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Updated on: 21 September, 2024 12:01 PM IST
Wheat Variety HD HD 3086 (Pusa Gautami)

Wheat Variety HD HD 3086 (Pusa Gautami): भारत के उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र, जिसमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, और मध्य प्रदेश जैसे राज्य शामिल हैं, गेहूं उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र हैं. इन राज्यों में सिंचाई की सुविधा अच्छी है, जो गेहूं की उच्च पैदावार में सहायक होती है. हालंकि, गेहूं की उच्च पैदावार प्राप्त करने के लिए गेहूं की उन्नत किस्म की जरुरत होती है. वही ICAR के कृषि वैज्ञानिकों ने गेहूं की कई उन्नत किस्मों को विकसित किया है उन्हीं में से एक HD 3086 किस्म है, जिसे ‘पूसा गौतमी’ के नाम से भी जाना जाता है. यह किस्म उत्तर भारत के किसानों के लिए एक वरदान है.

इसके अलावा, गेहूं की उन्नत किस्म: HD 3086 (पूसा गौतमी) समय से बुवाई और सिंचित अवस्था में खेती के लिए उपयुक्त है. ऐसे में आइए इस किस्म के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर नज़र डालते हैं:-

खेती और बुवाई की विधि:

HD 3086 किस्म समय से बुवाई और सिंचित अवस्था के लिए उपयुक्त मानी जाती है. सिंचित क्षेत्रों में समय पर बुवाई करने से इसकी उत्पादकता अधिक रहती है.

HD 3086 किस्म की उत्पादन क्षमता:

  • औसत उपज: उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों में औसत उपज 54.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है और उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में औसत उपज 50.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.

  • अधिकतम उपज: उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों में इसकी अधिकतम उपज 81 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक जा सकती है. और उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में अधिकतम उपज 61 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.

HD 3086 किस्म की तैयार होने की अवधि:

HD 3806 किस्म के लिए तैयार होने की अवधि भी क्षेत्रीय परिस्थितियों पर निर्भर करती है:

  • उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र में यह किस्म 145 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.

  • उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र में इसकी परिपक्वता अवधि 121 दिनों की होती है.

HD 3086 किस्म में रोग प्रतिरोधक क्षमता:

HD 3806 किस्म की एक प्रमुख विशेषता इसकी पीले तथा भूरे रतुए के प्रति प्रतिरोधक क्षमता है. यह किस्म इन रोगों से होने वाले नुकसान से फसल को बचाकर उपज में बढ़ोतरी करती है.

HD 3086 किस्म की खेती के लिए उपयुक्त क्षेत्र:

HD 3086 (पूसा गौतमी) किस्म की खेती के लिए निम्नलिखित क्षेत्र उपयुक्त माने गए हैं:

  • उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र (पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर संभाग को छोड़कर), पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झांसी डिविजन को छोड़कर))

  • जम्मू और कश्मीर के कुछ हिस्से (कठुआ जिला को छोड़कर)

  • हिमाचल प्रदेश (ऊना जिला और पांवटा के कुछ हिस्से को छोड़कर)

  • उत्तराखंड का तराई क्षेत्र

HD 3086 किस्म की खेती से लाभ:

  1. उच्च उपज क्षमता: HD 3086 किस्म की अधिकतम उपज 81 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुंच सकती है, जो किसानों के लिए अधिक लाभदायक साबित होती है.

  2. रोग प्रतिरोधक क्षमता: पीले और भूरे रतुए जैसी बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक होने के कारण फसल सुरक्षित रहती है.

  3. समय से तैयार: इस किस्म की तैयार होने की अवधि किसानों को समय पर कटाई और अगली फसल की तैयारी के लिए उपयुक्त समय देती है.

ऐसे में हम यह कह सकते हैं कि गेहूं की उन्नत किस्म HD 3086 (पूसा गौतमी) उत्तर भारत के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण किस्म है, जो अधिक उपज, रोग प्रतिरोधकता और समय पर परिपक्वता जैसी गुणों के कारण लोकप्रिय हो रही है. यदि सही समय पर बुवाई और उचित देखभाल की जाए, तो इस किस्म से किसान अधिकतम उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.

English Summary: new improved wheat variety HD 3806 Pusa Gautami yield up to 81 quintals per hectare, know the sowing time
Published on: 21 September 2024, 12:09 PM IST

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