सूत्रकृमि (निमेटोड) धागे के समान बहुत ही पतले द्विलैंगिक जीव होते हैं, जिन्हें खुले आँखों से देख पाना अत्यंत कठिन है. इन्हें देखने के लिए सूक्ष्मदर्शी की सहायता लेनी पड़ती है. विभिन्न प्रकार के सूत्रकृमियों में से जड़ गांठ सूत्रकृमि का प्रकोप सब्ज़ियों की फसलों पर ज़्यादा पाया गया है.
ये जीव मिट्टी में रहकर पौधों की जड़ों से अपना भोजन ग्रहण करते हैं. इनके प्रकोप से पौधे की जड़ें फूल जाती हैं और पौधा जल और भोजन ग्रहण करने की क्षमता खो बैठता है.
सूत्रकृमि अपना भोजन ग्रहण करने के लिए पौधे की कौशिकाओं व ऊतकों को प्रभावित करते हैं, फलस्वरूप जड़ों की वृद्धि बंद हो जाती है और जड़ें आपस में विभक्त होकर गुच्छा बना लेती है.
जड़-गांठ सूत्रकृमि से प्रभावित पौधे के लक्षण (Symptoms of a plant affected by root knot nematode)
रोग ग्रस्त पौधे की पहचान कर पाना आम किसान की पहुँच से परे है क्योंकि सूत्रकृमि से प्रभावित पौधे के लक्षण पोषक तत्वों की कमी से मिलते-जुलते होते है.
अतः सूत्रकृमि से ग्रस्त पौधे की पूर्णतया पुष्टि सिर्फ मिट्टी की जांच के बाद ही की जा सकती है. जड़-गांठ सूत्रकृमि से प्रभावित पौधे के लक्षण निम्न्लिखित प्रकार से है:-
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पत्तियों का पीला पड़ जाना
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फूल व फल देरी से लगना
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पौधों का मुरझा जाना
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पौधे की वृद्धि रुक जाना एवं पौधे का बौना रह जाना
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पौधे की जड़ों पर गांठो की उपस्थिति
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फलों का आकार छोटा होना व उनकी गुणवत्ता में कमी होना
टमाटर की फसल में जड़ गांठ सूत्रकृमि से हानि (Harm due to root knot nematode in tomato crop)
फसल से अधिक लाभ प्राप्त करने हेतु किसान सघन खेती करते हैं, जिसके कारण सूत्रकृमियों को वृद्धि करने के लिए अनुकूलित वातावरण मिल जाता है.
इस सूत्रकृमि के आक्रमण से पौधे की प्राथमिक व द्वितीयक जड़ों पर गांठें बन जाती हैं, जिसके कारण फल की गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव के साथ-साथ फसल की उपज भी कम हो जाती है.
सूत्रकृमियों से हानि मिट्टी में उपस्थित इनकी संख्या व बोई जाने वाली मेज़बान फसल इत्यादि पर निर्भर करती है. एक किये गए शोध के आधार पर टमाटर की फसल में जड़ गांठ सूत्रकृमि का नियंत्रण न होने पर 60 से 65 प्रतिशत तक नुकसान पाया गया है.
टमाटर के फसल की रोकथाम (Tomato crop prevention)
1. स्वस्थ नर्सरी का प्रयोग करें
2. मई व जून के महीने में खेत की गहरी जुताई करें
3. रोगग्रस्त पौधों को जड़ से उखाड़कर नष्ट कर दें
4. रोग प्रतिरोधी किस्मों का चुनाव करें, जैसे कि हिसार ललित व पी.एन.आर.-7
5. खेत को खरपतवार रहित रखें क्योंकि यह सूत्रकृमि खरपतवारों पर भी पनपता है.
6. स्वच्छ कृषि औजारों का प्रयोग करें.
7. फसल चक्र में ऐसी फसलों का चुनाव करें जिनमें यह सूत्रकृमि पनप नहीं सकता, उदाहरणतयाः गेहूं, ग्वार, लहसुन प्याज, मक्का, मटर, इत्यादि.
8. टमाटर की नर्सरी में 7 ग्राम फ्यूराडान 3जी दवाई प्रति वर्गमीटर की दर से बिजाई के समय डालें.
9. टमाटर की फसल में जड़ गांठ सूत्रकृमि के प्रबंधन के लिए नीम की खली 750 ग्राम प्रति वर्गमीटर की दर से बिजाई से सात दिन पहले मिट्टी में मिलाकर हल्का पानी दें.
लेखक: सुजाता, लोचन शर्मा व रामबीर सिंह कंवर
सूत्रकृमि विज्ञान विभाग
चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार