जो किसान खेती से मोह त्यागकर शहर की ओर रुख कर रहे थे अब वो किसान भी आधुनिक तरीके से खेती कर रहे है और भारी मुनाफा कमा रहे है. एक तरह से खेती आज एक कारोबार का रूप ले चुकी है.
इससे बहुत सारे किसान करोड़ों मुनाफा कमा रहे है. अन्य किसान भी भारी मुनाफा कमा सकते है बस उन्हें जरूरत है नए संसाधन और वैज्ञानिक तकनीक अपनाने की है. मौजूदा वक्त में कृषि (Agriculture) वैज्ञानिक ऐसे-ऐसे बीज तैयार कर रहे हैं जो कम से कम समय में बंपर पैदावार देते हैं. ऐसे में किसान (Farmers) भाई इन्हें अपना कर ज्यादा से ज्यादा पैदावार लेने के साथ ही अपनी आमदनी में भी बढ़ोतरी कर सकते हैं.
नामधारी-4266 टमाटर की उपज 1,400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर (Namdhari-4266 Tomato yield 1,400 quintals per hectare)
इसी कड़ी में टमाटर की खेती करने वाले किसानों के लिए कानपुर के चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) ने नई किस्म विकसित की है जिससे प्रति हेक्टेयर उपज 1,200 से 1,400 क्विंटल तक ली जा सकती है. टमाटर की इस किस्म को नामधारी-4266 का नाम दिया गया है, जो अब किसानों के लिए भी उपलब्ध है.
गौरतलब है है कि समान्य प्रजाति के टमाटरों का उत्पादन जहां प्रति हेक्टयर उपज 400 से 600 क्विंटल है वहीं इस नई किस्म से अब किसानों को 1,200 से 1,400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर टमाटर की उपज मिलेगी. बागवानी क्षेत्र में इस खोज को किसानों के लिए एक नई क्रांति के रूप में देखा जा रहा है.
नहीं लगते बीमारी और कीट (No disease and pest)
आमतौर पर टमाटर की खेती में निराई, बुवाई, सिंचाई, गुड़ाई और खाद आदि के खर्च में करीब 50 हजार रुपये प्रति हेक्टर का खर्च आता है. लगभग इसी औसत में पॉली हाउस में नामधारी-4266 प्रजाति के टमाटर की खेती कर सकते हैं. इस वैरायटी खासियत यह है कि इसमें बीमारी और कीट नहीं लगते. फसल भी 45 दिनों में तैयार हो जाती है.
इन दिनों लगाएं नर्सरी (Plant nursery these days)
सितंबर व अक्टूबर माह में इसकी नर्सरी लगाई जाती है और दिसंबर से फरवरी के बीच फसल तैयार हो जाती है. मिट्टी में नारियल के बुरादे, परलाइट व वर्मीकुलाइट के मिश्रण को डाला जाता है, जिससे मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व पौधे को मिलता है.
इसकी सिंचाई के लिए भी ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती. टपक विधि से आसानी से सिंचाई की जाती है.
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