अमूल जल्द लॉन्‍च करने जा रहा है 'सुपर म‍िल्‍क', एक गिलास दूध में मिलेगा 35 ग्राम प्रोटीन पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान से जुड़ी सभी जानकारी, जानें कब, कैसे और किस प्रक्रिया का करें इस्तेमाल 150 रुपये लीटर बिकता है इस गाय का दूध, जानें इसकी पहचान और विशेषताएं भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! आम की फसल पर फल मक्खी कीट के प्रकोप का बढ़ा खतरा, जानें बचाव करने का सबसे सही तरीका
Updated on: 10 June, 2022 4:40 PM IST
रजनीगंधा की खेती का चलन

फूल सभी को बहुत प्यारे लगते हैं और इनकी खुशबू भी. आजकल इनकी मांग बहुत बढ़ती जा रही है और ऐसे में यदि फूल रजनीगंधा के हों तो क्या कहने. जी, आपको रजनीगंधा फ़िल्म जरूर याद आ गई होगी. रजनीगंधा के फूल अपनी महक के कारण सबको बहुत पसंद आते हैं.

ये गुलदस्ते की शान होते हैं और स्त्रियां इन्हें आज भी बालों में लगाकर बहुत अच्छा महसूस करती हैं. आजकल डेस्टिनेशन वेडिंग में इन फूलों की मांग बहुत बढ़ गई है. रजनीगंधा के फूलों की सजावट मन को ताजगी और सुकून से भर देती है. यही कारण है कि आज सजावटी फूलों में इन्हें पसन्द किया जाता है. इनकी खेती करना किसान भाइयों के लिए मुनाफे का एक बढ़िया जरिया बन सकता है.

बदली है परम्परागत सोच

आजकल खेती के तौर तरीकों में बहुत बदलाव आया है. खेती-बाड़ी के पारंपरिक प्रतिमान फीके पड़ते नजर आ रहे हैं और किसान खेती के क्षेत्र में कुछ नया करना चाहते हैं. कुछ ऐसा कि उन्हें ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके और खेती सिर्फ जीविकोपार्जन का ही नहीं लाभ कमाने का भी जरिया बन सके, जिससे हमारे किसान भाई भी अपने जीवन स्तर को बेहतर बना सके और अपने बाल बच्चों के लिए सुविधाएं अर्जित कर सकें.

क्यों बढ़ा है रजनीगंधा की खेती का चलन

आजकल रजनीगंधा की खेती का चलन बढ़ा है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है इन फूलों का व्यापारिक महत्व. रजनीगंधा के फूलों की खासियत है कि ये फूल कई दिनों तक ताजा रहते हैं और इनकी मांग बाजार में बनी ही रहती है. रजनीगंधा के फूलों का प्रयोग सिर्फ सजावट के लिए ही नहीं कई प्रकार के तेल बनाने में भी किया जाता है.

कहां होती है रजनीगंधा की खेती

उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, पश्चिमी बंगाल, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के किसान इन दिनों रजनीगंधा की खेती खूब कर रहे हैं. जहां पहाड़ी क्षेत्रों में जून के महीने में इसकी खेती की जाती है, वहीं मैदानी क्षेत्रों में सितंबर माह में इसकी खेती की शुरुआत की जाती है.

रजनीगंधा की खेती के लिए उपयुक्त दशाएं

रजनीगंधा के फूलों की खेती के लिए खुला हवादार और ज्यादा प्रकाश वाला स्थान उपयुक्त होता है।

रजनीगंधा की खेती में लागत आती है कम

रजनीगंधा के फूलों की खेती करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें लागत बहुत कम आती है, क्योंकि इसे ज्यादा सिंचाई और देखभाल की आवश्यकता नहीं है. ऐसी स्थिति में मुनाफा ज्यादा पाने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.

ये भी पढ़ें: Village business Idea: किसानों को मालामाल कर देगी ग्रीन गोल्ड की खेती

इतने समय में आते हैं रजनीगंधा के फूल

रजनीगंधा के पौधों पर 4 से 5 महीनों में फूल आने प्रारंभ हो जाते हैं. एक हेक्टेयर में रजनीगंधा की खेती करने में जहां 1 से 2 लाख का खर्चा आता है, वहीं फूल भी कम प्राप्त नहीं होते. पहले साल में ही लगभग 90 से 100 क्विंटल फूल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से प्राप्त हो जाते हैं.

यानी सिर्फ एक हेक्टेयर में रजनीगंधा की खेती से 4 से पांच लाख का मुनाफा आराम से कमाया जा सकता है. यही कारण है कि आज किसानों का रुझान पारंपरिक खेती के बजाए खेती के आधुनिक प्रतिमानों की ओर बढ़ रहा है और इसीलिए रजनीगंधा की खेती खूब की जाने लगी है.

English Summary: rajnigandha cultivation will increase farmers' income, more profit at less cost
Published on: 10 June 2022, 04:47 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now