आम की खेती करने वाले किसानों के लिए ये समय बेहद महत्वपूर्ण है. क्योंकि पेड़ों पर आम के फल लग गए हैं या फिर लगने वाले हैं. ऐसे में इस दौरान फलों में कीट लगने का खतरा बढ़ जाता है. इसी के मद्देनजर बिहार सरकार के कृषि विभाग ने आम में लगने वाले कीट और उसके प्रबंधन की जानकारी दी है. ये जानकारी बिहार के कृषि विभाग के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट (@Agribih) के जरिए दी गई है. ऐसे में चलिए नीचे इसके बारे में अधिक जानकारी जानते हैं.
कृषि विभाग, बिहार सरकार द्वारा दी गई जानकारी निम्नलिखित हैं-
किसान भाइयों और बहनों मार्च महीने में हुई तेज वर्षा के कारण आम का फूल पानी में घुल गया. पौधों में, जो सरसों या मटर के दाने के समान फल पकड़ लिया है, उनका देखभाल करना अथवा बचाना आवश्यक है. मटर के समान जब दाने बन जाते हैं तो (मिलीबग) कीट एवं पाउडरी मिल्ड्यु और एन्थ्रेक्नोज जैसी व्याधियों का आक्रमण मुख्य रूप से होता है. इससे मंजरों एवं टिकोलों की सुरक्षा के लिए पहला छिड़काव हो चुका, अब आम के भरपूर उत्पादन प्राप्त करने के लिए दो छिड़काव सही समय पर करने की अनुशंसा है, जिससे उत्पादन अच्छा होता है.
दूसरा छिड़काव
मंजरों में मटर के बराबर दाना लग जाने पर कीटनाशी के साथ-साथ किसी एक फफूंदनाशी को मिलाने की अनुशंसा है, जो मंजर को पाउडरी मिल्ड्यु एन एन्थ्रेक्नोज रोग से सुरक्षित रखता है. साथ ही, इस घोल में अल्फा नेपथाईल एसीटिक एसीड (पीजीआर) मिलाया जाता है, जो फलों को गिरने से रोकता है.
तीसरा छिड़काव
आम में जब टिकोला बनने लगे, तब तीसरा छिड़काव किया जाना चाहिए. तीसरे छिड़काव में कीटनाशी के साथ अल्फा नेपथाईल एसीटिक एसीड के अलावा आवश्यकतानुसार, एक फफूंदनाशी को मिलाकर छिड़काव किया जाना चाहिए.
आम का मधुआ (Mango Hopper,Amritodus atkinsoni)
इस कीट के शिशु तथा प्रौढ़, आम की मंजरियों और उसके मुलायम तनों से रस चूसते हैं. आम की मंजरियां मुरझा जाती हैं और भूरी हो कर गिर जाती हैं. इससे प्रभावित वृक्षों पर फल कम लगते हैं. गंभीर आक्रमण की अवस्था में पूरा पेड़ काला पड़ जाता है.
प्रबंधन
बाग की साफ-सफाई पर ध्यान रखें.
आम की तुड़ाई के उपरान्त बागों की जुताई करें.
इसकी रोकथाम के लिए एसीफेट 75 एस.पी. का 1 ग्राम या ऑक्सीडेमेटॉन मिथाइल 25 ई.सी. का 1 मिलीलीटर प्रति लीटर या डायमेथोएट 30 ई.सी. का 2 मिलीलटर प्रति 3 लीटर या इमीडाक्लोप्रीड 17.8 एस. एल. का 0.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर वृक्ष पर छिड़काव करें. 15 दिनों के बाद पुन: छिड़काव करें.
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