खुशखबरी! इन किसानों को मिलेंगे 10,000 रुपए, जानें क्या है योजना और कैसे उठाएं लाभ Vermicompost Identification: वर्मी कम्पोस्ट असली है या नकली? जानिए परखने के आसान तरीके Ration Card: 30 अप्रैल से पहले नहीं किया यह काम, तो मिलना बंद हो जाएगा राशन Rooftop Farming Scheme: छत पर करें बागवानी, मिलेगा 75% तक अनुदान, जानें आवेदन प्रक्रिया Diggi Subsidy Scheme: किसानों को डिग्गी निर्माण पर मिलेगा 3,40,000 रुपये का अनुदान, जानें कैसे करें आवेदन Digital India: लॉन्च हुआ फेस आईडी वाला Aadhaar App, अब नहीं देनी होगी कहीं आधार की फोटोकॉपी! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Tarbandi Yojana: अब 2 बीघा जमीन वाले किसानों को भी मिलेगा तारबंदी योजना का लाभ, जानें कैसे उठाएं लाभ? Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार!
Updated on: 10 February, 2025 3:41 PM IST
चूहों से बचाने के लिए उल्लू को बनाएं हथियार (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Owl as a rat predator: भारत जैसे कृषि प्रधान देश में गेहूं एक प्रमुख खाद्यान्न फसल है, लेकिन यह चूहों और अन्य कृंतकों के हमले का शिकार होती है. चूहे न केवल खेतों में फसल को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि कटाई के बाद भंडारण और परिवहन के दौरान भी बड़े स्तर पर क्षति पहुंचाते हैं. वे अनाज खाकर, उसे दूषित करके तथा भंडारण संरचनाओं को नुकसान पहुंचाकर किसानों और व्यापारियों को भारी आर्थिक हानि पहुंचाते हैं. इनसे निपटने के लिए पारंपरिक रासायनिक विधियों के स्थान पर जैविक नियंत्रण अधिक प्रभावी और पर्यावरण अनुकूल हो सकता है.

प्राकृतिक शिकारी और खेतों के रक्षक

प्राकृतिक पारिस्थितिकीय संतुलन बनाए रखने में उल्लू एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह रात में सक्रिय रहने वाला पक्षी चूहों, छछूंदरों और अन्य हानिकारक जीवों का शिकार कर उनकी संख्या को नियंत्रित करता है. इस कारण उल्लू को 'प्राकृतिक कृंतकनाशी' भी कहा जाता है. हाल ही में, मलेशिया जैसे देशों में किसान फसलों को चूहों से बचाने के लिए उल्लू को पालने और उनके लिए अनुकूल निवास स्थान तैयार करने की रणनीति अपना रहे हैं.

गेहूं की फसल में चूहों से होने वाले नुकसान

1. प्रत्यक्ष उपभोग

चूहे खेतों में बड़ी मात्रा में गेहूं के दाने खाते हैं, जिससे फसल की उपज प्रभावित होती है. कटाई के बाद भी, वे भंडारण इकाइयों में अनाज को खाकर और फैलाकर भारी क्षति पहुंचाते हैं.

2. अनाज का संदूषण

चूहे अपने मल, मूत्र और फर से अनाज को दूषित कर देते हैं, जिससे उसकी गुणवत्ता घट जाती है और यह मानव और पशु उपभोग के लिए अनुपयुक्त हो सकता है.

3. फसल को शारीरिक क्षति

खेतों में चूहे गेहूं के पौधों को कुतरकर उन्हें गिरा देते हैं, जिससे उपज में गिरावट आती है. वहीं, भंडारण केंद्रों में वे बोरियों और पैकेजिंग को नष्ट कर देते हैं.

4. रोगों का प्रसार

चूहे कई प्रकार की बीमारियों के वाहक होते हैं, जो मनुष्यों और पशुओं दोनों के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं.

