Weather Update: ठंड का यूटर्न! देश के कई राज्यों में बारिश की संभावना, गिरेगा पारा, पढ़ें IMD लेटेस्ट अपडेट! गन्ने की नई किस्म को.शा. 18231 और को.लख. 16202 की ऑनलाइन बुकिंग शुरू, ऐसे करें जल्द आवेदन स्ट्रॉबेरी की फसल में लगने वाले 9 प्रमुख रोग, ऐसे करें प्रबंधन, मिलेगी अच्छी उपज Cow Breeds: दुनिया की 7 सबसे छोटी गायों की नस्लें: कम खर्च, ज्यादा मुनाफा! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ महिलाओं के लिए तंदुरुस्ती और ऊर्जा का खजाना, सर्दियों में करें इन 5 सब्जियों का सेवन ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक लौकी की इन 5 हाइब्रिड किस्मों से किसान बनेंगे मालामाल, कम लागत में मिलेगी डबल पैदावार!
Updated on: 3 February, 2025 10:46 AM IST
स्वस्थ पौधे, भरपूर फसल: स्ट्रॉबेरी उत्पादन में रोग प्रबंधन का महत्व! (Image Source: Freepik)

Strawberry: भारत में स्ट्रॉबेरी की खेती हाल के वर्षों में अत्यधिक लोकप्रिय हो रही है, क्योंकि यह पारंपरिक फसलों की तुलना में अधिक लाभकारी है. स्ट्रॉबेरी की खेती पॉलीहाउस, हाइड्रोपोनिक्स और खुले खेतों में विभिन्न प्रकार की मिट्टी एवं जलवायु में की जा सकती है. विश्वभर में इसकी लगभग 600 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से भारत में केवल कुछ ही किस्में उगाई जाती हैं. स्ट्रॉबेरी एक अत्यधिक नाजुक फल है, जो हल्का खट्टा-मीठा स्वाद लिए होता है. इसकी विशिष्ट लाल रंगत और सुगंध इसे अत्यधिक आकर्षक बनाती है. इसमें एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन C, A, K, प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फोलिक एसिड, फॉस्फोरस एवं पोटैशियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं. ये पोषक तत्व त्वचा की चमक बढ़ाने, आँखों की रोशनी सुधारने और दाँतों की सफेदी बनाए रखने में सहायक होते हैं.

बिहार के औरंगाबाद एवं उसके आसपास के क्षेत्रों में स्ट्रॉबेरी की खेती हाल ही में बहुत प्रचलित हो रही है. परंतु, किसानों को इस फसल में लगने वाले रोगों की समुचित जानकारी नहीं होने के कारण उत्पादन प्रभावित हो रहा है. इस लेख में, हम स्ट्रॉबेरी के प्रमुख रोगों और उनके प्रभावी प्रबंधन की चर्चा करेंगे.

स्ट्रॉबेरी में प्रमुख रोग एवं उनका प्रबंधन

1. पत्ती धब्बा रोग (Leaf Spot Disease)

लक्षण: यह स्ट्रॉबेरी का एक सामान्य रोग है, जो पत्तियों की ऊपरी सतह पर गहरे बैंगनी रंग के छोटे-छोटे धब्बे के रूप में प्रकट होता है. धब्बे धीरे-धीरे 3-6 मिमी तक बढ़ जाते हैं और भूरे या सफेद रंग में परिवर्तित हो सकते हैं. प्रभावित पत्तियाँ सूखकर गिर जाती हैं, जिससे पौधे की वृद्धि प्रभावित होती है.

प्रबंधन: हल्की सिंचाई करें, ताकि अतिरिक्त नमी से बचा जा सके. संक्रमित पत्तियों को हटाकर नष्ट करें. फफूंदनाशक मैंकोजेब, हेक्साकोनाजोल या साफ की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर 10 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें.

