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Updated on: 24 January, 2023 11:57 AM IST
शहतूत में लगने वाले रोग

शहतूत की खेती रेशम के कीड़ों के लिए ही की जाती है, लेकिन शहतूत के वृक्ष में औषधीय गुण भी होते हैं. इससे बहुत सारी बीमारियों जैसे टिटनेस, रक्त चाप, चर्म रोग और कैंसर जैसे रोगों के लिए औषधीयां भी बनाई जाती हैं. एक शहतूत के वृक्ष की लंबाई 60 फीट तक की होती है और यह सदाबहार होता है. शहतूत की खेती के लिए दोमट या चिकनी बलुई मिट्टी की जरुरत होती है. मिट्टी का पीएच 6.5 से 7.0 के बीच होनी चाहिए. शहतूत के पौधों की वृद्धि के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान सही माना जाता है.

पौधों पर लगने वाले रोग

पत्तों के दाग (लीफ स्पॉट)

यह रोग पौधों में सर्दियों के मौसम में लगता है. यह बीमारी पत्ते काटने के 35 से 40 दिनों के बाद बढ़ना शुरू हो जाती है और धीरे-धीरे गंभीर होने लगती है. इसके लगने से पत्ती की सतह पर अनियमित गले हुए भूरे धब्बे दिखाई देने लगते हैं और कुछ दिनों में यह धब्बे बढ़कर आपस में मिल जाते हैं. बीमारी गंभीर होने के साथ-साथ पत्तियां पीली हो जाती हैं और सूखने भी लगती हैं. इससे बचाव के लिए पत्तियों पर बैविस्टिन, कारबेन्डेजियम के घोल का छिड़काव करना चाहिए. यह 5 से 6 दिनों के भीतर पत्तियों के दाग को मिटा देता है.

फफूंद

शहतुत के पौधों में यह बीमारी सर्दी और बरसात के मौसम में लगती है. इसमें पत्तियों की निचली सतह पर सफेद धब्बे दिखाई देने लगते हैं और इसके ऊपरी सतह पर क्लोरोटिक घावों का विकास होता है. बीमारी के गंभीर होने पर यह धब्बे काले होने लगते हैं. इससे बचाव के लिए पत्तियों की निचली सतह पर 0.2% कैरेथेन और बैविस्टिन के मिश्रम का छिड़काव करें.

पत्तों में जंग

यब बीमारी पौधों में सर्दी और बरसात के मौसम के दौरान अधिक लगती है. इसमें परिपक्व पत्तियां अधिक रोगप्रवण होती हैं. इस रोग में पत्तियों पर भूरे रंग के फटने वाले घाव दिखाई देते हैं और बाद सभी पत्तियां पीली हो जाती हैं और सूखने लगती हैं. इससे बचाव के लिए वृक्षारोपण के दौरान पौधों के बीच उचित दूरी रखें तथा पत्तियों की कटाई में ज्यादा देरी ना करें.

ये भी पढ़ेंः शहतूत की खेती में है मुनाफ़ा लाजवाब

सूटी मोल्ड

शहतुत में यह बीमारी सर्दियों के मौसम में अधिक लगती है. इससे पत्तियों की ऊपरी सतह पर मोटी काली तह बन जाती है. यह बीमारी शहतूत के खेत में सफेद मक्खियों की उपस्थिति के कारण होती है. इससे बचने के लिए पौधो पर 0.2% इंडोफिल-एम45 का छिड़काव करें. तथा सफेद मक्खी के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए पत्तों की छंटाई के बाद उस पर मोनोक्रोटोफॉस का छिड़काव करें.

English Summary: Mulberry diseases and its prevention
Published on: 24 January 2023, 12:08 PM IST

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