Vegetable Cultivation: देश में पिछले कुछ सालों से सब्जियों की खेती करने का चलन तेजी से बढ़ा है. किसान धान, गेहूं और गन्ने की खेती छोड़कर आलू, गोभी और मशरूम जैसी सब्जियों को उगाने लगे हैं. वर्तमान समय में किसानों में सब्जियों की खेती करने के प्रति रुझान काफी बढ़ा है. मालूम हो कि अन्य फसलों की तुलना में सब्जियों की खेती से किसानों को ज्यादा मुनाफा होता है. हालांकि, सब्जियों की कमर्शियल खेती को प्रोत्साहन देने के लिए स्वस्थ पौधे का उत्पादन बहुत ही आवश्यक है. वहीं किसान यदि वैज्ञानिक तकनीक, प्रो ट्रे तकनीक और पॉलीटनल तकनीक से पौधशाला तैयार करें तो उन्हें कम नुकसान उठाना पड़ेगा.
इसके अलावा, किसानों को बीज की बुवाई और रोगों की रोकथाम आदि पर ध्यान देने की जरुरत है. जिससे सब्जियों की फसल को नुकसान से बचाया जा सके.
पॉलीटनल तकनीक
पॉलीटनल तकनीक के माध्यम से टमाटर, फूलगोभी, मिर्च, बंदगोभी, बैंगन और शिमला मिर्च की खेती की जा सकती है. इसमें पहले बीज की बुवाई की जाती है. बीज की बुवाई के बाद पॉलीटनल को शाम के समय पॉलीथीन से ढक दें. पॉलीटनल को 200 माइक्रॉन की सफेद पॉलीथीन से ढक दिया जाता है. यह रात के समय ढका रहता है. आपको बता दें कि यदि दिन का तापमान 25 से 26 डिग्री अधिक है तो दिन के समय पॉलीथीन हटा दें और शाम को ढक दें.
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प्रो ट्रे तकनीक
यह तकनीक किसानों के लिए लाभकारी और फायदेमंद है. प्रो ट्रे तकनीक से सब्जियों की पौधशाला को किसी भी मौसम में तैयार किया जा सकता है. सब्जियों की खेती करने वाले किसानों के लिए यह तकनीक बेहतर विकल्प है.
ICAR के अनुसार, यदि सब्जियों की खेती प्रो ट्रे तकनीक (Pro Tray Technique) से की जाए तो पौध की गुणवत्ता और उसमें कीटों व रोगों से नुकसान को कम किया जा सकता है. इससे सब्जियों के उत्पादन के साथ उसकी गुणवत्ता दोनों की बढ़ेगी. इसके साथ ही कमर्शियल सब्जी उत्पादन के लिए हाइब्रिड किस्मों का भी उपयोग किया जा सकता है. आपको बता दें कि हाइब्रिड किस्मों की मांग बाजारों बहुत होती है जिससे हाइब्रिड बीज बाजार में मंहगे मिलते हैं. यदि बीज की पौध ऐसी तकनीक से तैयार की जाए तो भंडारण के साथ-साथ गुणवत्ता वाले पौधे तैयार किए जा सकते हैं और पौध विभिन्न रोगों से मुक्त रहेंगे.