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Updated on: 20 October, 2023 2:53 PM IST
Sow mustard using SRI method (Photo source: Google)

किसानों ने अभी तक अपने खेत में श्री विधि से केवल धान-गेहूं की ही बुवाई कर अधिक पैदावार प्राप्त की होगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस विधि के इस्तेमाल से आप सरसों की बुवाई कर दोगुना उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. श्री विधि की सरसों बुवाई के बारे में कई वैज्ञानिकों ने रिसर्च किया है और पाया कि इस विधि से सरसों की फसल की अधिक से अधिक पैदावार प्राप्त की जा सकती है. दरअसल, श्री विधि में एक पौधे से दूसरे पौधे के बीच में लगभग 20 से 50 सेमी तक की जगह छोड़ी जाती है. ताकि पौधे सही तरीके से विकसित हो सके. इस विधि में पानी की मात्रा भी बेहद कम लगती है.

वहीं, सरसों की फसल के लिए बुवाई का सही समय अक्टूबर से नवंबर माह तक होता है, तो आइए जानते हैं कि श्री विधि से सरसों की बुवाई कैसे की जा सकती हैं-

बीज का चयन और मात्रा

श्री विधि से सरसों की बुवाई करने के लिए किसानों को किसी तरह के खास बीजों की आवश्यकता नहीं पड़ती है, इसके लिए आप सरसों की सामान्य किस्मों का भी चयन कर सकते हैं. वहीं, बीज की मात्रा उसकी अवधि पर निर्भर करती है. अगर बीज अधिक दिनों में पकने वाली किस्म हैं, तो खेत में कम बीज ही लगाए और वहीं कम दिनों में तैयार होने वाले बीज को अधिक मात्रा में लगाएं.

सरसों की फसल के बीज उपचार

सरसों की अच्छी उपज पाने के लिए बीजों का उपचार करना बहुत जरूरी है. इसके लिए आप बीज की मात्रा के हिसाब से अधिक पानी लें और फिर इसमें आपको बीज को डाल देना है. इसमें आपको उन बीजों को बाहर निकाल देना है, जो पानी के ऊपर तैर रहे हो. इसके बाद आपको गुनगुने पानी में बीज की मात्रा से आधी मात्रा में गोमूत्र, गुड़ और वर्मी कम्पोस्ट सही तरह से मिलाकर छह से आठ घंटे के लिए छोड़ देना चाहिए. फिर आपको बीज में तरल पदार्थ से अलग कर दो ग्राम बाविस्टीन या कार्बेंडाजिम दवाई को मिलाकर सूती कपड़ा में बांधकर पोटली कर लें. इस तरह से इसे कम से कम 12-18 घंटे तक रखें.

सरसों की नर्सरी की तैयारी-

  • इसके लिए आप सब्जी वाले खेत का चयन करें.

  • खेत में फसल अवधि के मुताबिक ही छोटा-बड़ा नर्सरी बेड बनाएं. ध्यान रहे कि इन बेड की चौड़ाई और लंबाई 1 मीटर तक होनी चाहिए.

  • इसके बाद प्रति वर्ग मी. में 2 से 2.5 किग्रा. वर्मीकम्पोस्ट, 2 से 2.5 ग्राम कार्बोफ्यूरान मिट्टी में अच्छी तरह से मिलाएं.

  • फिर दो बेड के बीच 1 फिट की नाली तैयार करें.

  • ध्यान रहे कि सरसों के बीज की बुवाई करते समय खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए.

  • खेत में अंकुरित बीज 2 इंच कतार से कतार और 2 इंच बीज से बीज की दूरी पर लगाए. इन बीजों की गहराई कम से कम आधा इंच रखें.

  • इन सब के बाद नर्सरी बेड को वर्मीकम्पोस्ट और पुआल से ढक दें.

  • फिर आपको खेत में सुबह-शाम झारी सिंचाई करनी है.

  • इस विधि को आप अगर अपनाते हैं,तो ऐसे में आप 12 से 15 दिनों में रोपाई कर सरसों के पौधे तैयार कर सकते हैं.

सरसों के खेत की तैयारी

  • सरसों की अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए आपको सबसे पहले खेत में पर्याप्त नमी को बनाए रखना होगा.

  • अगर किसी कारणवंश आपका खेत सूख गया है, तो इसे फिर से सिंचाई कर जुताई करें और मिट्टी को भुरभुरा बना लें.

  • सरसों की फसल के लिए आपको खेत में कतार से कतार और पौध से पौध से 6 इंच चौड़ा व 8 से 10 इंच गहरा गड्ढा करना है.

  • फिर इसे आपको दो से तीन दिन के लिए ऐसे ही छोड़ देना चाहिए.

  • इसके बाद आपको 1 एकड़ खेत में लगभग 50-60 क्विंटल कम्पोस्ट खाद में 4 से 5 किग्रा. ट्राइकोडर्मा, 27 किग्रा. डीएपी और 13.5 कि.ग्रा. म्यूरेट ऑफ पोटाश को अच्छी तरह मिलाना है. इसे आपको एक गड्ढे में डालकर कम से कम एक दिन के लिए छोड़ देना है.

  • फिर आपको खेत में बुवाई करने से 2 घंटे पहले नर्सरी में नमी बना लेनी है.

  • इसके आधे घंटे के अंदर गड्ढे में बुवाई करनी चाहिए.

  • ध्यान रहे कि बुवाई करने के लगभग 3 से 5 दिन तक खेत में नमी को बनाए रखें, जिससे पौधा अच्छी तरह से लगकर विकसित हो सके.

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फसल की देखरेख

  • बुवाई के 15-20 दिन के अंदर पहली सिंचाई करें.

  • इसके 3-4 दिन बाद खेत में 3-4 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट में 13.5 किग्रा. यूरिया मिलाकर कुदाल या फिर खुरपा चलाएं.

  • फिर आपको खेत में दूसरी सिंचाई 15-20 दिन के बाद करनी है.

  • अंत में आपको रोटरी वीडर/कोनी बीडर या कुदाल से खेत की गुड़ाई करनी है.

  • इसी तरह से आपको 35 दिन के बाद 13.5 किग्रा. यूरिया और 13.5 किग्रा. पोटाश को वर्मीकम्पोस्ट में मिलाकर डालनी है.

  • सरसों फसल की तीसरी सिंचाई बुवाई के 35 दिन के बाद करनी है.

English Summary: mustard yield doubled using shree method mustard sowing crop of mustard in india
Published on: 20 October 2023, 03:09 PM IST

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