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Updated on: 28 May, 2020 7:54 PM IST

भिंडी की बिजाई के लिए जून का महीना सबसे उपयुक्त है. हमारे देश में इसकी खेती मुख्य तौर पर उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिमी बंगाल और उड़ीसा आदि राज्यों में होती है. एक तरफ इसके फलों को भोजन के रूप में उपयोग किया जाता है, तो वहीं इसके छिल्कों की मांग कागज़ उद्योग में अधिक है. चलिए आपको इसकी खेती के बारे में बताते हैं.

जलवायु

भिंडी की खेती के लिए उष्ण और नम जलवायु सबसे बेहतर है. इसकी फसल 42 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सह सकती है, लेकिन इससे अधिक तापमान फसलों के लिए नुकसानदायक है.

उपयुक्त भूमि

भिंडी की खेती प्राय किसी भी तरह की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन हल्की दोमट मिट्टी इसके लिए उपयुक्त है. इसकी खेती के लिए भूमि में कार्बनिक तत्वों का होना फायदेमंद है. अगर भूमि का पी.एच.मान करीब 6 से 6.8 तक का है, तो खेत भिंडी की बंपर उपज देने में सक्षम है.

भूमि की तैयारी

इसकी खेती से पहले अच्छी तरह भूमि की 3 से 4 बार जुताई करते हुए मिट्टी को भुरभुरा बना लें. खेत में पाटा लगा सकते हैं, ताकि नमी बनी रहे.

बुवाई

भिंडी की बुवाई कतारों में करना अधिक फायदेमंद है. कतारों की आपसी दूरी करीब 25 से 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए. इसके साथ ही पौधों की आपसी दूरी करीब 15 से 20 सेंटीमीटर होनी चाहिए.

सिंचाई

गर्मियों में सप्ताह में एक बार भिंडी की सिंचाई होनी चाहिए. नमी न हो तो फसल की बुवाई से पहले भी सिंचाई की जा सकती है. ध्यान रहे कि खेतों में जल जमाव न होने पाए.

तोड़ाई और उपज

भिंडी की तुड़ाई 45 से 60 दिनों में शुरू कर देनी चाहिए. तुड़ाई 5 दिनों के अंतराल पर होनी चाहिए. उन्नत किस्मों और अच्छी देखभाल के इसकी खेती कर रहे हैं, तो औसत प्रति हेक्टेयर करीब 70 से 100 विक्टंल उपज प्राप्त होने की संभावना है.

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English Summary: Okra farming will give huge profit to farmers know more about okra cultivation process
Published on: 28 May 2020, 07:58 PM IST

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