Mentha Farming Tips: किसान अब खेती से अधिक लाभ पाने के लिए परंपरागत खेती को छोड़कर आधुनिक खेती को अपना रहे हैं. देखा जाए तो देश-विदेश के बाजार में भी इन्हीं फसलों की मांग काफी अधिक है. इसी क्रम में देश के किसान अपने खेत में विभिन्न तरह की फसलों की खेती कर रहे हैं. इन्हीं फसलों में मेंथा की फसल/Mentha Crop भी है, जो किसानों के लिए काफी लाभदायक है.
बता दें कि हाल ही में मेंथा की खेती/Mentha Ki Kheti करने वाले किसानों के लिए कृषि विशेषज्ञों ने जरूरी सलाह जारी की है. ताकि किसान समय रहते अधिक लाभ प्राप्त कर सकें.
मेंथा की फसल पर लगने वाले रोग से ऐसे करें बचाव
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जैसा कि आप जानते हैं कि मेंथा पुदीना/Pudina की तरह दिखने वाले एक पौधा है, जिसका इस्तेमाल कई तरह के कामों में किया जाता है.
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मेंथा की फसल/Mentha Crop के दौरान किसानों को ध्यान रखना चाहिए कि इन्हें दीमक न लगे. क्योंकि इस फसल में दीमक/Termite लगने की संभावना काफी अधिक होती है. अगर फसल में एक बार दीमक लग जाए, तो यह पूरी फसल को खराब कर सकते हैं. इसके बचाव के लिए किसानों को फसल पर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 2.5 लीटर क्लोरपायरीफॉस का छिड़काव/Spraying Chlorpyrifos करना चाहिए.
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इसके अलावा मेंथा की फसल/Mentha Crop में बालदार सुंडी कीट भी लगते हैं, जोकि फसल की पत्तियों को नष्ट कर देते हैं. इस कीट से फसल को सुरक्षित रखने के लिए किसानों को फसल पर 700-800 लीटर पानी में 500 एम.डाईक्लोरवास को घोलकर अच्छे से छिड़काव कर दें.
मेंथा की पत्तियों की सुरक्षा
मेंथा की फसल से सही तरह से देखरेख न करने से मेंथा की पत्तियों पर दाग भी लग जाते हैं, जोकि भूरे रंग के होते हैं. यह दाग मेंथा की पत्तियों को नष्ट कर देते हैं. इस रोग के चलते पत्तियां पीली पड़ने लगती है और सूख कर गिर जाती है. इसके बचाव के लिए किसान को फसल पर 2 किलोग्राम मैंकोजेब 75 डब्ल्यूपी प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 800-1000 लीटर पानी में घोलकर अच्छे से छिड़काव करें.
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पौधे की रोपाई के दौरान इन बातों का रखें ध्यान
किसान को मेंथा की फसल से अच्छी पैदावार पाने के लिए इसकी रोपाई के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. जैसे कि पहले पौधे को 0.1 प्रतिशत कार्बेन्डाजिम के घोल में करीब 15-20 मिनट उसे डुबाएं. उसके बाद ही खेत में पौधे की रोपाई करें. ऐसा करने से फसल का विकास अच्छा होगा और रोग लगने की भी संभावना कम होगी.