कृषि क्षेत्र के विस्तार में अब कई बातों पर ध्यान दिया जा रहा है. सब्जियां अब पौष्टिक होने के साथ ही सुंदर भी दिखे इसका भी ध्यान रहता है. ऐसे में रंग-बिरंगी सब्जियों की डिमांड ज्यादा बढ़ गई है. इस बीच लाल भिंडी खूब चर्चा में है. लाल भिंडी (Red okra farming) यह एक विदेशी फसल है. जिसकी खेती अब तक यूरोपीय देशों में होती रही, लेकिन भारत में भी लाल भिंडी की खेती होने लगी है. जिसके लिए गर्म और आद्र कम जलवायु उपयुक्त होती है. आईये जानते हैं लाल भिंडी और खेती के बारे में...
लाल भिंडी की खेती में लागत और कमाई
लाल भिंडी का उत्पादन सामान्य भिंडी की अपेक्षा 3 गुना ज्यादा होता है. कृषि वैज्ञानिकों ने इसकी भारतीय किस्म भी ईजाद की है. यह भिंडी बाजार में सामान्य भिंडी से कई गुना ज्यादा कीमत पर बिकती है. लागत आदि मिलाकर कुल खर्चों के बाद भी किसान लाल भिंडी से डेढ़ से दोगुना ज्यादा कमाई कर सकता है. बाजार में अमूमन एक किलोग्राम लाल भिंडी 100 से 500 रु कीमत पर मिलती है.
लाल भिंडी के बारे में जाने
सामान्य तौर पर हरी भिंडी जैसे ही लाल भिंडी के पौधे की लंबाई लगभग एक से डेढ़ मीटर तक होती है. लाल भिंडी की खेती खरीफ और रबी दोनों मौसम में होती है. पौधे को बारिश की ज्यादा जरूरत नहीं होती. इसके लिए सामान्य बारिश काफी होती है. अधिक गर्मी और अधिक सर्दी अच्छी नहीं होती. सर्दियों में पड़ने वाला पाला खेती को अधिक नुकसान पहुंचाता है. पौधों को विकास के लिए दिन में लगभग 6 घंटे तक धूप की आवश्यकता होती है.
लाल भिंडी की खेती के लिए उपयोगी मिट्टी
खेती के लिए जीवांश और कार्बनिक पदार्थ युक्त बलुई दोमट मिट्टी सबसे सर्वोत्तम होती है. अच्छी पैदावार और गुणत्तापूर्ण फल के लिए उचित जल निकास और भूमि का ph मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए. देशभर में लगभग सभी जगह लाल भिंडी की खेती की जा सकती है.
लाल भिंडी की खेती का सही समय
लाल भिंडी की खेती हरी भिंडी की तरह साल में 2 बार की जा सकती है. फरवरी के पहले सप्ताह से मार्च अंत तक और जून से जुलाई माह तक इसकी खेती की जा सकती है.
लाल भिंडी की खेती की तैयारी कैसे करें
सबसे पहले खेत की अच्छे से जुताई कर उसे खुला छोड़ें. फिर खेत में 15 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से पुरानी गोबर की खाद डालकर खेत की अच्छे से जुताई करें जिससे गोबर की खाद मिट्टी में अच्छे से मिले. फिर खेत में पानी छोड़कर खेत का पलेव करें. पलेव करने के 2-3 दिन बाद जब भूमि ऊपर से सूखने लगे तब खेत की फिर से जुताई कर उसमें पाटा चला दें ताकि खेत समतल हो जाए.
लाल भिंडी की उन्नत किस्में
लाल भिंडी की दो उन्नत किस्में हैं पहली आजाद कृष्णा और दूसरी काशी लालिमा. इनके विकास के लिए भारतीय कृषि वैज्ञानिकों में 1995-96 से काम शुरू किया. 23 साल बाद वाराणसी स्थित भारतीय सब्ज़ी अनुसंधान संस्थान को लाल भिंडी की किस्म के विकास में सफलता मिली. इस किस्म का रंग बैंगनी और लाल होता है. 10-15 सेंटीमीटर लम्बी, और 1.5 से 1.6 सेमीo की मोटाई वाली भिंडी में पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. दोनों किस्मों के फल लाल रंग के होते हैं.
सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन
सिंचाई सामान्य भिंडी की तरह मौसम के आधार पर होती है. मार्च में 10-12 दिन, अप्रैल में 7-8 दिन और मई-जून में 4-5 दिन के अंतर में करें. बरसात में यदि बराबर बारिश होती है तो सिंचाई की जरुरत नहीं पड़ती.
खाद और ऊर्वरक की मात्रा
बुवाई से पहले खेत की तैयारी के अंतर्गत 20-30 टन अच्छी तरह गली और सड़ी गोबर की खाद खेत में माह भर पहले किसान भाई डाल दें. 100 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 60 कि.ग्रा. फास्फोरस, 50 कि.ग्रा. पोटाश, प्रति हैक्टेयर की दर से भूमि में डालनी चाहिए.
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उर्वरक डालने की विधि
बुवाई के पहले ही नाइट्रोजन खाद की एक तिहाई मात्रा और फॉस्फोरस, पोटाश की पूरी मात्रा खेत में मिला दें. शेष बची हुई नाइट्रोजन की मात्रा 2 बार खड़ी फसल में एक समान रूप से टॉप ड्रेसिंग करें.