भारत में मटर की खास मांग है. अनेको तरह के व्यजंनों में इसका उपयोग होता रहा है. यह एक फूल धारण करने वाला द्विबीजपत्री पौधा है, जिसकी जड़ गांठों के रूप में होती है. इस लेख में हम आपको मटर की एक ऐसी किस्म के बारे में बताएंगें, जो सामान्य मटर के मुकाबले अधिक उपज देती है. मटर की इस किस्म में अधिक फूल आते हैं और फलियों की संख्या भी सामान्य मटर के मुकाबले बहुत ज्यादा होती है.
दो मटरों के संकरण से बनी नई किस्म
इसे बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने मटर की दो अलग-अलग प्रजातियों वीएल-8 और पीसी-531 का संकरण किया है. वैज्ञानिकों का मानना है कि नई प्रजाति के प्रत्येक डंठल पर शुरू में दिखने वाले दो फूल बाद में जाकर अधिक में बदल जाते हैं. प्रत्येक डंठल में दो से अधिक फूल हो जाते हैं, जिस कारण एक ही डंठल में अधिक फलियां लगती हैं.
वीआरपीएम 901-5 है नाम
मटर की इस नई किस्म को वीआरपीएम 901-5 नाम दिया गया है. इसके एक ही डंठल में पांच फूल आते हैं, जबकि इसकी फलियों के संकरण द्वारा प्राप्त पांच किस्मों वीआरपीएम-501, वीआरपीएम-502, वीआरपीएम-503, वीआरपीएम-901-3 और वीआरपीएसईएल-1पी के पौधों के कई डंठलों से तीन फूल भी प्राप्त होते हैं.
एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर है वीआरपीएम 901-5
मटर की नई किस्म वीआरपीएम 901-5 सेहत के लिए लाभकारी है. इसमें पर्याप्त मात्रा में आयरन, जिंक, मैगनीज और कॉपर है. इसके अलावा ये शरीर को कई तरह की बीमारियों से बचाने में भी सहायक है. सामान्य मटर के मुकाबले इसमें अधिक मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं.
सौंदर्य बढ़ाने में भी सहायक
भोजन के अलावा इस मटर का उपयोग सौंदर्य बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है. यह एक तरह नेचुरल स्क्रबर है, जिससे चेहरे का मसाज हो सकता है. जिन लोगों को मोटापे की समस्या है, उनके लिए मटर का सेवन फायदेमंद है.