बरसात हमेशा किसानों के दिल में एक उम्मीद लेकर आती है, लेकिन लगातार बेमौसम बरसात फसलों को भारी नुकसान भी पहुंचाती है. वर्षा के कारण खेतों के सिंचाई चक्र पर असर तो पड़ता ही है, इसके साथ ही यह खेतों की मिट्टी की ऊपरी परत को बहा कर उसकी उर्वरता को कम कर देती है. वर्षा से खेत के निचली भागों में जलभराव की समस्या भी बन जाती हैं.
जलभराव के कारण मिट्टी का घनत्व काफी ज्यादा बढ़ जाता है और खेतों में कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा भी बढ़ने लगती है, जिस कारण मिट्टी काफी कठोर हो जाती है और मिट्टी की आक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता कम हो जाती है. जलभराव से मिट्टी के मिनरल कम होने के साथ-साथ ऑक्सीजनजनित कीटाणु भी नष्ट हो जाते हैं. जल भराव होने पर पौधों की जड़ों को आवश्यक पोषक तत्व और ऑक्सीजन न मिलने के कारण फसल कमजोर होने लगती है.
सूखा किसानों के लिए एक बहुत बड़ी समस्या है. बेमौसम बरसात के कारण जरुरतमंद खेतों तक पानी नहीं पहुंच पाता है और वहां सूखे की स्थिति बन जाती है. ऐसी जगहों पर पानी की कमी के कारण मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्व का अवशोषण कम हो जाता है, जिससे पौधों की प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया पर असर पड़ता है. जो फसल की पैदावार को कम कर देता है. ऐसे में इन तमाम समस्याओं से बचने के लिए आप जायटोनिक तकनीक का इस्तेमाल कर अपनी उपज को अच्छा कर सकते हैं. आइये जानते हैं इस जायटोनिक तकनीक के बारे में और इसका कैसे आप इस्तेमाल कर सकते हैं.
जलभराव पर जायटोनिक तकनीक का उपयोग
जायटोनिक तकनीक की मदद से मिट्टी की जल धारण क्षमता और इसकी पानी सोखने की दर (इनफिल्ट्रेशन दर) को बढ़ाया जा सकता है. यह तकनीक मुख्य रूप से मिट्टी को हवादार और नरम बनाने का कार्य करती है, जिसके परिणामस्वरूप मिट्टी की इनफिल्ट्रेशन दर भी बढती है. जायटोनिक तकनीक का बेहतर इनफिल्ट्रेशन जमीन के जलस्तर को बढ़ाने में भी मदद करता है. जायटोनिक तकनीक में मिट्टी को जैविक पोषण देने के लिए विभिन्न सूक्ष्म जीवाणु भी मौजूद होते हैं, जो मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों को पौधों तक पहुँचाने मे मदद करते हैं.
सूखे क्षेत्र में जायटोनिक तकनीक का उपयोग
जायटोनिक तकनीक के प्रयोग से मिट्टी पानी को ज्यादा देर तर संभाल कर रख सकती है. इससे पौधों की जड़ों में पानी ज्यादा देर तक टिका रहता है. यह पानी उपलब्ध पोषक तत्वों को घुलनशील अवस्था मे पौधों तक पहुंचाता है जो पौधे की विकास में मदद करता है. इस तकनीक के प्रयोग से मिट्टी में सूखे के दौरान भी नमी बनाए रखने में मदद मिलती है और फसल को आवश्यकतानुसार समय-समय पर पर्याप्त मात्रा में पानी और पोषक तत्व पहुंचता रहता है. इस तकनीक से सूखे के कारण फसल को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है.
जायटोनिक तकनीक युक्त विभिन्न उत्पाद जायटोनिक मिनी किट, जायटोनिक किट, जायटोनिक नर्सरी किट के प्रयोग से मिट्टी के भुरभुरेपन के साथ-साथ उसके संपूर्ण स्वास्थ्य को बढ़ाया जा सकता है, जो फसल के अच्छे उत्पादन में मदद करता है.
जायटोनिक के उत्पादों में लाभकारी रोगाणु जैसे कि माइकोराइजा, एनपीके कंसोर्टिया, जिंक घुलनशील बैक्टीरिया मिट्टी के पोषक तत्वों को बढ़ाने में मदद करते हैं. इसकी मदद से खेतों में रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को 50 से 100 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है. जायटोनिक के प्रयोग से पानी का समुचित उपयोग संभव है और अनिश्चित बरसात के कारण अधिक या काम पानी की अवस्था में फसल को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है.