Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 26 February, 2023 11:45 AM IST
मोठ की खेती

दलहनी फसलों में मोठ सबसे ज्यादा सूखा सहन करने वाली फसल हैइसलिए यह असिंचित क्षेत्रों के लिए लाभदायक हैक्योंकि इसकी जड़े ज्यादा गहराई तक जाकर भूमि से नमी हासिल कर लेती हैं. राजस्थानगुजरातमध्य प्रदेशआन्ध्र प्रदेशमहाराष्ट्र देश के प्रमुख मोठ उत्पादक राज्य हैंजिनमें राजस्थान देश में मोठ ऊत्पादन में पहले स्थान पर आता है. राजस्थान में मोठ का क्षेत्रफल 96.75% और उत्पादन 94.49% होता है. मोठ की औसत उपज 338 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के लगभग हैउन्नत तकनीक से खेती करने पर 25 से 60 प्रतिशत तक अधिक पैदावार हासिल की जा सकती है. 

उपयुक्त जलवायु

मोठ की फसल बिना किसी विपरीत प्रभाव के फूल और फली अवस्था में उच्च तापमान को सहन कर सकती है और इसकी वृद्धि और विकास के लिए 25 -37 सेन्टीग्रेड तापक्रम की जरूरत होती है. वार्षिक वर्षा 250-500 मि.मी. और उचित निकास की जरूरत होती है. 

भूमि का चुनाव

अच्छी जल निकासी और उच्च उर्वरता वाली दोमट भूमि सर्वोत्तम मानी जाती है. भूमि में जल निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिएखेत में पानी के ठहराव से फसल को भारी नुकसान पहुंच सकता है. 

भूमि की तैयारी

मोठ की खेती के लिए दो बार हेरों से जुताई कर पाटा लगा देना चाहिए. पहली जुताई मिट्टी पटलने वाले हल या हैरो चलाकर करनी चाहिए और फिर एक क्रॉस जुताई हैरो से करनी चाहिए. इसके अलावा एक जुताई कल्टीवेटर कर पाटा लगाकर भूमि समतल कर देनी चाहिए.

बुवाई का समय

मोठ की बुवाई जून के तीसरे सप्ताह से लेकर जुलाई के पहले पखवाड़े तक या फिर मानसून शुरू होने के तुरन्त बाद कर देना चाहिए. उड़द और मूंग की तरह पंक्तियों में निर्धारित गहराई पर सीड ड्रिल या चोंगा से बुआई करने पर पर्याप्त पौध संख्या मिल सकती है. 

बीजोपचार

मृदाजनित रोगों से बचाव के लिए बीजों को ग्राम थीरम और एक ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति कि.ग्रा और ग्राम थीरम प्रति कि.ग्रा. की दर से उपचार करना चाहिए. फफूंदनाशी दवा के उपचार के बाद बीजों को राइजोबियम और पी.एस.बी कल्चर 5-7 ग्राम मात्रा प्रति कि.ग्रा. बीज के हिसाब से उपचारित करना चाहिए. 

सिंचाई

जैसा कि यह यह फसल असिंचित दशा में बोई जाती है लम्बे समय तक बारिश न हो तो दाना बनते समय एक सिंचाई करना फायदेमन्द होती है. 

यह भी पढ़ें: मोंठ की दाल (Moth Daal) खाने से शरीर को होंगे कई फायदे, जानें किन ...

English Summary: moth pulse crop which will give bumper profit even in drought prone area
Published on: 26 February 2023, 11:54 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now