रबी तिलहनी फसलों में राई/सरसों का प्रमुख स्थान माना गया है, लेकिन प्रदेशों में अनेक प्रयास के बाद भी राई के क्षेत्रफल में विशेष वृद्धि नहीं हो पा रही है. इसका प्रमुख कारण यह है कि सिंचन क्षमता में वृद्धि है.
इसकी खेती सीमित सिंचाई की दशा में अधिक लाभदायक होती है. अगर खेती की उन्न्त विधियां अपनाई जाएं, तो फसल के उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि हो सकती है.
राई/सरसों के लिए खेत की तैयारी (Field preparation for rye/mustard)
खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करके बाद पाटा लगाकर खेत को भुरभुरा बना लेना चाहिए। यदि खेत में नमी कम हो तो पलेवा करके तैयार करना चाहिए। ट्रैक्टर चालित रोटावेटर द्वारा एक ही बार में अच्छी तैयारी हो जाती है।
राई/सरसों के लिए उन्नत किस्में (Rye/mustard Advanced varieties)
राई/सरसों के लिए सिंचित क्षेत्र (Irrigated area for rye/mustard)
क्र.सं. |
किस्में |
पकने की अवधि (दिनों में) |
उत्पादन क्षमता कु०/हे० क्विंटल |
1 |
नरेन्द्र अगेती राई-4 |
95-100 |
15-20 |
2 |
वरूणा (टी-59) |
125-130 |
20-25 |
3 |
बसंती (पीली) |
130-135 |
25-28 |
4 |
रोहिणी |
130-135 |
22-28 |
5 |
माया |
130-135 |
25-28 |
6 |
उर्वशी |
125-130 |
22-25 |
7 |
नरेन्द्र स्वर्ण-रार्इ-8 (पीली) |
125-130 |
22-25 |
राई/सरसों के लिए असिंचित क्षेत्र (Unirrigated area for rye/mustard)
क्र.सं. |
किस्में |
पकने की अवधि (दिनों में) |
उत्पादन क्षमता कु०/हे० क्विंटल |
1 |
वैभव |
125-130 |
15-20 |
2 |
वरूणा |
120-125 |
15-20 |
राई/सरसों की बुआई में देरी (Delay in sowing of rye/mustard)
क्र.सं. |
किस्में |
पकने की अवधि (दिनों में) |
उत्पादन क्षमता कु०/हे० क्विंटल |
1 |
आशीर्वाद |
130-135 |
20-22 |
2 |
वरदान |
120-125 |
18-20 |
क्षारीय/लवणीय भूमि हेतु (Alkaline/saline soil for rye/mustard)
क्र.सं. |
किस्में |
पकने की अवधि (दिनों में) |
उत्पादन क्षमता कु०/हे० क्विंटल |
1 |
नरेन्द्र राई |
130-135 |
18-20 |
2 |
सी०एस०-52 |
135-145 |
16-20 |
3 |
सी०एस०-54 |
135-145 |
18-22 |
राई/सरसों के लिए बीज दर (Seed Rate for Rye/Mustard)
सिंचित एवं असिंचित क्षेत्रों में 5-6 किग्रा०0/हे0की दर से प्रयोग करना चाहिए।
राई/सरसों के लिए बीज शोधन (Seed treatment for rye/mustard)
बीज जनित रोगों से सुरक्षा हेतु 2.5 ग्राम थीरम प्रति किलो की दर से बीज को उपचारित करके बोएं। मैटालेक्सिल 1.5 ग्राम प्रति किग्रा० बीज शोधन करने से सफेद गेरूई एवं तुलासिता रोग की प्रारम्भिक अवस्था में रोकथाम हो जाती है.
उपयुक्त विधि से आप राई/सरसों की उन्नत खेती कर सकते हैं. खेती की अधिक जानकारी के लिए कृषि जागरण के साथ जुड़े रहिए.