सब्जियों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले टमाटर सबसे ज्यादा बिकते भी हैं. इसलिए टमाटर की खेती से मुनाफा भी बहुत ज्यादा होता है. लेकिन क्या आपने काले टमाटर के बारे में सुना है? आज हम काले टमाटर की बात करेंगे. आपको बता दें कि विदेश के बाद अब भारत में भी काले टमाटर की खेती शुरू हो गई है. यूरोप के मार्केट का ‘सुपरफूड’ कहे जाने वाले 'इंडिगो रोज टोमेटो' की खेती भारत के कई जगहों पर आसानी से हो रही है. यह पहली बार है जब भारत में काले टमाटर उगाए जा रहे हैं. आइये जानते हैं काले टमाटर और खेती के बारे में.
काले टमाटर की विशेषताएं -
काले टमाटर की खेती की शुरुआत सबसे पहले इंग्लैंड में हुई. इसका श्रेय रे ब्राउन को जाता है. उन्होंने जेनेटिक म्युटेशन से काले टमाटर तैयार किए थे. यह आरंभिक अवस्था में थोड़ा काला और पकने पर पूरी तरह काला हो जाता है. जिसे इंडिगो रोज टोमेटो भी कहते हैं. तोड़ने के बाद यह कई दिनों तक ताजा रहता है. जल्दी खराब नहीं होता और सड़ता भी नहीं. काले टमाटर में बीज भी कम होते हैं. देखने में ऊपर से काला और अंदर से लाल होता है. इसके बीज लाल टमाटर की तरह होते हैं. स्वाद लाल टमाटर से कुछ अलग नमकीन होता है. ज्यादा मीठापन नहीं होने के कारण शुगर के मरीजों के लिए काफी लाभदायक है.
काले टमाटर के औषधीय गुण-
काले टमाटर में भरपूर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट होता है. इसमें प्रोटीन, विटामिन-ए, सी, मिनरल्स होता है जो ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में मददगार है. इसमें फ्री रेडिकल्स से लड़ने की क्षमता होती है. जिससे कैंसर से बचाव में मदद मिलती है. इसमें इंथोसाइनिन भी होता है जो हार्ट अटैक से बचाता है. इतना ही नहीं शुगर से लड़ने के लिए यह रामबाण साबित हो सकता है.
खेती में लागत और कमाई-
लाल टमाटर के बराबर ही काले टमाटर की खेती में खर्चा होता है. केवल बीज का खर्च बढ़ता है. खेती का खर्च निकालकर प्रति हेक्टेयर 4-5 लाख का मुनाफा हो सकता है. काले टमाटर की पैकिंग और ब्रांडिंग भी मुनाफा बढ़ाती है. पैकिंग के बाद बड़े महानगरों में बिक्री के लिए भेज सकते हैं.
काले टमाटर के लिए जलवायु-
भारत की जलवायु काले टमाटर के लिए उपयुक्त है. खेती भी लाल टमाटर की तरह होती है. पौध ठंडे स्थानों पर विकसित नहीं हो पाते है. इनके लिए गर्म क्षेत्र उपयुक्त होते हैं.
बुवाई का समय-
सर्दियों के जनवरी महीने में पौध की बुवाई होती है और गर्मियों यानी मार्च-अप्रैल में किसान को काले टमाटर मिलने लगते हैं.
मिट्टी और तापमान-
जीवांश और कार्बनिक गुणों से भरपूर दोमट मिट्टी सही होती है. चिकनी दोमट मिट्टी में भी खेती हो सकती है. खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था हो. इसके लिए मिट्टी का ph मान 6.0-7.0 होना चाहिए. खेती 10-30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान में होती है. 21-24 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान में पौधे अच्छे विकसित होते हैं.
भारत में झारखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के कई किसान काले टमाटर उगा रहे हैं. झारखंड के किसानों का कहना है कि काले टमाटर की खेती बड़ी आसानी से हो सकती है. काले टमाटर की जैविक खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं और इसके सेवन से लोग तंदुरुस्त रह सकते हैं.
नर्सरी के लिए यहां से लें बीज -
काले टमाटर के बीज अब भारत में आसानी से मिल जाते हैं. आप ऑनलाइन भी बीज मंगा सकते हैं.
नर्सरी तैयार करने की विधि-
रोपाई से पहले मिट्टी को भुरभुरी बनाएं. फिर बीज की रोपाई भूमि की सतह से 20-25 सेंटीमीटर की ऊंचाई पर करें. नर्सरी में बीज की रोपाई के करीब 30 दिनों बाद पौधे लगाएं.
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सिंचाई प्रबंधन-
खेत में जरूरत के अनुसार सिंचाई करें. टपक विधि से सिंचाई टमाटर की खेती के लिए काफी उपयुक्त है. मिट्टी में नमी की कमी न होने दें. सिंचाई के बाद मिट्टी सूखी लगे तो खुरपी की सहायता से मिट्टी की ढीली कर खरपतवार निकालें. खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करना चाहिए.
उर्वरक प्रबंधन-
अच्छी पैदावार के लिए प्रति हेक्टेयर 100 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो सल्फर और 60 किलो पोटाश चाहिए होता है. ध्यान रहे कि रोपाई के समय यूरिया की जगह दूसरी मिश्रित खाद या अमोनियम सल्फेट का प्रयोग करें. इसके लिए जैविक खाद बहुत ही फायदेमंद है. नर्सरी और पौध की रोपाई के समय कंपोस्ट और गोबर की खाद जरूर डालें.