देश के किसानों के लिए कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा समय-समय पर फसलों की नई-नई किस्मों की खोज की जाती रही हैं. ताकि किसान कम खर्च में बढ़िया पैदावार के साथ अधिक लाभ भी प्राप्त कर सकें. इसी क्रम में गेहूं और जो अनुसंधान संस्थान/Wheat and Joe Research Institute ने गेहूं की दो नई किस्में डीडीबी-55 और डीबीडब्ल्यू-316 को विकसित किया है. गेहूं की ये किस्में मध्यवर्ती किसानों के लिए बेहद लाभदायक साबित होंगी. क्योंकि गेहूं की इन नई किस्मों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये कम पानी में भी बढ़िया पैदावार देंगी. इन किस्मों को मध्य, उत्तरी मध्य पूर्वी भारत के मौसम के अनुसार तैयार किया गया है.
दरअसल, गेहूं की दोनों किस्में डीडीबी-55 और डीबीडब्ल्यू-316 मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और गुजरात के किसानों के लिए बेहद फायदेमंद हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि कब से गेहूं की ये दोनों किस्में किसानों को दी जाएंगी और क्या हैं इनकी विशेषताएं-
गेहूं की नई किस्म एक नवंबर से मिलेगी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गेहूं की ये दोनों नई किस्में अगले महीने की पहली तारीख यानी की एक नवंबर, 2023 से किसानों को बांटे जाएंगे. ताकि किसान इसे अपने खेत में लगाकर कम खर्च में गेहूं की अच्छी उपज प्राप्त कर सकें. गेहूं के यह बीज पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर ही किसानों को मिलेंगे.
गेहूं की अगेती किस्म डीबीबी-55 पर परीक्षण
कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा गेहूं की अगेती किस्म डीबीबी-55 से फसल उगाने के लिए कई राज्यों के वातावरण में शोध किए गए कि यह किस्म कम पानी में अच्छी पैदावार दे सकती है की नहीं. शोध में इसके परिणाम वैज्ञानिकों के हित में आए. ठीक इसी प्रकार से गेहूं की दूसरी किस्म डीबीडब्ल्यू 316 पर भी परीक्षण किए गए.
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गेहूं की डीडीबी-55 और डीबीडब्ल्यू-316 किस्म की विशेषताएं
गेहूं की ये दोनों किस्में खेत में 112 से 120 दिनों में पूरी तरह से पककर तैयार हो जाती हैं. इनकी सबसे अच्छी खासियत यह है कि इस किस्म को बस दो बार की सिंचाई की जरूरत पड़ती है और वहीं गेहूं की अन्य किस्म को कम से कम चार से पांच बार सिंचाई की आवश्यकता होती है. इसी स्थिति को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिकों ने गेहूं की इन किस्मों को भूजल बचाने के लिए तैयार किया है. दरअसल, यह किस्म मिट्टी और वातावरण से नमी अधिक मात्रा में सोखती है. ताकि सिंचाई की जरूरत कम पड़ सकें.
इसके अलावा, इस किस्म में रोगों से लड़ने की क्षमता भी अधिक हैं. ऐसे देखा जाए तो इस किस्म से किसान कम खर्च में गेहूं की अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.