Lokwan Wheat: गेहूं रबी सीजन की सबसे ज्यादा बोई जाने वाली फसल है. धान की कटाई के बाद किसान गेहूं की खेती की तैयारी शुरू कर देते हैं. दूसरी फसलों की ही तरह गेहूं की खेती में भी अगर उन्नत किस्मों (Best varieties of wheat) का चयन किया जाए को किसान ज्यादा उत्पादन के साथ-साथ ज्यादा मुनाफा भी कमा सकते हैं. किसान इन किस्मों का चयन समय और उत्पादन को ध्यान में रखकर कर सकते हैं. इस खबर में हम आपको गेहूं की एक ऐसी किस्म के बारे में बताएंगे जिसके जरिए किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. क्योंकि, इसकी पैदावार भी काफी अच्छी होती है और बाजार में इसके दाम भी चोखे मिलते हैं. हम बात कर रहे हैं गेहूं की लोकवन किस्म की. आइए विस्तार से आपको इसकी पैदावार और विशेषताएं के बारे में बताते हैं.
3 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक मिलती है कीमत
यह एक बेहतरीन किस्म का गूहं है, जिसकी मार्केट में खूब डिमांड रहती है. क्योंकि ये गेहूं काफी अच्छे दामों पर बिकता है. इस गेहूं में दो खास बाते हैं- पहला तो ये सिंचाई हेतु इसमें पानी की आवश्यकता कम होती है और दूसरी ये की इसकी उपज पैदावार अन्य सामान्य गेहूं की तुलना अधिक बैठती है. इसकी फसल पकने की अवधि लगभग 115-120 दिवस है. साथ ही इसकी औसत पैदावार या उत्पादन क्षमता 30-40 क्विंटल हेक्टेयर है. इस कीस्म के गेहूं की कीमत बाजार में 3000 रुपए क्विंटल तक सामान्यतः बनी रहती है.
लोकवान गेहूं की पहचान और इसकी विशेषताएं
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लोकवान गेहूं का बीज दिखाने में चमकीले सुनहरे रंग का होता है.
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लोकवान गेहूं की किस्म को बड़ी-बड़ी औधोगिक ईकाइया खरीदना पसंद करती हैं. लोकवन गेहूं से बने बिस्किट काफी स्वादिष्ट और पोष्टिक होते है.
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लोकवान गेहूं का उपयोग मैदा, रवा सहित कई अन्य चीजों को बनाने में किया जाता है.
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इस किस्म के दाने वजनदार होते हैं. ये गेहूं कई पोष्टिक गुणों से भरपूर रहता है.
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सामान्य गेहूं की तुलना में लोकवन किस्म की पैदावार अधिक होती है.
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उच्च क्वालिटी के कारण लोकवान गेहूं की मांग पूरे सालभर बनी रहती है. भावों की बात करें तो लोकवन वैराइटी इस साल 2200 से लेकर 2800 के आस-पास भावों में बिक रहा है.
लोकवन गेहूं की खेती कैसें करें ?
उन्नत खेती के लिए सावधानी के तौर पर अपने खेत की मिट्टी की जांच करवाना जरूरी है. खेत की तैयारी से लेकर बुवाई, सिंचाई, रोग-कीट देखभाल जैसी जरूरी आवश्यकताओ को ध्यान में रखकर लोकवन गेहूं किस्म से अच्छा उत्पादन ले सकते हैं. इसके लिए सबसे पहले मिट्टी की जांच के अनुसार खाद-उर्वरकों को डालकर 2-3 बार जुताई करा लें. जुताई के बाद खेत को 10-15 दिन धूप लगने के खुला छोड़ दें. खेत में हल्की नमी के लिए दो दिन पहले, खाली खेत में एक सिंचाई का सकते है. अच्छी फसल के लिए उसे खुराक के रूप में गाय, भैंस और अन्य पशुओं की पक्की / सूखी गोबर की खाद दें. जिसे आप बुवाई से पहले खेत में डाल सकते है. फसल की अच्छी ग्रोथ के लिए अच्छी जलवायु और मिट्टी का भी होना जरूरी है.