक अनाज होता है. इस किस्म के साथ, "मुझे उम्मीद है कि मुझे अधिक उपज मिलेगी," उन्होंने कहा.

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ज्वार कई रोगों से लड़ने में कारगर

ज्वार (सोरघम) में एक परत होती है जिसमें कैंसर रोधी गुण होते हैं और यह मुक्त कणों से भी लड़ता है जो समय से पहले उम्र बढ़ने का कारण होते हैं. ज्वार में मैग्नीशियम, कॉपर और कैल्शियम मौजूद होते हैं और मजबूत हड्डियों और ऊतकों के विकास में सहायक होते हैं.

English Summary: RARS develops 2 new varieties of jowar 'BGV-44' and 'CSV-29'
Published on: 14 February 2023, 05:38 PM IST

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