New Variety of Wheat: हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है. यहां के ज्यादातर किसान खेती पर निर्भर हैं. किसान अच्छी उपज और गुणवत्ता वाले बीजों को उच्च प्राथमिकता देते हैं क्योंकि रबी सीजन में बोई जाने वाली मुख्य गेहूं फसल की नई रोग प्रतिरोधी और गुणवत्ता वाली किस्में अधिक लाभदायक होती हैं, जिससे अधिक उपज के साथ बेहतर मुनाफा होता है. ऐसे में आज हम किसानों को गेहूं के नए बीज एचडी 3385 (HD 3385) के बारे में बताने जा रहे हैं, जो न केवल जलवायु परिवर्तन के लिए उपयुक्त है, बल्कि इसका गेहूं की फसल पर कोई प्रतिकूल प्रभाव भी नहीं पड़ेगा. इसके अलावा इस नए बीज से किसानों को बंपर पैदावार भी मिलेगी.
बता दें कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा ने गेहूं का ऐसा बीज एचडी 3385 (HD 3385) तैयार किया है, जिसे केवल अक्टूबर महीने में ही बोया जा सकता है. कृषि जागरण से खास बातचीत के दौरान पूसा के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजवीर सिंह ने बताया कि तापमान बढ़ने से पहले यह बीज पककर तैयार हो जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि इस बीज की बुआई अक्टूबर के बाद नवंबर या दिसंबर में की जा सकती है, लेकिन बाद में बुआई करने से इसकी पैदावार पर फर्क पड़ेगा.
उपज 7 टन प्रति हेक्टेयर
बातचीत के दौरान पूसा के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजवीर सिंह ने बताया कि मौसम में आए बदलाव के चलते पूसा ने गेहूं का ऐसा बीज तैयार किया है, जिसे अक्टूबर माह में ही बोया जा सकता है. उन्होंने बताया कि इस किस्म की पैदावार 7 टन प्रति हेक्टेयर हो सकती है. तापमान बढ़ने से पहले यह तैयार हो जाएगा. उन्होंने बताया कि अगर इसे नवंबर में बोया जाए तो पैदावार 6 टन और अगर दिसंबर में बोई जाए तो पैदावार 5 टन प्रति हेक्टेयर हो सकती है. यानी अगर समय पर बुआई की जाए तो प्रति हेक्टेयर दो टन तक का फायदा प्राप्त किया जा सकता है.
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75 कंपनियों से समझौता
बीजों की उपलब्धता के बारे में पूछे जाने पर डॉ. राजवीर सिंह ने बताया कि यह बीज सभी विक्रेताओं के पास उपलब्ध नहीं होगा. उन्होंने कहा कि फिलहाल बीज एचडी 3385 (एचडी 3385) के लिए 75 कंपनियों से समझौता किया गया है.
यह बीज इन्हीं कंपनियों से मिलेगा. साथ ही उन्होंने कहा कि विक्रेताओं की सूची भी जल्द जारी की जाएगी, ताकि किसान इन बीजों को अपने नजदीकी विक्रेताओं से आसानी से खरीद सकें.