केंद्र व राज्य सरकारें इनदिनों जैविक खेती को बड़ी तेजी से बढ़ावा दे रही है. जैविक खेती से जहां भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि होती है. वहीं सिंचाई के अन्तराल में वृद्धि होती है. जैविक खेती करने से रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से लागत में भी कमी आती है. इसके अलावा फसलों की उत्पादकता में वृद्धि होती है. अगर मिटटी की दृष्टि से देखें तो जैविक खाद के उपयोग से भूमि की गुणवत्ता में सुधार आता है तथा भूमि की जल धारण की क्षमता भी बढ़ती है.
इसके साथ ही कृषक भाइयों को आय अधिक प्राप्त होती है तथा अंतराष्ट्रीय बाजार की स्पर्धा में जैविक उत्पाद अधिक खरे उतरते हैं. जिसके फलस्वरूप सामान्य उत्पादन की अपेक्षा कृषक भाई अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं. इसी कड़ी में पिछले दिनों दिल्ली में जैविक खेती के क्षेत्र में किए गए कार्यो के लिए इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को देश के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण कैबिनेट मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सम्मानित किया. इसमें सुनाम में एडवोकेट परमिंदर शर्मा को भी जैविक खेती के क्षेत्र में किए गए कार्यों के लिए सम्मानित किया गया. दिल्ली से सम्मान लेकर लौटे एडवोकेट परमिंदर शर्मा ने बताया कि यह उनके लिए गर्व का क्षण है, क्योंकि जैविक खेती व कल्याणकारी समाज के क्षेत्र में काम को राष्ट्रीय सेवा पुरस्कार के लिए चुना गया.
भारत सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने स्व. बीएल शर्मा पूर्व सांसद व एक महान सामाजिक कार्यकर्ता की स्मृति में दिल्ली में आयोजित एक समारोह में यह सम्मान दिया. डॉ. हर्षवर्धन ने पंजाब में जैविक खेती के लिए किए गए प्रयासों के साथ अपनी व्यक्तिगत चिंता को दर्शाया है व इस संबंधी परियोजनाओं को शुरू करने का आश्वासन दिया.