Groundnut Variety: जून में करें मूंगफली की इस किस्म की बुवाई, कम समय में मिलेगी प्रति एकड़ 25 क्विंटल तक उपज खुशखबरी! अब किसानों और पशुपालकों को डेयरी बिजनेस पर मिलेगा 35% अनुदान, जानें पूरी डिटेल Monsoon Update: राजस्थान में 20 जून से मानसून की एंट्री, जानिए दिल्ली-एनसीआर में कब शुरू होगी बरसात किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 11 June, 2020 2:37 PM IST

बीमारियां और मिट्टी

अगर आप भिण्ड़ी की खेती करने जा रहे हैं, तो पहले जान लें कि भूमि का पी.एच. मान कितना है. क्योंकि गलत भूमि पर इसकी खेती करने का मतलब भिंडी में बीमारियों को आमंत्रण देना है. आम तौर पर 7 से 8.5 तक का पीएच मान इसकी खेती के लिए उपयुक्त होता है. अगर आपके क्षेत्र का वातावरण 25 से 35 डिग्री तक के बीच है, तो आप अच्छी पैदावार होने की संभावनाएं बढ़ जाती है.

भिंडी में लगने वाले प्रमुख रोग

पीत शिरा रोगः

इस रोग के प्रभाव में आकर भिंडी की पत्तियों की शिराएं पीली होने लग जाती है. धीरे-धीरे पूरे पौधे को बीमार करते हुए ये रोग फलों को भी अपनी चमेट में लेकर उन्हें पीलाकर देता है.

रोकथाम:

इस रोग के रोकथाम के लिए आप ऑक्सी मिथाइल डेमेटान या डाइमिथोएट का उपयोग कर सकते हैं.

चूर्णिल आसिता:

चूर्णिल आसिता रोग की पहचान आसानी से हो सकती है. इसके प्रभाव में आकर पत्तियों पर पीले धब्बे बनने लग जाते हैं. इन धब्बों पर सफेद चूर्ण युक्त पदार्थ होता है.

रोकथाम:

इस रोग की उपेक्षा करना सही नहीं है. रोकथाम के लिए तुरंत घुलनशील गंधक या हेक्साकोनोजोल का उपयोग करें. ध्यान रहे कि इस रोग के प्रकोप से उपज 35 प्रतिशत तक कम हो सकती है.

कीट एवं बचाव

फल छेदकः

फल छेदक कीट का कहर भिंडी पर वर्षा के मौसम में पड़ता है. ये कीट कोमल तने छेदते हुए उसे सूखा देते हैं. धीरे-धीरे ये पौधें को इतना कमजोर कर देते हैं कि फल लगने के पूर्व ही फूल गिरा देते हैं. लगे हुए फलों को भी ये छेदकर खा जाते हैं.

रोकथाम:

रोकथाम हेतु क्विनॉलफॉस 25 प्रतिशत ई.सी., क्लोरपाइरोफॉस 20 प्रतिशत ई.सी. अथवा प्रोफेनफॉस 50 प्रतिशत ई.सी. की 2.5 मिली. मात्रा प्रति लीटर पानी के मान से छिडकाव करें तथा आवयकतानुसार छिडकाव को दोहराएं.

रेड स्पाइडर माइट:

इन कीटों का प्रकोप पत्तियों की निचली सतह पर होता है. पत्तियों की कोशिकाओं में छिद्र करतेहुए ये उन्हें सूखा देते हैं.

रोकथाम:

इनके रोकथाम के लिए डाइकोफॉल का उपोयग करें. अगर आप चाहें तो जैविक कीटनाशकों जैसे नीम आदि का भी छिड़काव कर सकते हैं.

English Summary: major diseases in okra and prevention know more about okra and plant health
Published on: 11 June 2020, 02:40 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now