चावल के उत्पादन में चीन पूरे विश्व में सबसे आगे है और उसके बाद दूसरे नंबर पर भारत है. पूरे विश्व में मक्का के बाद अनाज के रूप में धान ही सबसे ज्यादा उत्पन्न होता है. धान की उपज के लिए 100 से.मी. वर्षा की आवश्यकता होती है.
कृषि का सबसे पहला चरण बीज बुवाई या पौध लगाने का होता है और इस पहले चरण में ही किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कई-कई दिनों तक किसान भाई यही सोचते रहते हैं कि कौनसी किस्म लगाई जाए लेकिन अब इस सम्सया का समाधान इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय ने नई पांच किस्मों को तैयार करके कर दिया है. जानिए इस लेख में कौनसी हैं वो पांच किस्में.
धान की नई किस्में (new varieties of paddy)
किसानों की आय को बढ़ाने के लिए धान की नई किस्में तैयार की गई हैं वो इस प्रकार है:-
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ट्राम्बे छत्तीसगढ़ दुबराज म्यूटेन्ट-1
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विक्रम टी.सी.आर
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ट्राम्बे छत्तीसगढ़ विष्णुभोग
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ट्राम्बे छत्तीगढ़ सोनागाठी
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छत्तीसगढ़ जवांफूल म्यूटेन्ट
यह सभी किस्में भाभा परमाणु ऊर्जा संयंत्र और ट्राम्बे -मुम्बई के साथ मिलकर इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय में तैयार की गई है और इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में 300 परंपरागत किस्मों पर ब्रीडिंग का काम चल रहा है. यह किस्में इसलिए तैयार की जा रही हैं ताकि किसानों की आय में बढ़ोत्तरी हो सके और इसके इतर दुबराज, सफरी-17, विष्णुभोज, जवांफूल और सोनागाठी की परमाणु विकरण तकनीक से नई किस्में तैयार की गई हैं.
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धान की नई किस्मों की खासियत
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धान की इन किस्मों में पानी कम लगेगा और पैदावार ज्यादा होगी.
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इन किस्मों में रोग और कीट कम लगेगा.
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फसल को तैयार होने में समय कम लगेगा.
धान की इन नई किस्मों के तैयार होने का कारण
वर्तमान समय में दुनिया बड़ी तेजी से भाग रही है इसका असर किसानों पर भी साफ देखा जा सकता है किसानों को भी कम समय में फसल को तैयार करना है, इसलिए किसान परंपरागत किस्मों को छोड़ कम समय में ज्यादा पैदावार देने वाली किस्मों का प्रयोग कर रहे हैं. जिसके चलते वैज्ञानिकों ने इन किस्मों को तैयार किया है.