अच्छी फसल के लिए जरूरी है कि पौधों को पोषण मिलता रहे, जिसके लिए समय -समय पर खेतों में खाद का छिड़काव किया जाता है, जिससे खेतों में मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है और उपजाऊ शक्ति बढ़ती है. आज के समय में रसायनिक खाद व उर्वरकों का अत्यधिक प्रयोग किया जा रहा है,
जिससे मिट्टी की गुणवत्ता दिन व दिन खराब होते जा रही है, इसलिए किसानों को फसल के लिए जैविक खादों का इस्तेमाल करना चाहिए. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर कैसे आप जीवामृत खाद बनाकर अच्छी फसल के लिए प्रयोग कर सकते हैं.
जीवामृत क्या है?
जीवामृत एक पारंपरिक भारतीय जैविक खाद और जैव कीटनाशक है, जो गाय के गोबर से बनता है. जीवामृत को बनाने के लिए गाय के गोबर में गौमूत्र, दाल का आटे, गुड़, मिट्टी और पानी को मिलाकर तैयार किया जाता है.यह प्राकृतिक कार्बन, बायोमास, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम और फसलों के लिए आवश्यक अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों का बेहतरीन स्रोत माना जाता है. जीवामृत जैविक होने के साथ बेहद सस्ता होता है, इसलिए यह किसानों और खेतों दोनों के लिए फायदेमंद होता है.
जीवामृत 3 प्रकार का होता है
तरल जीवामृत बनाने की विधि
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जीवामृत बनाने के लिए कंटेनर में लगभग 3 लीटर पानी में गोबर, गोमूत्र, गुड़, बेसन और मिट्टी मिला लें.
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इसके बाद, सभी सामग्री को छड़ीसे हिलाते रहें, ताकि घोल में गुठलियां (lump) न पड़ें.
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फिर जब मिश्रण तैयार हो जाए, तोइसमें और 7 लीटर पानी मिलाएं.
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इसके बाद मिश्रण के तैयार कंटेनर को बाहार छाव में रख दें और किसी कपड़े से इसे ढक दें.
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कंटेनर में रखेंतरल पदार्थ को हर दिन सुबह और शाम लगभग 15 मिनट तक हिलाते रहें.
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इसके बाद 2 दिनों में आपका जीवामृत तैयार हो जाएगा. अब आप इसे खेतों में प्रयोग कर सकते हैं.
अर्द्ध ठोस जीवामृत
अर्द्ध ठोस जीवामृतबनाने के लिए आपके पास गाय के गोबर की मात्रा अधिक होनी चाहिए.
अर्द्ध ठोस जीवामृतबनाने के लिए 50 किलो गोबर में 2 लीटर गोमूत्र, आधा किलो गुड़ व आटा तथा थोडी मिट्टी उपजाऊ मिला लें.
अब इस बने मिश्रण में थोड़ा से पानी मिला लें, जिसके बाद मिश्रण के गोले बना लें.
अब तैयार गोलो को धूप में सूखा लें, जिसके बाद थोड़े अंतराल के बाद हल्के पानी का भी छिड़काव करते रहें, क्योंकि इसमें नमी बरकरार रहने से लाभकारी माइक्रोब सक्रिय हो जाते हैं.
सूखा जीवामृत
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सूखे जीवामृत को घन जीवामृत भी कहते हैं, इसे बनाने के लिए पानी की आवश्यकता नहीं होती है. सूखा जीवामृत बनाने की विधि बेहद ही आसान है,
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सबसे पहले आप 50 किलो गोबर को जमीन पर अच्छी तरह से फैला लें,इसके बाद इसमें 5 लीटर तरल जीवामृत मिला लें.
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बने मिश्रण को जूट की बोरी के ढक दें, जिसके बाद दो दिनों में इसमें किण्वन शुरू होने लगता है.
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इसके बार फर्श पर फैला दें और धूप में या छाया में सूखने दें.
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जब यह सूख जाए, तो इसे जूट की बोरी में रख दें.
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घन जीवामृत को 6 महीने तक स्टोर करके रखा जा सकता है. बुवाई के समय घन जीवामृत का प्रयोग करना बेहद फायदेमंद होता है. प्रत्येक बीज के लिए 2 मुट्ठी घन जीवामृत उपयोग करना चाहिए.
जीवामृत का उपयोग कैसे करें-
पौधों के लिए तीनों तरह के जीवामृत उपयोगी होते हैं. आप तरल जीवामृत को स्प्रे के जरिए सीधे पौधों में छिड़क सकते हैं. ठोस व सूखे जीवामृत को आप जैसे वर्मीकंपोस्ट का प्रयोग करते हैं वैसे ही इसका उपयोग किया जा सकता है.
जीवामृत के फायदे
जैसा कि यह रासायनिकमुक्त है, यह फसल के लिए बेहद की लाभकारी है. रासायनिक कीटनाशकों व खाद के प्रयोग से मिट्टी तो खराब होती ही है साथ में खाद्य पदार्थ में भी रसायन की मात्रा बढ़ जाती है. जिससे खाद्य में पौष्टिक गुणों की कमी देखने को मिलती है. जबकि दूसरी तरफ जैविक खाद व कीटनाशक जैसे की जीवामृत के प्रयोग से खाद्य पदार्थों में पौष्टिक गुण बने रहते हैं.
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जीवामृत खाद बनाना बेहद ही आसान है, ग्रामीण क्षेत्रों एवं खेतों में आसानी से उपलब्ध है. इसे बनाकर किसान अधिक मुनाफा भी कमा सकते हैं
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जीवामृत नाइट्रोजन, पोटेशियम और फास्फोरस का एक अच्छा स्रोत माना जाता है. इसमें अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व भी होते हैं, जो पौधों की वृद्धि और विकास में सहायता करते हैं.
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जीवामृत पूरी तरह से जैविक है और पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व प्रदान करता है, यह पौधों को कीटों और रोगों से भी बचाता है. अन्य जैविक खाद को तैयार होने में महीनों लग जाता है, मगर आप जीवामृत को एक सप्ताह के भीतर तैयार कर सकते हैं.
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जीवामृत बनाने की सभी सामग्री सस्ती है और ग्रामीण क्षेत्रों एवं खेतों में आसानी से उपलब्ध है. इसे बनाकर किसान अधिक मुनाफा भी कमा सकते हैं.
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खेतों में जीवामृत डालने से केंचुए की संख्या भी बढ़ती है, जिससे केंचुए मिट्टी को भुरभूरा बनाते हैं और साथ में पौधों के लिए ऑक्सीजन सप्लाई का काम भी करते हैं,
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इसके अलावा मिट्टी में अच्छे बैक्टीरिया, जीवाणु और सूक्ष्म जीवों की संख्या भी बढ़ती है.
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खेत में जीवामृत के छिड़काव से फल, सब्जी और अनाज पौषक तत्वों से भरपूर होते हैं, और स्वाद में भी लाजवाब होते हैं.
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जीवामृत फसलों और पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ता है, और इससे तैयार उत्पाद के सेवन से इंसान की भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.