Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 17 December, 2023 11:07 AM IST
बाजरे की खेती की विशिष्ट बातें (Image Source: Pinterest)

भारत में सबसे अधिक बाजरे की खेती की जाती है. क्योंकि किसान बाजरे की खेती कर अच्छा मोटा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं. दरअसल, इसका दाना भूसी रहित होता है. मगर कुछ प्रजातियों में उपभोग करने से पहले उन्हें भूसी रहित करना आवश्यक होता है. उत्पादन का अधिकांश हिस्सा मनुष्य के भोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है. इसके दाने को सुखाने के बाद साफ करके कुटा जाता है और बाद में इसका हाथ की चक्की या मशीन की चक्की से आटा बनाया जाता है. प्रायः बाजरा की चपाती या रोटी बनाकर खाई जाती है. इसकी रोटी स्वादिष्ट और पोषक मानी गई है.

कठिन शारीरिक परिश्रम करने वाला वर्ग ज्वार और मक्का के तुलना में इसका उपभोग करना ज्यादा पसंद करता है. रोटी के अलावा बाजरा से निम्नलिखित खाद्य पदार्थ तैयार किए जाते हैं. जो कुछ इस प्रकार से हैं-

1- इसके आटे को पानी में मिलाकर तब तक पकाया जाता है जब तक की उचित गाढेपन की लेई जैसा पदार्थ या पेस्ट नहीं बन जाता है. इसी प्रकार पकाए गए आटे को संघाणी या हित्तू या गड्ढे के नाम से पुकारा जाता है.

2- उत्तरी भारत में छोटे दाने वाले बाजरा को बड़े दाने वाली प्रजातियों की तुलना में अधिक अच्छा माना जाता है. इसे चावल से अधिक पौष्टिक माना गया है. इसका उपभोग भी आटा बनाकर ही किया जाता है.

3- बाजरा के आटे को ताजा या रखे हुए मठ्ठा के साथ मिलकर पकाया जाता है. इसमें नमक तथा अन्य मसाले की आवश्यक मात्रा डालकर स्वादिष्ट बनाया जाता है. इसे बाजरा की राबड़ी के नाम से पुकारा जाता है.

4- चावल की तरह ही मूंग या मोंठ की दाल में मिलाकर इसकी खिचड़ी बनाई जाती है.

5- बाजरे के आटे को घी या तेल में भूनकर इसका हलवा और लड्डू बनाकर खाए जाते हैं.

6- इसके आटे को गुड़ या चीनी के मीठे पानी में गूंथ कर छोटी-छोटी पूरियां तल कर खाई जाती हैं.

7- इसके बिस्कुट बनाने का भी प्रयत्न किया गया है तथा इन्हें काफी स्वादिष्ट और पौष्टिक पाया गया है.

8- बाजरा की थोड़ी सी मात्रा जानवरों को या मुर्गियों को दाने के रूप में खिलाई जाती है.

9- इसका चारा ज्वार के चारे से कम पौष्टिक माना गया है. इसकी डंठल छप्पर बनाने की काम में लाई जाती है. बाजरा का हरा चारा जानवरों को इसकी बढ़वार की किसी भी अवस्था में खिलाया जा सकता है क्योंकि इसमें एच, सी, एन, नहीं के बराबर पाया जाता है. बाजरे के सुखे चारों को पोशाक गुणों में सुधार करने का प्रयत्न किया गया है परंतु कोई सफलता नहीं मिली. इसका नेपियर घास के साथ संकरण करके नेपियर बाजरा संकर निकल गए हैं. ये संकर प्रजातियां चारे के लिए हैं तथा काफी पौष्टिक और अधिक अधिक उपज देने वाली पाई गई है. इस दिशा में अब भी शोध कार्य जारी है तथा आशा की जाती है कि और भी उत्तम प्रजातियां निकाली जा सकेंगी.

10- बाजार की चपाती या अन्य आम खाद्य पदार्थों का प्रयोग प्रायः दाल या दूध या दूध से बने पदार्थों के साथ किया जाता है. अतः इस प्रकार यह एक संपूर्ण या संतुलित आहार बन जाता है.

ये भी पढ़ें: बाजरा की खेती और उपज बढ़ाने के लिए अपनाएं ये तरीके

बाजरा का ज्वार की तरह उद्योगों में प्रयोग नहीं किया जाता किंतु यह आवश्यक है कि इसके प्रयोग का औद्योगीकरण किया जाए. जैसा कि आपको ज्ञात है कि इसमें 5% वसा पाई जाती है. यदि इसके तेल को निकालने की विधि का शोध द्वारा पता लगाया जाए तो इसके तेल को साबुन बनाने या वनस्पति घी बनाने में काम में लाया जा सकता है. तेल को शुद्ध करने के बाद अन्य तेलों की तरह ही खाने के काम में लाया जा सकता है. वसा रहित दाने को जानवरों को खिलाया जा सकता है, इसका भंडारण लंबे समय तक किया जा सकेगा क्योंकि वसाहीन रहने के कारण सड़न की समस्या सामने नहीं आएगी. इसी प्रकार इसकी डंठल का प्रयोग कागज या कार्डबोर्ड बनाने के उद्योग में किया जा सकता है.

रबीन्द्रनाथ चौबे
ब्यूरो चीफ कृषि जागरण, बलिया, उत्तर प्रदेश.

English Summary: millet bread millet cultivation small grain millet bajra ki roti bajre ki kheti benefits of millet farming bajra ke fayde
Published on: 17 December 2023, 11:12 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now