Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 19 July, 2022 5:53 PM IST
Paddy Crop Management

खरीफ सीजन के समय देश के ज्यादातर किसान भाई अपने खेत में धान की फसल को लगाते हैं, क्योंकि धान की फसल पूरी तरह से बारिश के पानी पर निर्भर करती है. इस समय धान की फसल को प्राप्त मात्रा में पानी मिल जाता है.

लेकिन इस साल खरीफ सीजन (Kharif Season) में बारिश कम होने के कारण धान के किसान भाइयों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है.

ऐसे में फसल में कई खतरनाक रोग लग जाते हैं. इन्हीं रोगों में से खैरा रोग (Khaira Disease) एक है. यह रोग धान की फसल में जिंक की कमी के कारण पैदा होता है, जो फसल को पूरी तरह से खराब कर देता है. इसके प्रभाव से धान की फसल का उत्पादन लगभग 40 प्रतिशत तक गिर जाता है.

खैरा रोग पहचाने के लक्षण (Symptoms of Khaira Disease)

इस रोग के प्रभाव में आकर धान के पौधों की पत्तियां (leaves of paddy plants) हल्के भूरे और लाल रंग की पड़ने लगती हैं. यह रोग न सिर्फ पौधे के विकास को रोकती हैं, बल्कि यह पत्तियों में धब्बों को छोड़कर नष्ट कर देती हैं. परिणाम स्वरूप पत्तियां समय से पहले मुरझाना शुरू कर देती हैं.

फसल में खैरा रोग की रोकथाम (Prevention of Khaira disease in crops)

  • खेत में धान की रोपाई के लगभग 25 दिनों के अंदर ही खेत में अच्छे से निराई-गुड़ाई कर देनी चाहिए,ताकि फसल में रोग के लक्षण को समझकर समय रहते उपाय किया जा सके.

  • धान की फसल (Paddy Crop) में खैरा रोग लगने से बचाने के लिए किसानों को  विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए, ताकि वह अच्छे से रोग प्रबंधन कर सकें.

  • किसान भाई अपने खेत में खैरा रोग के नियंत्रण करने के लिए 0.5 प्रतिशत जिंक सल्फेट , 2% बूझा हुआ चूना में 15 लीटर पानी को अच्छे से मिलाकर फसल में छिड़काव करना चाहिए.

  • छिड़काव प्रक्रिया को 10 दिन में तीन बार अच्छे से फसल में छिड़काव करें.

  • खतरे के प्रभाव को भांपते हुए किसान अपने खेत की मिट्टी की जांच करवाएं और फिर उसमें आवश्यकतानुसार बीज का उपचार जरूर करें.

  • इसके अलावा खेत में समय-समय पर जुताई और उर्वरकों का इस्तेमाल करते रहें.

  • किसान खेत में धान की रोपाई (Transplantation of paddy) करने से पहले गहरी और अच्छी जुताई करें. इसी के साथ खेत में 25 किलो जिंक सल्फेट को प्रति हेक्टेयर फसल के हिसाब से खेत की मिट्टी में मिलाएं.

English Summary: Measures to identify and prevent the symptoms of Khaira disease in paddy crop
Published on: 19 July 2022, 05:58 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now