पश्चिम बंगाल में अक्सर दिसंबर व जनवरी में बाजार में प्याज की कमी देखी जाती है. बाजार में प्याज के जरूरतों को पूरा करने के लिए नासिक व अन्य राज्यों से प्याज मंगाना पड़ता है. अन्य राज्यों से प्याज मंगाने पर उसकी कीमत भी बढ़ जाती है. ठंड की शुरूआती मौसम में ही बाजार में प्याज की कीमतें आसमान छूने लगती है. इस बार पश्चिम बंगाल सरकार ने वर्षा कालीन प्याज का उत्पादन बढ़ाकर ठंड के मौसम में प्याज की मांग की पूर्ति करने व कीमत नियंत्रित रखने की रणनीति बनाई है.
खबरों के मुताबिक सरकारी सहयोग से बांकुड़ा जिला की ऊंची भूमि पर 400 बीघा में वर्षा कालीन प्याज की खेती शुरू करने की प्रक्रिया तेज की गई है. कृषि विभाग और जिला बागवानी विभाग ने सरकारी तौर पर किसानों में उच्च गुणवत्ता वाले प्याज के बीज वितरण किए है. वर्षा कालीन प्याज के उत्पादन को लेकर किसानों को उत्साह बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने प्रति बीघा प्याज की खेती पर किसानों को 600 रुपए का आर्थिक अनुदान दिया है.
बांकुड़ा जिला बागावानी विभाग के सूत्रों के मुताबिक जिला में ऊंचि भूमि वाले 350 बीघा क्षेत्र में प्याज की खेती शुरू कर दी गई है. अतिरिक्त और 50 बीघा जमीन में प्याज की खेती का दायरा बढ़ाने का प्रयास तेज किया गया है. किसानों में उत्साह बढ़ाने के लिए सरकार ने अनुदान की राशि बढ़ाने की घोषणा की है. सरकारी मूल्य पर बीज खरीदकर प्याज की खेती करने वाले किसानों को सरकार प्रति बीघा 2600 रुपए की आर्थिक अनुदान देगी.
बाकुड़ा जिला बागवानी विभाग के उप निदेशक मलय माझी के मुताबिक इस समय वर्षा कालीन प्याज रोप देने से नवंबर- दिसंबर तक वह तैयार हो जाएगा. ठंड के मौसम में बाजार में वर्षाकालीन प्याज की आवक होने के बाद जरूरतों को पूरा करना संभव होगा. इस बार वर्षाकालीन प्याज से लोगों की जरूरतें पूरी हो जाएगी और ठंड के मौसम में अन्य राज्यों से प्याज मंगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. लोगों को उचित मूल्य पर बाजार में प्याज उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य में वर्षाकालीन प्याज का उत्पादन बढ़ाने की प्रक्रिया तेज की गई है.
वर्षाकालीन प्याज रोपने के लिए सितंबर-अक्टूबर का महीना उपयुक्त होता है. हालांकि वर्षा काल में प्याज की क्यारियों में पानी लगने की आशंका होती है. प्याज की जड़ों में पानी लगने से उसके सड़न की आशंका रहती है और उत्पादन भी प्रभावित होता है. इसलिए वर्षा कालीन प्याज रोपने के लिए बांकुड़ा जिला में ऊची ढालू भूमि का चुनाव किया गया है. भूमि ऊंची और ढाल होने से वर्षा होने पर भी पानी नीचे की ओर बहकर निकल जाता है. इस तरह प्याज की सिंचाई भी हो जाती है और क्यारियों में पानी भी नहीं जमता है. वर्षा कालीन प्याज में थोड़ा सावधानी बरतने पर उत्पादन अच्छा होता है और किसानों के लिए यह लाभदायक खेती साबित होती है.
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