5. आर्थिक हानि

चूहों के कारण होने वाली क्षति से किसानों और भंडारण प्रबंधकों को बड़ी आर्थिक हानि होती है. उन्हें संक्रमित अनाज को हटाने, नए अनाज की व्यवस्था करने और भंडारण इकाइयों की मरम्मत में अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है.

चूहों से राहत के लिए उल्लू को बनाएं प्राकृतिक प्रहरी

गेहूं के खेतों में चूहों को नियंत्रित करने के लिए किसानों को जैविक नियंत्रण विधियों को अपनाने पर जोर देना चाहिए. इनमें उल्लू को खेतों में आकर्षित करना एक प्रभावी तरीका हो सकता है.

कैसे करें उल्लू को खेतों में आकर्षित?

  • फरवरी-मार्च में सतर्कता रखें: इस समय गेहूं में बालियां निकलती हैं. अगर खेत में कहीं-कहीं बालियां ऊंची दिखाई दें, तो यह संकेत है कि वहां चूहों का प्रकोप हो चुका है.
  • बांस की फट्टी और पॉलीथिन का उपयोग करें: इन क्षेत्रों में बांस की पतली फट्टी के ऊपर पॉलीथिन लपेटकर उसे खेतों में गाड़ दें. स्थानीय भाषा में इसे ‘धुआं’ कहा जाता है.
  • उल्लू के बैठने के लिए उपयुक्त स्थान बनाएं: उल्लू इन संरचनाओं पर बैठेंगे और चूहों का शिकार करेंगे.
  • रात्रि में ध्वनि उत्पन्न करें: जब हवा चलेगी, तो पॉलीथिन से निकलने वाली ‘फर-फर’ की आवाज चूहों को डराकर खेतों से बाहर खदेड़ देगी.

उल्लू से जुड़ी रोचक जानकारियां

  • उल्लू दुनिया भर में लगभग 200 प्रजातियों में पाए जाते हैं.
  • भारत में मुख्य रूप से मुआ और घुग्घू नामक दो प्रजातियां देखी जाती हैं.
  • उल्लू एक रात्रीचर पक्षी है, जो रात के अंधेरे में भी स्पष्ट देख सकता है और अपनी तेज सुनने की शक्ति से शिकार करता है.
  • एक उल्लू सालभर में लगभग 1,000 चूहों का शिकार कर सकता है.
  • उल्लू के सिर की विशेष संरचना उसे 270 डिग्री तक सिर घुमाने की क्षमता देती है.
  • उल्लू बेहद शांत उड़ान भरता है, जिससे उसका शिकार को भनक तक नहीं लगती.

उल्लू का संरक्षण क्यों आवश्यक है?

  • उल्लू का शिकार तंत्र-मंत्र और अंधविश्वास के कारण किया जाता है, जिससे इनकी संख्या लगातार घट रही है.
  • भारत में उल्लू वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित जीवों की श्रेणी में आता है.
  • उल्लू का अवैध शिकार करने पर कम से कम तीन साल की सजा का प्रावधान है.

अन्य चूहे नियंत्रण विधियां

  • बहिष्कार: खेतों और भंडारण इकाइयों में चूहों के प्रवेश को रोकने के लिए सुरक्षात्मक उपाय अपनाना.
  • स्वच्छता: नियमित सफाई और बिखरे हुए अनाज को हटाकर चूहों को आकर्षित होने से रोकना.
  • जाल लगाना: स्नैप ट्रैप और अन्य यांत्रिक जालों का उपयोग करके चूहों को पकड़ना.
  • कृंतकनाशक: चूहों को नियंत्रित करने के लिए सावधानीपूर्वक रासायनिक चारे का उपयोग.
  • प्राकृतिक विकर्षक: पुदीना तेल और अन्य प्राकृतिक तरीकों से चूहों को दूर रखना.
  • निगरानी: खेतों और भंडारण केंद्रों की नियमित निगरानी से चूहों की उपस्थिति का शीघ्र पता लगाना.
English Summary: Protect wheat crop from rats use owls as natural weapon
Published on: 10 February 2025, 03:51 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now