2. ग्रे मोल्ड (Gray Mold)

लक्षण: यह रोग फूलों, फलों और तनों को प्रभावित करता है. संक्रमित फूल और फलों के डंठल मुरझाने लगते हैं. फल भूरे रंग के सड़न के रूप में विकसित होते हैं और उन पर सफेद-भूरे रंग की फफूंदी जम जाती है.

प्रबंधन: प्रभावित भागों को हटाकर खेत से बाहर करें. अधिक नमी और घनी रोपाई से बचें. मैंकोजेब या हेक्साकोनाजोल का छिड़काव करें.

3. रेड स्टेल/रेड कोर रोग (Red Stele / Red Core Disease)

लक्षण: पौधे की जड़ें अंदर से लाल हो जाती हैं, जिससे जल संचरण बाधित होता है. पौधे शुष्क मौसम में मुरझाने लगते हैं और वृद्धि रुक जाती है. संक्रमित पौधे जून-जुलाई तक मर सकते हैं.

प्रबंधन: खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें. संक्रमित पौधों को हटा दें.हेक्साकोनाजोल की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर 10 दिन के अंतराल पर दो छिड़काव करें.

4. विल्ट रोग (Wilt Disease)

लक्षण: पौधे अचानक मुरझाने लगते हैं, विशेषकर गर्मी के मौसम में. प्रभावित पौधों की पत्तियाँ पीली होकर झड़ने लगती हैं. छोटे और कच्चे फल गिरने लगते हैं.

प्रबंधन: खेत में जलभराव न होने दें. कार्बेन्डाजिम या हेक्साकोनाजोल का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर मिट्टी में सिंचाई करें.

5. पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery Mildew)

लक्षण: पत्तियों के किनारे ऊपर की ओर मुड़ने लगते हैं. पत्तियों पर बैंगनी रंग के धब्बे बन जाते हैं. प्रभावित फल सफेद रंग के चूर्ण जैसे कवक से ढक जाते हैं.

प्रबंधन: फसल में वायु संचार बढ़ाने के लिए उचित दूरी पर पौधों की रोपाई करें. सल्फर आधारित फफूंदनाशक का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.

6. अल्टरनेरिया स्पॉट रोग (Alternaria Leaf Spot Disease)

लक्षण: पत्तियों पर गोल, लाल-बैंगनी धब्बे दिखाई देते हैं. पत्तियाँ समय से पहले गिरने लगती हैं, जिससे प्रकाश संश्लेषण प्रभावित होता है.

प्रबंधन: खेत में रोगग्रस्त पत्तियों को नष्ट करें. मैंकोजेब या साफ फफूंदनाशक का छिड़काव करें.

7. एन्थ्रेक्नोज (Anthracnose or Black Spot Disease)

लक्षण: पत्तियों, तनों और फलों पर काले धब्बे बनते हैं. प्रभावित फल धीरे-धीरे गलने लगते हैं. पौधे मुरझाकर गिर सकते हैं.

प्रबंधन: साफ-सुथरी खेती अपनाएँ. हेक्साकोनाजोल या मैंकोजेब का छिड़काव करें.

8. क्राउन रोट (Crown Rot Disease)

लक्षण: पौधे दोपहर में मुरझा जाते हैं और शाम को ठीक हो जाते हैं. जड़ों में लाल-भूरे रंग की सड़ांध दिखाई देती है.

प्रबंधन: जल निकासी सुधारें. हेक्साकोनाजोल का छिड़काव करें.

9. एंगुलर लीफ स्पॉट (Angular Leaf Spot Disease)

लक्षण: पत्तियों की निचली सतह पर छोटे पानी से भरे घाव दिखाई देते हैं. रोग के बढ़ने पर लाल रंग के धब्बे बन जाते हैं.

प्रबंधन: संक्रमित पौधों को हटा दें. जैविक कवकनाशी का उपयोग करें.

English Summary: Major diseases affect strawberry crop manage for good yield
Published on: 03 February 2025, 10:52 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now