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Updated on: 30 September, 2025 6:14 PM IST
अश्वगंधा की खेती कैसे आपको बना सकती हैं लखपति (Image Source- Shutterstock)

आज के समय में किसान लगातार ऐसी खेती की तलाश में रहते हैं, जिसमें कम लागत लगाकर ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाया जा सके. महंगे इनपुट, बढ़ती लागत और बाजार के उतार-चढ़ाव से परेशान किसान अब औषधीय पौधों की खेती की ओर रुख कर रहे हैं. इन्हीं में से एक है अश्वगंधा /Withania somnifera की खेती, जो किसानों की तकदीर बदल सकती है. केवल 20 रुपए का छोटा पौधा या फिर कुछ किलो बीज से किसान सालभर में लाखों का मुनाफा कमा सकते हैं.

क्यों है अश्वगंधा खास?

अश्वगंधा को आयुर्वेद में “इंडियन जिनसेंग” कहा जाता है. यह पौधा दवा उद्योग, हर्बल प्रोडक्ट्स और हेल्थ सप्लीमेंट्स में खूब इस्तेमाल होता है. देश ही नहीं, विदेशों में भी इसकी भारी मांग है. यही वजह है कि यह औषधीय पौधा किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर बनकर उभरा है. साथ ही एक एकड़ जमीन से किसान 4-5 क्विंटल सूखी जड़ें निकाल सकते हैं, जिनकी बाजार कीमत 100 से 200 रुपये किलो तक जाती है. अगर औसत कीमत 150 रुपये मानी जाए तो किसान एक एकड़ से 60,000 से 75,000 रुपये तक की कमाई कर सकते हैं. जबकि इसकी लागत मुश्किल से 10-15 हजार रुपये आती है. यानी, किसान का शुद्ध मुनाफा आसानी से 55,000 रुपये से ज्यादा हो सकता है.

खेती कब और कैसे करें?

अश्वगंधा की खेती करना बेहद आसान और कम देखभाल वाला काम है. इसके लिए रेतीली दोमट मिट्टी और 20–35 डिग्री सेल्सियस का गर्म, शुष्क मौसम सबसे उपयुक्त माना जाता है. इसकी बुवाई रबी सीजन यानी अक्टूबर से नवंबर के बीच करनी चाहिए. किसान चाहें तो 20 रुपये का पौधा खरीदकर रोपाई कर सकते हैं या फिर 4–5 किलो बीज प्रति एकड़ डालकर खेती शुरू कर सकते हैं. अच्छी पैदावार के लिए जवाहर अश्वगंधा-20 और पूना किस्में ज्यादा लोकप्रिय हैं. वहीं खेत की तैयारी में गहरी जुताई जरूरी है, जिसमें लगभग 10 टन गोबर की खाद मिलाई जाती है. खास बात यह है कि अश्वगंधा की फसल कम पानी में भी अच्छी तरह तैयार हो जाती है, इसलिए सिंचाई पर ज्यादा खर्च नहीं आता. साथ ही इसकी जड़ें 150–180 दिन में तैयार हो जाती हैं और किसान सालभर में दो बार कटाई कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

एक एकड़ की लागत (सालाना)

अश्वगंधा की खेती कम लागत में किसानों को बड़ा फायदा देती है। यदि एक एकड़ में खेती की जाए तो बीज या पौधों पर लगभग 2,000–3,000 रुपये खाद पर 3,000 से 5,000 रुपये मजदूरी पर 4,000–6,000 और सिंचाई पर 1,000–2,000 का खर्च आता है. इस तरह कुल लागत करीब 10,000–15,000 रुपये तक होती है. वहीं पैदावार के मामले में एक एकड़ से लगभग 4–5 क्विंटल सूखी जड़ें आसानी से निकलती हैं. बाजार में इसकी औसत कीमत 150 रुपये प्रति किलो तक रहती है. इस हिसाब से किसान को 60,000 से 75,000 हजार की आय मिल सकती है और शुद्ध मुनाफा लगभग 55,000 हजार तक हो जाता है.

बाजार में भारी मांग

अश्वगंधा की जड़ों से कई तरह की दवाएं और हर्बल सप्लीमेंट्स तैयार किए जाते हैं. भारत में यह पौधा आयुर्वेदिक कंपनियों जैसे पतंजलि, डाबर, बैद्यनाथ, हिमालया आदि को बड़ी मात्रा में सप्लाई होता है. साथ ही अमेरिका, यूरोप और मध्य-पूर्व के देशों में भी इसका निर्यात होता है. यही वजह है कि इसकी मार्केट डिमांड साल-दर-साल बढ़ रही है.

किसानों के लिए फायदे

  • कम लागत वाली खेती: केवल 20 रुपये का पौधा या 4–5 किलो बीज से खेत तैयार किया जा सकता है. इससे शुरुआती निवेश बेहद कम रहता है और किसान आसानी से खेती शुरू कर सकते हैं.

  • तेजी से फसल तैयार: अश्वगंधा की जड़ें लगभग 150–180 दिन में तैयार हो जाती हैं. इसका मतलब है कि पहली फसल लगभग 5–6 महीने में कटाई के लिए तैयार होती है.

  • सालभर दो फसलें: सही देखभाल और सिंचाई के साथ सालभर में दो बार कटाई संभव है, जिससे किसान की आय दोगुनी हो जाती है.

  • कम देखभाल और सिंचाई: यह फसल कम पानी और साधारण खाद पर भी अच्छी पैदावार देती है, जिससे किसान को अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ती.

  • भारी मांग और मार्केट वैल्यू: देश-विदेश में हर्बल और आयुर्वेदिक उत्पादों की लगातार बढ़ती मांग के कारण अश्वगंधा की कीमत हमेशा स्थिर और लाभकारी रहती है.

  • उच्च मुनाफा: एक एकड़ से औसतन 4–5 क्विंटल जड़ें मिलती हैं, और बाजार में इसकी कीमत 120–150 रुपये प्रति किलो तक होती है. इससे किसान का शुद्ध मुनाफा 1 से 2 लाख रुपये तक पहुंच सकता है.

English Summary: millionaire farmer by purchasing a plant for just 20 rupees know Ashwagandha cultivation
Published on: 30 September 2025, 06:27 PM IST

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