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Updated on: 11 September, 2022 6:09 PM IST
मशरुम की खेती करने की विधि

भारत में मशरूम की खेती आज के समय में लोग काफी ज्यादा करने लगे हैं और खास करके दूधिया मशरूम की खेती ज्यादा कर रहे हैं. दूधिया मशरूम को अंग्रेजी में मिल्की मशरूम के नाम से जाना जाता है. यह और किसी दूसरे मशरूम की अपेक्षा में ज्यादा लंबा और वजनीय होता है. इसके तने में काफी ज्यादा प्रोटीन होता है. इसके अलावा इसकी खेती कम जगह में भी की जा सकती है.

मिल्की मशरूम की खेती में निम्न प्रकार की कुछ विधियों को अपनाना चाहिए:  

मिल्की मशरूम की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और तापमान

दूधिया मशरूम की खेती करने के लिए 25 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान एकदम उपयुक्त होता है और अच्छी पैदावार के लिए 80 से 90 प्रतिशत नमी होनी चाहिए. दूधिया मशरूम के लिए तापमान अगर ज्यादा होता है इसकी फसल खराब भी हो सकती है . इसलिए 38 से 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा का तापमान नहीं होना चाहिए.

मशरूम की बुवाई की विधि

मशरूम की बुवाई को दो प्रकार से किया जा सकता है. पहला छिटकवां विधि से दूसरी सतह की बुवाई से भी की जा सकती है. सतह पर बिजाई करने के लिए पहले पॉलीथीन के बैग 15 से 16 इंच चौड़ा और 20 से 21 इंच ऊंचा में एक परत भूसे की बिछाएं, फिर उसके ऊपर बीज बिखेर दें. उसके ऊपर फिर भूसे की परत और बीज डालें, दो परतों के बीच का अंतर लगभग 3 से 4 इंच होना चाहिए.

केसिंग मिश्रण बनाने की विधि और परत बिछाने की विधि

मशरूम के बीज की बुवाई करने के बाद बैगों में 15 से 20 दिन बाद भूसे पर सफेद फफूंद फैल जाती है. यह समय मशरूम पर केसिंग परत चढ़ाने के लिए सही समय होता है. 

केसिंग मिश्रण तैयार करने के लिए दोमट मिट्टी , बालू मिट्टी, चाक पाउडर, फार्मेलीन, बॉविस्टीन की जरूरत होती है. इन सभी चीजों को सही तरीके से मिलाकर 7 से 9 दिन के लिए ढककर रखना होता है और जब मशरूम पर केसिंग करें तो उससे पहले केसिंग बनाने वाली पॉलीथीन हटाकर उसे खुला छोड़ दें ताकि फार्मेलीन की गंध निकल जाए.

मशरूम में लगने वाले कीड़े और रोग

खरपतवार फफूंद

मशरूम में फफूंद लगने का ज्यादा खतरा रहता है इसलिए मशरूम उगाने वाली जगह पर साफ- साफाई का ध्यान रखना जरुरी है.

मशरूम में लगने वाले कीट

मशरूम में डिप्टेरियन और फोरोइड नामक मक्खी का प्रकोप ज्यादा  होता है, इसलिए बुवाई से लेकर तुड़ाई तक समय-समय पर डीडीवीपी 0.2 प्रतिशत का छिड़काव करना बेहद जरूरी है. इसके अलावा मशरूम वाली जगह पर पानी इकट्ठा नहीं होना चाहिए.

स्पॉनिंग के समय लगने वाले रोग

मिल्की मशरूम के  कवक जाल फैलने की अवस्था पर खरपतवार वाली फफूंद जैसे- ट्राईकोडर्मा, एस्परजिलस, राइजोपस, म्यूकर, स्केलेरोशियम रोल्फसाइ और क्रोपाइन्स लगती है. इससे बचाव के लिए समय-समय पर ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव करते रहना चाहिए.

दूधिया मशरूम की तुड़ाई, बिक्री कैसे करें

मशरूम के तैयार होने के बाद सबसे पहले उसकी तुड़ाई करना जरुरी होता है. इसलिए  दूधिया मशरूम का ऊपर वाला भाग 5 से 6 सेंटीमीटर का होने पर उसे तोड़ लेना चाहिए और तने  के निचले भाग को काट कर फैंक दें जिसमें मिट्टी लगी होती है. इसमें काफी अच्छी पैदावार होती है. लगभग 1 किलोग्राम सूखे भूसे या पुआल में 1 किलो ताजा मशरूम निकलता है. दूधिया मशरूम से होने वाली कमाई अगर बात की जाए तो बाजार में यह 150 से 250 रूपए प्रति किलोग्राम के भाव से बिकता है. ऐसे में किसान मिल्की मशरूम की खेती से अच्छी कमाई कर सकते हैं.  

English Summary: Milky mushroom is a profitable business for farmers, know here how to do this
Published on: 11 September 2022, 06:19 PM IST

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