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Updated on: 3 October, 2022 5:55 PM IST
Mustard Crop Protection

भारत में तिलहन कुल की फसलों में सरसों (तोरियाराई) का महत्वपूर्ण स्थान है,  यह फसलें रबी कुल में उगाई जाने वाली मुख्य तिलहनी फसलें हैं.

सरसों के उत्पादन में राजस्थान प्रथम स्थान रखता है और उत्तर प्रदेश की भी यह रबी कुल में उगाई जाने वाली मुख्य फसल है. सरसों की फसल में कई प्रकार के कीट लगते हैं और ये आर्थिक हानि पहुंचाते हैं. इसी दृष्टिकोण से इन कीटों की पहचान कर इनकी उचित रोकथाम करना बहुत आवश्यक है. सरसों के मुख्य कीट एवं उनका उचित प्रबंध निम्नलिखित प्रकार से है.

सरसों के मुख्य कीट

माहू

सरसों में लगने वाला यह कीड़ा इस फसल के लिए बहुत ही हानिकारक है, इस कीट को इसके दूसरे नाम चेपा के नाम से भी जाना जाता है. इस कीट के शिशु व प्रौढ़ पौधे के सभी कोमल भाग (तनापत्तीफूल तथा नई फलिया) का रस चूसते हैं और उन पर मधु स्राव भी करते है जिससे उन पर कवक का आक्रमण भी बढ़ जाते हैं, जिससे पौधे में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में कमी आ जाती है. इस कीट का आक्रमण मुख्यत दिसंबर- जनवरी से लेकर मार्च तक देखने को मिलता है.

नियंत्रण

सरसों की अगेती बुबाई की गई फसल पर इस कीट का प्रकोप कम देखने को मिलता है तथा सामान्यत यह भी देखा गया है की सरसों की तुलना में राई जाति पर इस कीट का आक्रमण भी कम रहता है. दिसंबर या जनवरी में पौधों पर कीड़ों के समूह दिखने पर उन प्रभावित पौधे के हिस्सो को कीट सहित तोड़कर नष्ट कर देना चाहिए.

जब फसल के 20 प्रतिशत हिस्से पर कीट का प्रकोप दिखाई दे अथवा जब 13 -14 कीट प्रति पौधा दिखाई दे तब निम्नलिखित कीटनाशकों में से किसी एक का प्रयोग करना चाहिए.

इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल.की 80 मि.ली. मात्रा प्रति एकड़ 300 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करे.

ऑक्सिडिमेटोन मिथाइल (मेटासिस्टोक्स) 25 ई.सी की 250 मि.ली. मात्रा 400 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करना चाहिए.

सरसों में सुरंग बनाने वाला कीट

यह कीट भूरे रंग का होता है तथा इसका आकार 1.5 -20 मि.मी. होता है व इसकी सुंडियां पीले रंग की होती हैं. इस कीट की सुंडिया पौधे के विभिन्न भागों में टेढ़ी-मेढ़ी सुरंग बनाती हैं तथा पत्तियों में भी सुरंग बनाकर उसके हरे भाग खा जाती है. इससे पौधे की भोजन बनाने की प्रक्रिया पर बुरा प्रभाव पड़ता है, जिससे परिणामस्वरुप फसल की पैदावार कम हो जाती है.

नियंत्रण

कीट ग्रस्त पौधे के भागों को तोड़कर नष्ट कर दें.

यह कीट भी माहू के आक्रमण के समय ही दिखाई देता है इसलिए माहू के रोकथाम के लिए प्रयोग की गई कीटनाशकों के इस्तेमाल से ही इसका आक्रमण कम हो जाता है.

आरा मक्खी

इस मक्खी का रंग नारंगी व काला तथा इसके पंख धुएं के रंग के सामान होते है, इसकी कीड़े की सूंडिया गहरा हरे रंग की होती है और इनके ऊपर काले तीन धब्बेनुमा कतारनुमा सरंचना देखने को मिलती है. सूंडी की लम्बाई 1.5-2.0 सेमी तक होती है.

समान्यत इस कीट की सूंडिया अक्टूबर-नवंबर में ही फसल की प्रारंभिक अवस्था में पत्तों को काट-काट कर खा जाती है और अधिक आक्रमण होने पर यह तनें को भी खा लेती है.

नियंत्रण

गर्मी के महीने में खेत की गहरी जुताई करके छोड़ देना चाहिए, जिससे अधिक धूप के कारण खेत में पड़ी सूंडिया नष्ट हो जाती है.

सूंडियों को पकड़कर नष्ट कर देना चाहिए.

मैलाथिऑन 50 ईसी की 200 मिली मात्रा को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करना चाहिए.

सरसों की बालदार सुंडी

यह सुंडी भूरे रंग का होती है तथा पत्तियों की निचली सतह पर हल्के पीले रंग के अंडे देती है. सुंडी का आकार 3-5 सेमी लम्बा होता है और इनका पूरा शरीर बालों से ढका रहता है तथा शरीर का अगला व पिछला हिस्सा काला होता है. इस कीट का आक्रमण अक्टूबर से दिसंबर तक दिखाई देता है तथा तोरिया की फसल में इसका आक्रमण ज्यादा देखने को मिलता है.

इसकी सूंडियां दिन तक समूह में फसल को खाती है और फसल को छलनी कर तथा पौधे की पत्तियों,तनों व फलियों की छाल आदि को खाती रहती हैं, जिससे पैदावार में भारी नुकसान होता है.

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नियंत्रण

गर्मियों में फसल की गहरी जुताई करें, जिससे मिट्टी में रहने बाले प्यूपा धूप से नष्ट हो जाये.

पौधों की जिन पत्तियों पर कीट के समूह दिखाई दें उन पत्तियों को तोड़कर नष्ट कर देना चाहिए.

मोनोक्रोटोफॉस 250 मिली मात्रा को 250 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करें.

सरसों का चितकबरा कीड़ा

इस कीट का रंग काला होता है. इसके शरीर पर लालपीलेनारंगी रंग के धब्बे होते है तथा इसके शिशु कीट हल्के पीले व लाल रंग के होते है. इस कीट के शिशु व प्रौढ़ दोनों पौधे के विभिन्न भागों से रस चूस कर फसल को हानि पहुंचाते हैं और पत्तियों का रंग किनारें से सफेद होने लगता है. इसके शिशु कीट फलियों का रस चूसकर उसके वजन तथा तेल की मात्रा में कमी कर हानि पहुंचाते हैं. 

नियंत्रण

फसल में सिंचाई करने से अंडे, शिशुप्रौढ़ नष्ट हो जाते हैं.

सरसों के बीज को 5 ग्राम इमिडाक्लोप्रिड 70 डव्ल्यू एस प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज उपचार कर बुवाई करना चाहिए. 

मैलाथिऑन 50 ईसी 400 मिली मात्रा को 400 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर देना चाहिए.

लेखक-

पंकज कुमार राजपूत

ऋषभ मिश्रा

अरुण कुमार

शोध छात्र कीट विज्ञान विभाग

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर 208002                                                           

English Summary: Mustard Crop Protection: Complete information about the major pests of mustard and their prevention
Published on: 03 October 2022, 06:02 PM IST

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