Potato Cultivation: सर्दी के मौसम में आलू की फसल में कई तरह के रोग देखने को मिलते हैं. जिसके चलते आलू की खेती से किसान अधिक लाभ नहीं कमा पाते हैं. देखा जाए तो ठंड में आलू की फसल में झुलसा रोग लगने की संभावना काफी अधिक होती है. यह रोग एक बार अगर फसल में लग जाता है, तो यह धीरे-धीरे पूरे खेत की फसल को खराब कर देता है. अगर किसान आलू की फसल में लगने वाले झुलसा रोग का सही समय पर इलाज नहीं करते हैं, तो इसे उन्हें वाले नुकसान से उन्हें काफी हानि पहुंच सकती हैं.
देखा जाए तो आलू की फसल में लगने वाले झुलसा रोग दो तरह के होते हैं. एक पिछात झुलसा रोग और दूसरा अगात झुलसा रोग है. यह दोनों ही रोग फसल को पूरी तरह से नष्ट कर सकती हैं. ऐसे में आइए इन रोग से बचने के सरल तरीकों के बारे में विस्तार से जानते हैं-
पिछात और अगात झुलसा रोग क्या है?
पिछात झुलसा रोग फाइटोपथोरा इन्फेस्टान्स नाम फफूंद के चलते आलू की फसल में लगता है. यह बारिश के दिनों में फसल को बहुत ही जल्दी बर्बाद कर देता है. पिछात रोग से फसल की पत्तियां के किनारे और सिरे तेजी से साथ सूखने लगती है.
वहीं, अगात झुलसा रोग आलू की फसल में अल्टरनेरिया सोलेनाई फफूंद के चलते होता है. इस रोग के फसल में लगने से पत्तियों पर गोलाकार धब्बे बने शुरू हो जाते हैं और फिर पत्तियां पीली होकर धीरे-धीरे सूखने लगती है.
पिछात और अगात झुलसा रोग से ऐसे करें फसल का बचाव
पिछात झुलसा रोग से फसल को बचाने के लिए 10 से 15 दिन के अंतराल पर मैंकोजेब करीब 75 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण 2 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए.
इसके अलावा अगात झुलसा रोग से फसल को बचाने के लिए जिनेब 75 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण 2.0 किग्रा प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पानी में मिलाकर छिड़काव करें. इसके अलावा आप चाहे तो मैंकोजेब 75 प्रतिशत, घुलनशील चूर्ण 2 किग्रा प्रति हेक्टेयर पानी में मिलाकर खेत में छिड़काव कर सकते हैं.
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इसी प्रकार फेनोमेनन मैंकोजेब को 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर भी आसानी से छिड़काव किया जा सकता है. वहीं, मेटालैक्सिल और मेनकोजेब के मिश्रण को भी 2.5 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर भी किसान छिड़काव कर सकते हैं.