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Updated on: 16 December, 2024 10:45 AM IST
आयस्टर मशरूम उत्पादन की नवीनतम तकनीक! (Image Source: Pinterest)

Pleurotus SPP: आयस्टर मशरूम को खेती के लिए सबसे लोकप्रिय और लाभदायक मशरूम माना जाता है. इसे भारत के विभिन्न भागों में सरलता से उगाया जा सकता है, क्योंकि यह कम लागत और सीमित संसाधनों में भी अच्छी उपज देता है. इसकी खेती के लिए अत्यधिक वैज्ञानिक ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती, और इसे छोटे किसान व शहरी उद्यमी भी आसानी से शुरू कर सकते हैं.

आयस्टर मशरूम के लाभ/Benefits of Oyster Mushroom

  1. पोषण से भरपूर: आयस्टर मशरूम प्रोटीन, विटामिन (बी1, बी2, सी, और डी) और खनिजों का अच्छा स्रोत है.
  2. कम लागत: इसकी खेती के लिए जटिल मशीनरी या महंगे इनपुट की आवश्यकता नहीं होती.
  3. पर्यावरणीय लाभ: इसे कृषि अवशेषों (फसल के अपशिष्ट) पर उगाया जा सकता है, जिससे कचरे का पुन: उपयोग होता है.
  4. जल की कम आवश्यकता: इसकी खेती में जल का कम उपयोग होता है.

आयस्टर मशरूम उत्पादन के चरण

1. स्थान का चयन और तैयारी

आयस्टर मशरूम की खेती के लिए ठंडा, स्वच्छ और वायुरोधी स्थान उपयुक्त होता है. कमरे का तापमान 20-30°C और आर्द्रता 70-90% होनी चाहिए. किसी पुराने कमरे, शेड, या प्लास्टिक की ग्रीनहाउस संरचना में भी इसकी खेती की जा सकती है.

2. कच्चे माल का चयन

आयस्टर मशरूम की खेती के लिए उपलब्ध कच्चे माल में प्रमुख हैं जैसे गेहूं या धान की भूसी ; गन्ने की खोई, मक्का के डंठल, केले के पत्ते और तना-लकड़ी का बुरादा इत्यादि. यह सामग्री स्थानीय रूप से सस्ती दरों पर उपलब्ध होती है और आसानी से मशरूम उत्पादन के लिए तैयार की जा सकती है.

3. स्पॉन तैयार करना

स्पॉन मशरूम की बीज सामग्री है. इसे खरीदने के लिए प्रमाणित संस्थानों, जैसे आईसीएआर संस्थानों या कृषि विश्वविद्यालयों से संपर्क करें. अगर स्वयं तैयार करना हो तो गेहूं के दानों को उबालकर, सुखाकर, और स्टेरलाइज करके उस पर मशरूम की माइसीलियम को विकसित करें.

4. कच्चे माल को जीवाणु मुक्त करना 

कच्चे माल को पानी में भिगोने के बाद भाप या गर्म पानी से उपचारित करें ताकि उसमें मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया, फफूंद, और अन्य रोगजनक नष्ट हो जाएं. इसे निम्नलिखित किसी भी विधि से किया जा सकता है जैसे...

गर्म पानी विधि: 60-70°C तापमान पर सामग्री को 1-2 घंटे रखें.

रासायनिक विधि: 5% फॉर्मेलिन और 0.1% बविस्टिन घोल में 12-18 घंटे तक सामग्री भिगोएं.

5. स्पॉनिंग प्रक्रिया

पाश्चुराइजेशन के बाद सामग्री को ठंडा करके इसमें स्पॉन मिलाएं. यह कार्य दो तरीके से किया जा सकता है जैसे...

परत विधि: सामग्री को एक परत में फैलाकर स्पॉन छिड़कें और इसे बार-बार परत दर परत दोहराएं.

मिश्रण विधि: स्पॉन को सामग्री में अच्छी तरह से मिलाएं. स्पॉनिंग के बाद सामग्री को पॉलीथीन बैग में भरें.

6. संवर्धन चरण (Incubation)

स्पॉनिंग बैग को अंधेरे कमरे में रखें, जहां तापमान 20-25°C और आर्द्रता 80-90% हो. बैग को रैक पर व्यवस्थित करें. 15-20 दिनों में बैग की सामग्री सफेद माइसीलियम से भर जाती है.

7. फलों के शरीर का विकास (Fruiting)

जब माइसीलियम पूरी सामग्री में फैल जाए, तो बैग को हल्के कट लगाकर खुला रखें. कमरे में प्रकाश व्यवस्था का ध्यान रखें. कमरे का तापमान 20-30°C और आर्द्रता 85-90% बनाए रखें. नियमित रूप से पानी का हल्का छिड़काव करें.

8. कटाई (Harvesting)

20-25 दिनों में मशरूम फलों के रूप में विकसित हो जाते हैं. मशरूम को सावधानी से काटें ताकि निचला भाग खराब न हो. एक बैग से 3-4 बार फसल ली जा सकती है.

उत्पादन बढ़ाने के नवीनतम उपाय

  1. गुणवत्ता नियंत्रण: प्रमाणित स्पॉन का उपयोग और सामग्री का सही पाश्चुराइजेशन उत्पादन की गुणवत्ता को सुनिश्चित करता है.
  2. स्वचालन: बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए ह्यूमिडिफायर और तापमान नियंत्रक का उपयोग करते है.
  3. प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन: सूखाकर पाउडर बनाना, अचार बनाना, या सूप के रूप में इसे बेचने से किसानों की आय बढ़ती है.

आयस्टर मशरूम की विपणन रणनीति

  1. स्थानीय बाजार: स्थानीय सब्जी मंडी में मशरूम ताजा बेचें.
  2. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म: डिजिटल माध्यम से उत्पाद को बड़े बाजारों तक पहुंचाएं.
  3. रेस्तरां और होटल: मशरूम की उच्च गुणवत्ता वाली आपूर्ति के लिए होटल और रेस्तरां से संपर्क करें.
  4. प्रसंस्कृत उत्पाद: मशरूम के सूखे, पाउडर, या तैयार व्यंजनों को पैक कर बिक्री करें.
English Summary: Oyster mushroom production latest technology more profit low cost
Published on: 16 December 2024, 10:53 AM IST

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