कृषि कार्य करने के लिए किसानों के पास ये जानकारी होनी बहुत जरुरी है कि वो किस महीने में कौन-सा कृषि कार्य करें क्योंकि कृषि कार्य, मौसम पर काफी हद तक निर्भर होता है. इसलिए तो अलग-अलग सीजन में अलग फसलों की खेती की जाती है, ताकि बोई गई फसलों की अच्छी पैदावार मिल सके. इस समय खरीफ फसलों की कटाई हो रही है और किसान रबी फसल की खेती की तैयारी करना शुरू कर दिए हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद ने किसानों के लिए ज़रूरी सलाह जारी की है. कृषि विभाग द्वारा जारी सलाह के मुताबिक, किसानों को अक्टूबर माह में कृषि कार्य करने के दौरान निम्नलिखित बातों पर ध्यान देने की जरूरत है-
अक्टूबर माह में किसान किन बातों पर ध्यान दें
- खेती से संबंधित कोई भी योजना बनाते समय मौसम पर विशेष ध्यान दें.
- जिन फसलों में फूल आने की अवस्था है उसमें किसी भी केमिकल का छिड़काव नहीं करें.
- पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान दलहनी और तिलहनी फसलों सहित आलू की बुवाई कर सकते हैं.
- रोग और कीट का प्रकोप बढ़ने की स्थिति में प्रकाश-प्रपंच, बर्ड पर्चर, फेरोमोन ट्रैप, ट्राइकोग्रामा और रोग नियंत्रण के लिए ट्राइकोडर्मा का इस्तेमाल करें.
- कीट और रोग नियंत्रण के लिए कीटनाशकों का प्रयोग अंतिम स्टेज में करें.
- धान में फूल खिलने और दूधिया अवस्था में पर्याप्त नमी बनाए रखें.
- जिन किसानों ने बीज के लिए धान बुवाई की है वह खेत से बेकार पौधों को हटा दें.
- गंधी कीट और सैनिक कीट दिखाई देने पर कार्बोफ्यूरान 0.3 प्रतिशत सी.जी. 25 किग्रा. या मैलाथियान 5 प्रतिशत धूल 20-25 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से सुबह के समय बुरकाव करें. केवल गंधी कीट के नियंत्रण के लिए एजाडिरेक्टिन 0.15 प्रतिशत की 2.50 लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.
- पछेती उर्द या मूंग में फली बेधकों कीट दिखने पर बीटी. 5 प्रतिशत डब्लू.पी. 1.5 किग्रा या इंडोक्साकार्ब 14.5 एस.सी. 400 मिली. या क्यूनालफास 25 ई.सी. 1.50 लीटर या फेनवलरेट 20 ईसी. 750 मिली. या साइपरमेथ्रिन 10 ईसी. 750 मिली. या डेका मेथ्रिन 2.8 ई.सी. 450 मिली. का प्रति हेक्टेयर की दर से 800-1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.
यूपी के किसान गन्ने की इन किस्मों करें खेती
प्रदेश के लिए स्वीकृत गन्ना किस्मों की को.शा. 13235, को.लख. 14201, को. 15023, को. 0118, को.शा.17231, को.शे. 13452 और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए जारी किस्मों को.लख.-15466 व 16466 की बुवाई करें. शरद कालीन गन्ना बुवाई से पहले मिट्टी की जांच ट्राइकोडर्मा (10 किग्रा. प्रति हेक्टेयर) और बीज उपचार बाविस्टिन 0.01 प्रतिशत या थायोफिनेट मिथाइल 0.01 प्रतिशत से ज़रूर करें. गन्ने में पायरीला, मिली बग और शल्क कीट के गंभीर प्रकोप की स्थिति में इमिडाक्लोप्रिड 0.3 मिली. प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें.
आलू की उन्नत किस्में: आलू की अगेती किस्मों जैसे कुफरी चंद्रमुखी, कुफरी ख्याति, कुफरी सिंदूरी, कुफरी कंचन और कुफरी अशोका की बुवाई करें.
पशुपालक इन बातों का ध्यान रखें
लम्पी स्किन रोग (एलएसडी) एक विषाणु जनित रोग है, जिसकी रोकथाम के लिए यूपी में पशुपालन विभाग द्वारा टीकाकरण प्रोग्राम चलाया जा रहा है. सभी पशुपालक अपने नजदीकी पशु चिकित्सालय से सम्पर्क कर इसकी रोकथाम संबंधी उपाय और टीकाकरण की जानकारी ले सकते हैं. जहां खुरपका और मुंहपका बीमारी का प्रकोप है, वहां टीकाकरण सभी पशु चिकित्सालय में कराया जा रहा है. यह
सुविधा सभी पशुचिकित्सालयों पर मुफ्त उपलब्ध है. बड़े पशुओं में गलाघोटू बीमारी की रोकथाम के लिए एच.एस. वैक्सीन से और लंगड़िया बुखार की रोकथाम के लिए बी क्यू वैक्सीन से टीकाकरण कराएं.