लीची पूरी दुनिया में अपने स्वाद और रंग के कारण लोगों का सबसे पसंदीदा फलों में से एक है. लीची लोगों की सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है, क्योंकि इसमें विटामिन सी की भरपूर मात्रा पाई जाती है.
अगर आप किसान है, तो आप यह तो जानते ही होंगे कि लीची का सीजन (lychee season) शुरू होने वाला है. बता दें कि लीची के सीजन में इनकी खेती में एक कीड़ा अटैक करता है. अगर सही समय पर इस कीड़े का इलाज नहीं किया गया, तो यह अपनी लीची की पूरी फसल को नष्ट कर सकता है.
एक कीड़े से हो सकती है फसल खराब
एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल इस खतरनाक कीड़े ने लीची की लगभग 100 रूपए से अधिक लीची की फसल को खराब कर दिया था. इससे पिछले साल किसानों की आजीविका पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा था. पिछले साल के मामले को देखते हुए इस साल कृषि वैज्ञानिकों ने लीची की खेती (litchi cultivation) के वक्त सावधान रहने की सलाह दी है.
लीची में फूल आने से लेकर तुड़ाई तक किसानों के पास लगभग 40 से 50 दिन का समय मिलता है. इसलिए लीची की फसल में किसानों को अधिक सोचने को नहीं मिलता है. इसके बचाव के लिए उन्हें तैयारी पहले से ही करना शुरू कर देना चाहिए. ताकि समय पर आप इस कीड़े से लड़ सके और अपनी फसल से अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकें.
लीची की फसल बचाव के लिए इन दवाओं का करें इस्तेमाल
लीची की फसल (litchi crop) को बेधक कीट से बचाने के लिए किसानों को थायो क्लोप्रीड, लमड़ा सिहलोथ्रिन दोनों दवा को आधी-आधी मिलीलीटर दवा को प्रति लीटर पानी या नोवल्युरान 1.5 मिली दवा को पानी मिलाकर फसल में अच्छे से छिड़काव करना चाहिए.
लीची के फल (lychee fruit) फटने से बचाने के लिए किसानों को फसल में बोरान 4 ग्राम पानी में मिलाकर अच्छे से छिड़काव करना चाहिए.
लीची में रोग व कीड़ों के बचाव के लिए रसायनों का इस्तेमाल करना चाहिए और साथ ही गर्मी के मौसम में हल्की सिंचाई करे, ताकि खेत की मिट्टी में नमी बनी रह सकें, लेकिन ध्यान रहे कि लीची की फसल के आस-पास जलजमाव न होने दें.
लीची की दो अवस्था में करें दवा का छिड़काव
मिली जानकारी के पिछले साल लीची की फसल बेहद अच्छी हुई थी, लेकिन बारिश व अधिक गर्मी ने फसल पर बहुत बुरा प्रभाव डाला, जिसके चलते फसल नष्ट हो गई. किसानों को कहना है कि फल में छेदक कीड़े लग गए थे, जिन्होंने फल को सही से नहीं पकने दिया और किसान भाई खेत से एक भी फल को तोड़ नहीं पाए. इस विषय में पूसा समस्तीपुर में अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना के प्रो. एसके सिंह का कहना है कि लीची की फसल पर सबसे अधिक ध्यान रखना चाहिए.
इसकी खेती में दो अवस्थाएं आती है, जिन्हें हमें रोग व कीटों से बचाना चाहिए. पहली अवस्था फल को लौंग के बराबर होने वाली और दूसरी अवस्था लीची के फल लाल रंग के होने वाली है. इन दोनों ही अवस्था में किसानों को दवा का छिड़काव करना चाहिए.