पशुपालकों के लिए राज्य सरकार की नई पहल, आपदा प्रभावित पशुओं को मिलेगा निशुल्क चारा, जानें कैसे Success Story: सॉफ्टवेयर इंजीनियर से सफल गौपालक बने असीम रावत, सालाना टर्नओवर पहुंचा 10 करोड़ रुपये से अधिक! खुशखबरी! डेयरी फार्मिंग के लिए 42 लाख तक का मिलेगा लोन और अनुदान, जानें राज्य सरकार का पूरा प्लान किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 20 June, 2020 5:39 PM IST

रागी जिसे मडुआ कहा जाता है. यह एक ऐसा फसल जो है  जो मोटे अनाज के तौर पर जाना जाता है. जिसे पहले के जमाने में इसे गरीबों  और कम आय वाले लोग के लिए और आम लोगों का ही अनाज के रूप में जाना जाता था.  लेकिन इसकी पौष्टिकता और गुणों को देखकर के आजकल यह इस समय में अमीर और रईस लोगों का भी भोजन में शामिल होते जा रहा है, जिसे कई रूप में लोग इसको शामिल कर रहे हैं. जैसे इसे रोटी, ब्रेड, खीर, इडली  के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. जो पौष्टिकता और स्वाद से भरपूर होता है.

पूरे विश्व के उत्पादन में भारत का स्थान और योगदान 58% है. और पूरे विश्व के रागी उत्पादन में भारत अपना एक अच्छा स्थान रखता है. देश के कई राज्यों में जहां धान की फसलें लगाई जाती है वहां अगर धान की फसल अगर बढ़िया नहीं हो पाए. उस जगह पर कम सिंचाई में ही रागी की बुवाई की जा सकती है. इसके लिए ऐसे भूमि का चयन किया जाता है तथा इसमें पानी लगने की जहां गुंजाइश कम हो. इसकी बुवाई का उपयुक्त समय  जुलाई-अगस्त है. इसमें बहुत ज्यादा उर्वरक देने की भी आवश्यकता नहीं पड़ती है. इसमें मार्ग प्रति एकड़ के हिसाब से 50 किलोग्राम नाइट्रोजन 20 किलोग्राम फास्फोरस,  20 किलोग्राम पोटाश  प्रति एकड़ जरूरत होती है.

प्रमुख  किस्म की बात करें तो ये प्रमुख किस्में हैं-

जीपीयू -  28- 110  दिन
एम एल-  365-105   दिन
जीपीयू -  48 -100   दीन
8 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर इसका उत्पादन लिया जा सकता है.
प्रति हेक्टेयर 25 से 30,000 आमदनी किसान इसे कमा सकते हैं.
न्यूट्रीशन के तौर पर इसमें बहुत अधिक गुण पाए जाते हैं.

यह आयरन ,कैल्शियम, और प्रोटीन और फास्फोरस का अच्छा स्रोत है. मधुमेह रोगियों, ब्लड प्रेशर हड्डी के रोग और पाचन क्रिया संबन्धित रोगों में काफी लाभकारी होता है.

रागी का सेवन कई प्रकार से लाभकारी है जैसे-
हड्डियों के विकास में सहायक.
मधुमेह में नियंत्रण.
एनीमिया खून की कमी में लाभकारी.
हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करना.
पाचन क्रिया में फायदा पहुंचाना.

खास करके प्रसूता और दूध पिलाने वाली माताओं के लिए सबसे ज्यादा वरदान साबित होता है जैसे- कैल्शियम के द्वारा दूध का विकास और उनके शरीर में खून की कमी को पूर्ति करने के लिए और थकान और कमजोरी को दूर करने के लिए इससे बेहतर अनाज का सेवन नहीं हो सकता  सकता है.वजन कम करने वाले लोगों के लिए भी काफी लाभकारी है.

स्रोत- डॉ मिथिलेश कुमार सिंह  , सबौर भागलपुर यूनिवर्सिटी
कृषि प्रशिक्षक किताब और अन्य स्रोतों से ली गई
  जानकारी. 

English Summary: Method of cultivation of ragi (Madua), improved varieties and benefits
Published on: 20 June 2020, 05:44 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now