देश में विगत वर्षों में मक्का के रकबे में कमी के बावजूद उत्पादन में थोड़ी वृद्धि हुई है. मक्का की उपज में यह वृद्धि किसानों, नीति- निर्धारकों, प्रशंसकों एवं कृषि वैज्ञानिक के कड़े परिश्रम एवं लगन शीलता के कारण ही संभव हो सकती है. मक्का मुख्य रूप से खरीफ की फसल है. परंतु अब विभिन्न शंकर एवं संकुल, प्रकाश एवं ताप सहिष्णुता किस्में के उपलब्ध हो जाने से रबी और जायद में इसकी खेती उत्तरी भारत के पूर्वोत्तर प्रदेशों और बिहार के मैदानों में सफलतापूर्वक की जा रही है.
मक्का की खेती के लिए उपरवार, भूमिया, जहां पानी नहीं लगता वह उपयुक्त होती है. मक्का की अल्पकालिक किस्म 70 से 80 दिन में पक कर तैयार हो जाती है. इस प्रकार बहुफसली कार्यक्रम में इनका महत्व बढ़ जाता है. अल्प अवधि के होने के कारण साल में कभी भी फसलों चक्र में इनका समावेश किया जा सकता है.
यूपी, बिहार, हरियाणा और मध्य प्रदेश के किसान परंपरागत खेती करते आए हैं
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा संचालित अखिल भारतीय मक्का विकास समन्वित परियोजना के अंतर्गत देश के विभिन्न क्षेत्रों में कुछ वर्षों तक किए गए शोध कार्यों से स्पष्ट हो गया है कि खरीफ मक्का आधारित तीन फसल चक्र, मक्का- गेहूं, मक्का + मूंगफली- गेहूं एवं मक्का + दलहन- काफी उपयुक्त पाए गए है. इनमें मक्का और गेहूं दोनों की उपज में वृद्धि पाई गई है. इससे स्पष्ट है कि अंतर खेती में दलहनी फसलों को शामिल करने से अन्य फसलों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है. उन्हीं परीक्षणों में पाया गया है कि दिल्ली, छिंदवाड़ा, बांसवाड़ा और उदयपुर में रबी मक्का के साथ मटर की अंतर खेती सर्वोत्तम थी. जबकि डोली में आलू या मटर उपयुक्त अंतर फसलें पाई गई. बहराइच और सबौर केन्द्रों पर मसूर और बींस की अंतर खेती लाभप्रद साबित हुई है. परंतु वाराणसी में राजमा या प्याज तथा धारवाड़ में धनिया रबी के साथ उपयुक्त अंतर फसलें साबित हुई हैं.
उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और मध्य प्रदेश के किसान परंपरागत मक्का, गेहूं का फसल चक्र अपनाते आए हैं. इनकी यह धारणा है और अनुभव भी की मक्का के बाद बोने से गेहूं की उपज अच्छी होती है. उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के काश्तकार बहुत दिनों से मक्का, आलू, तंबाकू फसल चक्र को अपनाते आए हैं. मक्का के काटने के बाद आलू बोने के लिए खेत की मिट्टी खूब भुरभुरी हो जाती है. यह फसल चक्र बहुत ही फायदेमंद है. मक्का-गेहूं की फसल चक्र को और सघन बनाने के लिए मक्का के साथ अन्तर्वर्ती पर कोई परीक्षण बिहार, दिल्ली , और हिमाचल प्रदेश में किए गए हैं.
राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा की कैल्शियम युक्त मृदा में मक्का, आलू, प्याज (62.8+236.2 कुंतल/हेक्टेयर) तथा मक्का, आलू , गेहूं, मूंग (95. 3+88. 0 कुंतल/हैक्टेयर) कुल उत्पादन की दृष्टि से सर्वोत्तम फसल चक्र साबित हुआ. इसी अनुसंधान केंद्र पर किए गए परीक्षण में यह स्पष्ट देखा गया कि उन सभी फसलों चक्र से अधिकतम उत्पादन एवं आमदनी प्राप्त हुई जहां मक्का के साथ शकरकंद या और प्याज उगाई गई. मक्का के साथ विभिन्न फसलों की अन्तर्वर्ती खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है. राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा में मक्का के साथ अरहर एवं मूंगफली की अन्तर्वर्ती खेती पर एक परीक्षण किया गया. इस प्रशिक्षण में मक्का की एक कतार के बाद अरहर की एक कतार बोई गई थी. जबकि मक्का की दो कतारों के बीच एक कतार मूंगफली की बाई गई थी. परिणाम के अवलोकन से स्पष्ट है कि मक्का के साथ अरहर की अन्तर्वर्ती खेती से अधिकतम उत्पादन प्राप्त हुआ, परंतु मक्का की उपज में लगभग 20% की कमी पाई गई. इसके विपरीत मक्का के साथ मूंगफली की अन्तर्वत्ति खेती से मक्का की उपज में बिना किसी कमी के 3 - 5 कुंतल / है, मूंगफली के अतिरिक्त उपज प्राप्त हुई.
पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसान मक्का के साथ-साथ अरहर, बाजरा, एवं मक्का के साथ अरहर ,ज्वार मिश्रित खेती लेते हैं. रबी में आलू के साथ-साथ मक्का और दलहनी फसल मटर की खेती लेते हैं. गन्ने के साथ मक्के की खेती ली जाती है.
ये भी पढ़ें: मक्का की खेती से मिलेगा बंपर उत्पादन, बस कृषि वैज्ञानिकों की इन सलाह पर दें विशेष ध्यान
देश में पिछले साल मक्का का आंकड़ा
भारत के पिछले आंकड़े मक्का का यह मक्का 59 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोई जाती है जिससे कुल 96. 51 लाख टन वार्षिक उत्पादन प्राप्त होता है. यह कुल खाद्यान्नों के उत्पादन का 6. 02% है. देश में 16 ॰ उत्तर अक्षांश से 32 ॰ उत्तर अक्षांश तक विभिन्न जलवायविक दशाओं में बोई जाती है. देश के 12 प्रान्तों में जहां मुख्य रूप से मक्का की खेती होती है, बीते कुछ वर्ष उपज में स्थिरता पर आंकड़ों से पता चलता है कि हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश, गुजरात , राजस्थान , मध्य प्रदेश , एवं आंध्र प्रदेश में मक्का के रकबे में स्थिरता पाई गई वही बिहार, उड़ीसा, कर्नाटक, महाराष्ट्र एवं पंजाब में इसमें काफी अस्थिरता देखी गई. परंतु उत्पादन के दृष्टि से जहां कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश , पंजाब जम्मू कश्मीर उड़ीसा महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में स्थिरता रही वही बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में भिन्नता पाई गई.
रबीन्द्रनाथ चौबे, ब्यूरो चीफ, कृषि जागरण,बलिया उत्तर प्रदेश